विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर आज से दो दिवसीय यात्रा पर नेपाल जा रहे हैं। वह नेपाल के विदेश मंत्री एन.पी. सऊद के निमंत्रण पर काठमांडू का दौरा कर रहे हैं। इस दौरान दोनों नेता भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की 7वीं बैठक की सह-अध्यक्षता करेंगे। भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की स्थापना 1987 में की गई थी और यह दोनों मंत्रियों को द्विपक्षीय साझेदारी के सभी पहलुओं की समीक्षा करने के लिए एक मंच प्रदान करता है।
भारत के विदेश मंत्रालय के अनुसार डॉ. एस. जयशंकर यात्रा के दौरान नेपाल की साझेदारी पर चर्चा करेंगे और प्रमुख राजनीतिक हस्तियों से भी मुलाकात करेंगे।
भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की बैठक में सहभागी होने के लिए विदेश मंत्री गुरुवार (04 जनवरी) को काठमांडू पहुंच रहे हैं। इस बैठक के बाद दोनों देशों के बीच दीर्घकालिक विद्युत व्यापार समझौता किया जाएगा। इसके तहत भारत अगले 10 सालों में 10 हजार मेगावाट बिजली की खरीद करेगा। इसके अलावा सभी द्विपक्षीय मुद्दों पर भी दोनों विदेश मंत्रियों की बैठक में चर्चा होगी।
चार जनवरी को ही भारतीय विदेश मंत्री नवनिर्मित 132 केवीए के तीन प्रसारण लाइन का उद्घाटन करेंगे। इनमें बिहार से लगी रक्सौल-परवानीपुर, कुशहा-कटैया और उत्तर प्रदेश के नौतनवा-मैनहवां ट्रांसमिशन लाइन शामिल हैं। यह ट्रांसमिशन लाइन भारत के सहयोग से निर्मित हुआ है। इसी तरह भारत सरकार के सहयोग से काठमांडू स्थित त्रिभुवन विश्वविद्यालय में निर्मित केंद्रीय पुस्तकालय भवन का भी उद्घाटन किया जाएगा।
ज्ञात हो कि भारत-नेपाल संयुक्त आयोग की स्थापना 1987 में की गई थी। यह दोनों मंत्रियों को द्विपक्षीय साझेदारी के सभी पहलुओं की समीक्षा करने के लिए एक मंच प्रदान करती है। यात्रा के दौरान विदेश मंत्री नेपाल के नेतृत्व और प्रमुख राजनीतिक हस्तियों से मुलाकात भी करेंगे।
नेपाल अपनी 'नेबरहुड फर्स्ट' नीति के तहत भारत का प्राथमिकता वाला भागीदार है। डॉ. एस. जयशंकर की यह यात्रा दो करीबी और मैत्रीपूर्ण पड़ोसियों के बीच उच्च स्तरीय आदान-प्रदान की परंपरा को ध्यान में रखते हुए है। उम्मीद है विदेश मंत्री के इस यात्रा से भारत और नेपाल के बीच मैत्री संबंध और अधिक घनिष्ठ होंगे।