उत्तराखंड के सिल्क्यारा-डंडालगांव टनल में सोमवार 27 नवंबर से वर्टिकली ड्रिलिंग के साथ अब मैन्युअली हॉरिजॉन्टल खुदाई भी शुरू की जायेगी। 16 दिनो से फंसे 41 मजदूरों तक पहुंचने के लिए 86 मी. वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है। इसमें अभी तक 31 मीटर तक ड्रलिंग हो चुकी है।
वहीं सिल्क्यारा की तरफ से फंसी ऑगर मशीन को सोमवार सुबह काटकर बाहर निकाल लिया गया है। भारतीय सेना के कोर ऑफ इंजीनियर्स और मद्रास सैपर्स की यूनिट इस काम में जुटी थी। सुबह जैसे ही कामयाबी मिली, लोगों ने राहत की सांस ली।
इंजीनियरों ने ड्रिलिंग मशीन काी फंसी 13.9 मीटर लंबी ब्लेड निकाली
टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने के लिए सिल्क्यारा छोर से अमेरिकन ऑगर मशीन के जरिए खुदाई करके रेस्क्यू पाइप डाले जा रहे थे। शुक्रवार यानी 24 नवंबर को मजदूरों की लोकेशन से महज 10 मीटर पहले मशीन की ब्लेड्स टूट गई थीं। इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा था। मलबे ड्रिलिंग मशीन का 13.9 मीटर लंबा ब्लेड फंसा था। इसे लेजर और प्लाज्मा कटर से काटकर बाहर निकाला गया।
31 मीटर तक हो चुकी है वर्टिकल ड्रिलिंग
बता दें कि टनल में फंसे मजदूरों तक पहुचने के लिए 86 मी. वर्टिकल ड्रिलिंग होनी है, जिसमें वर्टिकल ड्रिलिंग मशीन ने रविवार 26 नवंबर शाम 7:30 बजे तक पहाड़ से टनल में 1.2 मी. की गोलाई में अब तक 31 मी. की गहराई तक खुदाई कर चुका है। इस रेस्क्यू ऑपरेशन को लीड कर रहे NHIDCL के एमडी महमूद अहमद ने बताया कि ये मशीन 40 मी. तक ही वर्टिकल ड्रिल कर सकती है। इसके बाद बड़ी मशीन काम करेगी। इसमें 100 घंटे (30 नवंबर) तक लग सकते हैं।
उन्होंने बताया कि यदि इस ड्रिलिंग में भी शाफ्ट या बिट कहीं फंसती है तो इसे काटने के लिए मैग्नम कटर मशीन साइट पर बुला ली गई है। दूसरी ओर, टनल के भीतर सेना के इंजीनियरिंग कोर की 201 रेजीमेंट के 50 जवानों ने पाइप में फंसे ऑगर मशीन के शाफ्ट काटकर अलग कर दिया । अब मुंबई से बुलाए गए 7 सीवेज एक्सपर्ट इन्हीं पाइप में जाकर हाथों से मलबा हटाकर रास्ता बनाएंगे।
टनल में फंसे मजदूरों तक पहुंचने में कामयाबी न मिलने के बाद प्लान बी के तहत वर्टिकल ड्रिलिंग की योजना बनाई गई थी। इस काम को सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड (SVNL) अंजाम दे रहा है। इससे पहले बॉर्डर रोड ऑर्गेनाइजेशन (BRO) के जवानों ने पेड़ काटकर पहाड़ की चोटी तक भारी मशीनरी ले जाने का रास्ता तैयार किया था।