ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा एवं कौशल परिषद (एआईईसीएस) की पहली बैठक आईआईटी गांधीनगर मेें सफलता पूर्वक सम्पन्न हुई। केन्द्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान और ऑस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने इस बैठक में शिक्षा और कौशल के विकास में द्विपक्षीय सहयोग की व्यापक समीक्षा की, दोनों मंत्रियों ने रोजगार संबंधी योग्यता और समृद्धि के लिए ज्ञान व कौशल साझेदारी को और मजबूत करने पर सहमति जताई है।केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि ऑस्ट्रेलियाई विश्वविद्यालय गुजरात में अपना परिसर खोल रहा है, इससे प्रतिभाशाली युवाओं को सस्ती और गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्राप्त हो सकेगी।
केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने कहा कि भारत और ऑस्ट्रेलिया के बीच लगातार बैठकें दोनों देशों के बीच बढ़ते सम्बंधो का प्रमाण है। उन्होंने संयुक्त कार्य समूह की स्थापना,संयुक्त डिग्री के लिए एचईआई के बीच सहयोग,भारत में अध्ययन, भारत की शिक्षा का अंतर्राष्ट्रीयकरण, भारतीय और शोध कर रहे छात्रों के लिए वीजा संबंधी मुद्दों के क्षेत्रों में लगातार प्रगति पर प्रसन्नता जाहिर की।
एआईईएससी के बारे में
एआईईएससी, जिसे पहले ऑस्ट्रेलियाई भारत शिक्षा परिषद (एआईईसी) के नाम से जाना जाता था, दोनों देशों के बीच प्रशिक्षण और अनुसंधान साझेदारी की रणनीतिक दिशा का मार्गदर्शन करने के लिए 2011 में स्थापित एक संयुक्त निकाय है। इस मंच के माध्यम से दोनों देशों की राष्ट्रीय प्राथमिकताओं को ध्यान में रखते हुए शिक्षा के साथ-साथ कौशल इकोसिस्टम में अंतर्राष्ट्रीयकरण,दो-तरफा आवागमन और सहयोग को बढ़ावा दिया जा रहा है। यह पहला मौका है जब शिक्षा और कौशल को एक ही संस्थागत मंच के तहत लाया गया।
धर्मेन्द्र प्रधान ने बताया कि कृषि, जल प्रबंधन, महत्वपूर्ण खनिज, स्वास्थ्य देखभाल, एआई, नवीकरणीय ऊर्जा और जलवायु परिवर्तन जैसे क्षेत्रों में अधिक अनुसंधान सहयोग बढ़ाने के लिए आज ऑस्ट्रेलियाई और भारतीय एचईआई के बीच पांच समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर हुए। उन्होंने कहा कि इससे शैक्षिक, अनुसंधान और नवाचार प्राथमिकताओं को आगे बढ़ाने, छात्र और संकायों के बीच ज्ञान का आदान-प्रदान, डुअल डिग्री के लिए अधिक अवसर पैदा होंगे।
आस्ट्रेलिया के शिक्षा मंत्री जेसन क्लेयर ने इस बात का उल्लेख किया कि शिक्षा और कौशल के क्षेत्रों में सार्थक साझेदारी से दोनों देशों के भविष्य को आकार देने में सहायता मिलेगी। उन्होंने दोनों देशों के बीच लगभग 450 मौजूदा अनुसंधान संबंधी साझेदारियों का उल्लेख करते हुए कहा कि सरकारी,संस्थागत और उद्योग स्तर पर दोनों देशों को लाभ होगा। धर्मेन्द्र प्रधान ने गुजरात इंटरनेशनल फाइनेंस टेक-सिटी (गिफ्ट सिटी) में वॉलोन्गॉन्ग विश्वविद्यालय और डीकिन विश्वविद्यालय के परिसरों के खोलने के निर्णय का स्वागत किया।
