अमेरिका ने इजराइल से गाजा पट्टी में फिलिस्तीन के आतंकवादी संगठन हमास के साथ छिड़े युद्ध में संयम बरतने का आह्वान किया है। अमेरिका के इस दबाव से इजराइल बेफ्रिक है। इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने दुनिया को साफ-साफ संदेश दिया है। उन्होंने गाजा में 'अंत तक लड़ने' की प्रतिज्ञा दोहराई है।
अमेरिका के प्रमुख समाचार पत्र द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, इजराइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने गाजा में 'अंत तक लड़ने' की कसम खाई है, क्योंकि पिछले सप्ताह इजराइल के तीन बंधकों की हत्या से उनके देश में गुस्सा फैल रहा है। बंधकों को गलती से इजराइली सेना ने गोली मार दी थी। यह बंधक सफेद झंडा लहरा रहे थे। उनकी मौत ने नए सवाल खड़े कर दिए हैं कि नेतन्याहू की सरकार युद्ध का कैसे संचालन कर रही है?
इस अमेरिकी अखबार ने इजराइल के प्रधानमंत्री कार्यालय के हवाले से अपनी वेबसाइट पर एक रिपोर्ट छापी है। इसके अनुसार, नेतन्याहू ने कल एक सरकारी बैठक की शुरुआत एक पत्र पढ़कर की। उन्होंने कहा, 'यह पत्र गाजा में लड़ते हुए मारे गए इजराइली सैनिकों के परिवारों से आया है। इसमें कहा गया है कि तुम्हारे पास लड़ने का जनादेश है। आपके पास बीच में रुकने का आदेश नहीं है।'
उन्होंने कहा कि हालांकि यह पत्र गाजा में अभी भी बंधक बनाए गए इजराइली नागरिकों के रिश्तेदारों के संदेश से मेल नहीं खाता है। इनमें से कई लोग संघर्ष विराम की मांग करने के लिए सड़कों पर उतर आए हैं ताकि उनके प्रियजन घर लौट सकें।
द न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, अमेरिकी रक्षा सचिव लॉयड ऑस्टिन इस सप्ताह मध्य पूर्व की यात्रा कर रहे हैं। इनमें इजराइल और फारस की खाड़ी के तीन देश शामिल हैं। बाइडेन प्रशासन इजराइल पर बड़े पैमाने पर शुरू किए गए जमीनी और हवाई अभियान को कुछ हफ्तों के भीतर समाप्त करने का दबाव डाल रहा है।
अमेरिकी अधिकारियों के अनुसार, ऑस्टिन के इजराइल के नेताओं के साथ विशिष्ट बलों के छोटे समूहों के उपयोग पर चर्चा करने की उम्मीद है। यह समूह हमास कमांडरों को खोजने और मारने, बंधकों को बचाने और सुरंगों को नष्ट करने के लिए अधिक सटीक अभियान शुरू करेंगे। अखबार का कहना है कि जर्मनी और ब्रिटेन ने भी इजराइल के लिए अपने पिछले पूर्ण समर्थन में बड़ा बदलाव करते हुए 'स्थायी संघर्ष विराम' की वकालत की।
द न्यूयॉर्क टाइम्स ने गाजा के स्वास्थ्य मंत्रालय के हवाले से रिपोर्ट में उल्लेख किया है कि मृतकों की संख्या करीब 20,000 पहुंच रही है। इनमें एक ही परिवार के 100 से अधिक लोग शामिल हैं।
(इनपुट- हिन्दुस्तान समाचार)