मध्य प्रदेश के जंगलों में अब पर्यटक चीतों का दीदार कर सकेंगे। इसके लिए त कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाए गए चीतों को अब स्वस्थ परीक्षण के बाद पुनः खुले जंगल में छोड़ा जा रहा है। दरअसल, चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से लाकर मध्य प्रदेश के श्योपुर जिले में स्थित कूनो राष्ट्रीय उद्यान में बसाए गए चीतों को अब जंगल में छोड़ा जा रहा है। इसी क्रम में गुरुवार देर शाम एक चीते को खुले जंगल में छोड़ दिया गया है। इस बार नर चीते पवन को रिलीज किया गया है। इसे मिलाकर अब तक चार चीतों को खुले जंगल में छोड़ा गया है। अब कूनो आने वाले पर्यटक आसानी से इन चीतों के दीदार कर सकेंगे।
चीतों को देख सकेंगे पर्यटक
जनसम्पर्क अधिकारी केके जोशी ने बताया कि गुरुवार शाम को नर चीता पवन को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के नयागांव वनक्षेत्र में सफलतापूर्वक छोड़ गया। नर चीता पवन पूर्ण रूप से स्वस्थ है। नयागांव वनक्षेत्र पीपलबावड़ी पर्यटन जोन के अंतर्गत है। पर्यटन जोन में चीतों की मौजूदगी से अब पर्यटक चीतों को देख सकेंगे।
खुले जंगल में चीतों की संख्या चार
बीते रविवार को स्वास्थ्य परीक्षण के बाद दो नर चीतों-अग्नि और वायु को कूनो राष्ट्रीय उद्यान के पारोंद वन क्षेत्र में सफलतापूर्वक छोड़ा गया था। पारोंद वन क्षेत्र अहेरा भी पर्यटन जोन के अंतर्गत है। इसके बाद बुधवार को मादा चीता वीरा को भी सफलतापूर्वक कूनो राष्ट्रीय उद्यान के नयागांव वनक्षेत्र में रिलीज किया गया था। खुले जंगल में छोड़ने के बाद तीनों चीते पूर्ण रूप से स्वस्थ हैं। पवन को रिलीज किए जाने के बाद कूनो के खुले जंगल में चीतों की संख्या चार हो चुकी है। चीतों के मूवमेंट और उनके व्यवहार को देखकर यह संख्या लगातार बढ़ाई जाएगी।
पशु चिकित्सकों की एक टीम कर रही स्वास्थ्य की निगरानी
गौरतलब है कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीता प्रोजेक्ट के तहत नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से 20 चीतों को लाकर बसाया गया था। इनमें से एक मादा चीता ने यहां चार शावकों को जन्म दिया था। इस तरह यहां चीतों की संख्या बढ़कर 24 हो गई थी, लेकिन इस साल मार्च से जुलाई के बीच चार माह में एक के बाद नौ चीतों की मौत हो गई थी। इनमें छह चीते और तीन शावक शामिल हैं। इसके बाद चीता विशेषज्ञों की सलाह पर कूनो प्रबंधन ने शेष बचे एक शावक सहित सभी 15 चीतों का स्वास्थ्य परीक्षण कराया था और पशु चिकित्सकों की एक टीम उनके स्वास्थ्य की निगरानी कर रही थी। अब चीतों को पुनः खुले जंगल में छोड़ा जा रहा है।