आस्ट्रेलिया और भारत के बीच इन 5 समझौतों पर बनी सहमति
1.इनोवेटिव रिसर्च यूनिवर्सिटीज कंसोर्टियम परिसर:
इनोवेटिव रिसर्च यूनिवर्सिटीज (आईआरयू) पूरे ऑस्ट्रेलिया में फैले इन 7 सार्वजनिक विश्वविद्यालयों का एक गठबंधन है: फ्लिंडर्स यूनिवर्सिटी, जेम्स कुक यूनिवर्सिटी, ला ट्रोब यूनिवर्सिटी, मर्डोक यूनिवर्सिटी, ग्रिफिथ यूनिवर्सिटी, कैनबरा यूनिवर्सिटी, और वेस्टर्न सिडनी यूनिवर्सिटी। आईआरयू के एमओयू का उद्देश्य ऑस्ट्रेलिया-भारत शिक्षा साझेदारी को मजबूत करने के लिए संबंधित पक्षों के बीच करीबी सहयोग के लिए एक सटीक रूपरेखा प्रदान करना है। एमओयू के तहत सहभागी सदस्य भारत में डिग्रियों के वितरण के लिए एक कंसोर्टियम दृष्टिकोण की संभावना का पता लगाने और भारतीय छात्रों के लिए ऑस्ट्रेलियाई उच्च शिक्षण संस्थानों तक देश की पहुंच बढ़ाने के लिए मिलकर काम करेंगे।
2.डीकिन यूनिवर्सिटी और राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी):
भारत के राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (एनएसडीसी) के साथ साझेदारी में डीकिन यूनिवर्सिटी ने भारत में कुशल लोगों की कमी को दूर करने के लिए ‘ग्लोबल जॉब रेडीनेस प्रोग्राम (जीजेआरपी)’ तैयार किया है। 30 घंटे का यह कार्यक्रम ऑनलाइन उपलब्ध कराया जाएगा और इसका लक्ष्य तीन वर्षों में 15 मिलियन भारतीयों को कुशल बनाना है।
3. डीकिन यूनिवर्सिटी और आईआईटी गांधीनगर:
गिफ्ट सिटी में डीकिन यूनिवर्सिटी के परिसर की स्थापना के साथ ही आईआईटी गांधीनगर के साथ गठबंधन के माध्यम से मुख्य उद्देश्य स्थानीय क्षेत्र में बेहतरीन उच्च शिक्षा और अनुसंधान परिवेश के लिए आवश्यक सहायता प्रदान करना है। इस साझेदारी के तहत विज्ञान एवं नवाचार, आवाजाही, संकाय के आदान-प्रदान, और संयुक्त डॉक्टरेट कार्यक्रमों में सहयोग करने पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।
4.मोनाश यूनिवर्सिटी और भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान हैदराबाद:
यह एमओयू महत्वपूर्ण खनिजों और पारस्परिक हित के अन्य क्षेत्रों में अकादमिक और अनुसंधान गतिविधियों में आपसी सहयोग के लिए किया गया है। इस एमओयू में अकादमिक सामग्री, विद्वानों एवं छात्रों का आदान-प्रदान और सहकारी सेमिनार, कार्यशालाएं और अन्य शैक्षणिक गतिविधियां शामिल हैं।
5.मोनाश यूनिवर्सिटी और अंतर्राष्ट्रीय खनन उत्कृष्टता केंद्र (आईसीईएम):
इस एमओयू का उद्देश्य भारत में खनन और खनिज विकास क्षेत्र के लिए आवश्यक सहयोग प्रदान करने के लिए मोनाश और आईसीईएम के बीच अनुसंधान एवं नवाचार सहयोग को बढ़ावा देना है। जलवायु परिवर्तन पर खनन के प्रभाव को कम करने, इसकी दक्षता बढ़ाने और महत्वपूर्ण खनिजों एवं दुर्लभ पृथ्वी तत्वों में क्षमताओं को बढ़ाने में आपसी सहयोग पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।