खनन उपकरणों के घरेलू निर्माण को बढ़ावा देने के उद्देश्य से देश की सबसे बड़ी कोयला उत्पादक कंपनी कोल इंडिया लिमिटेड (सीआईएल) छह साल में खनन उपकरणों के आयात को बंद करेगी। इसके लिए आगामी छह साल में चरणबद्ध तरीके से खनन उपकरणों के आयात को बंद करने की योजना बनाई गई है।
बीते 5 साल में 3,500 करोड़ रुपये मूल्य के खनन उपकरणों का हुआ आयात
ज्ञात हो, कोल इंडिया लिमिटेड ने बीते पांच साल में 3,500 करोड़ रुपये मूल्य के खनन उपकरणों का आयात किया है। इसके अलावा इनके आयात पर एक हजार करोड़ रुपये का शुल्क भी दिया गया है। ऐसे में वर्तमान में लिए गए निर्णय से आने वाले समय में खनन उपकरणों के आयात पर होने वाला खर्च बचेगा। साथ ही साथ खदानों में इस्तेमाल होने वाले अर्थ-मूविंग उपकरणों के घरेलू निर्माण को भी बढ़ावा मिलेगी। यही इस फैसले का असल मकसद भी है।
कोयला मंत्रालय ने दी जानकारी
इस संबंध में कोयला मंत्रालय ने गुरुवार को जारी एक बयान में कहा कि सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी सीआईएल ने उच्च क्षमता वाले खनन उपकरणों का आयात क्रमिक रूप से बंद करने की योजना बनाई है।
आयात पर आने वाली लागत होगी कम
मंत्रालय के मुताबिक इस योजना को अगले छह साल में अंजाम दिया जाएगा। कोल इंडिया लिमिटेड ने आयात पर आने वाली लागत को कम करने करने के लिए घरेलू निर्माताओं से इन मशीनों की खरीद शुरू भी कर दी है।
2030 के बाद भी कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहेगा
मंत्रालय ने कहा कि सीआईएल के निदेशक (तकनीकी) की अध्यक्षता में बनाई गई एक उच्चस्तरीय समिति ने इसकी अनुशंसा की थी। समिति ने कहा था कि वर्ष 2030 के बाद भी कोयला ऊर्जा का प्रमुख स्रोत बना रहेगा। इस लिहाजा इसके खनन से संबंधित उपकरणों की जरूरत को पूरा करने पर ध्यान देना होगा।