लोकसभा में बीते गुरुवार को केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक, 2023 ध्वनि मत से पारित कर दिया गया। केंद्रीय विश्वविद्यालय अधिनियम, 2009 में संशोधन कर इस विधेयक को पारित किया गया है,जिसका उद्देश्य भारत के विभिन्न राज्यों में शिक्षण और अनुसंधान के लिए समर्पित केंद्रीय विश्वविद्यालय स्थापित करना है।
सम्मक्का सरक्का सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी
इस विधेयक में एक जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का प्रावधान रखा गया है, जो मुख्य रूप से भारत की जनजातीय आबादी के लिए उच्च शिक्षा और अनुसंधान सुविधाएं प्रदान करने के लिए समर्पित होगी। प्रस्तावित संस्थान का नाम 'सम्मक्का सरक्का सेंट्रल ट्राइबल यूनिवर्सिटी' रखा गया है, इसे तेलंगाना में स्थापित किया जाएगा।
पीएचडी में महिलाओं का नामांकन बढ़कर 106 फीसदी हुआ
संसद में एक सवाल केे जवाब में केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने बताया कि 'सम्मक्का सरक्का केंद्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय' को लगभग 900 करोड़ रुपये की लागत से तैयार किया जाएगा। केंद्रीय शिक्षा मंत्री ने पीएचडी नामांकन में पर्याप्त वृद्धि पर भी प्रकाश डाला उन्होंने बताया कि 2014-15 से 2021-22 तक 81% की वृद्धि के साथ, कुल दो लाख से अधिक पीएचडी पाठ्यक्रम के लिए पंजीकरण हो चुके हैं। गौरतलब है कि इसी अवधि के दौरान पीएचडी में महिलाओं का नामांकन में 106 प्रतिशत की वृद्धि हुई है। उच्च शिक्षा संस्थानों में रिक्तियों को भरने के लिए सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर देते हुए बताया कि पिछले दो महीनों में 18,000 रिक्त पदों में से 11,000 से अधिक पद भरे जा चुके हैं। इसके अतिरिक्त, उन्होंने सभी उच्च संस्थानों के लिए एनएएसी मान्यता के लिए सरकार के पहल का उल्लेख किया।
विपक्षी दलों ने भी किया केंद्रीय विश्वविद्यालय (संशोधन) विधेयक 2023 का समर्थन
चर्चा के दौरान, भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी ने रोजगार क्षमता बढ़ाने के लिए गुणवत्तापूर्ण शिक्षा की आवश्यकता पर जोर दिया। शिवसेना के राहुल शेवाले ने क्षेत्रीय आकांक्षाओं की पूर्ति को ध्यान में रखते हुए विधेयक के प्रति समर्थन व्यक्त किया और सरकार से महाराष्ट्र में भी एक राष्ट्रीय जनजातीय विश्वविद्यालय स्थापित करने का आग्रह किया।
कांग्रेस सदस्य कोडिकुन्निल सुरेश ने सरकार से उच्च शिक्षा संस्थानों और विश्वविद्यालयों में एससी और एसटी के लिए आरक्षित रिक्तियों को भरने की मांग की। कांग्रेस के अधीर रंजन चौधरी ने आदिवासी आबादी के विकास के लिए शिक्षा को एक प्रमुख निर्धारक बताया। वहीं एआईएमआईएम के सैयद इम्तियाज जलील ने इस कदम का स्वागत किया है, भाजपा के जगदंबिका पाल, बसपा के रितेश पांडे, सीपीआई (एम) के ए एम आरिफ और टीडीपी के के राम मोहन नायडू सहित राजनीतिक दलों के अन्य सदस्यों ने भी इस कदम का स्वागत किया।