नमामि गंगा कार्यक्रम में अर्थ गंगा परियोजना (Project ARTHA Ganga) को जोड़ा गया है। 14 दिसंबर, 2019 को राष्ट्रीय गंगा परिषद (NGC) की मीटिंग में अर्थ गंगा नाम से एक नई अवधारणा शुरू करने का निर्णय लिया गया, जो आर्थिक माध्यम से नदी से लोगों के जुड़ाव को मजबूत करने के लिए एक टिकाऊ और व्यावहारिक आर्थिक विकास मॉडल है। जिसमें यह फैसला लिया गया कि नमामि गंगे मिशन को विभिन्न मंत्रालयों और विभागों और अन्य स्टेकहोल्डरों, संस्थानों और सामुदायिक संगठनों की भागीदारी के साथ अर्थ गंगा की अवधारणा का नेतृत्व करना चाहिए। इसके चलते नमामि गंगा कार्यक्रम के 4 वर्टिकल – निर्मल गंगा, अविरल गंगा, जन गंगा और ज्ञान गंगा के अलावा, पांचवें वर्टिकल के रूप में अर्थ गंगा परियोजना को जोड़ा गया। जल शक्ति मंत्रालय ने बताया कि अर्थ गंगा का उद्देश्य नदी पुनर्जीवन के अनुरूप आर्थिक माध्यम से लोगों और गंगा को जोड़ना है।
अर्थ गंगा परियोजना (Project ARTHA Ganga) सरकार द्वारा 2014 में शुरू किए गए नमामि गंगा कार्यक्रम में हाल ही में जोड़ी गई एक पहल है। यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री बिश्वेश्वर टुडू ने सोमवार को राज्यसभा में एक लिखित उत्तर में दी।
अर्थ गंगा' परियोजना की विशेषताएं
जल शक्ति मंत्रालय ने आज एक बयान में कहा कि अर्थ-गंगा के 6 स्तम्भों की पहचान की गई है, जिसमें गंगा नदी के दोनों ओर 5 किलोमीटर के क्षेत्र में प्राकृतिक वातावरण को बढ़ावा देना, एसटीपी से उपचारित पानी और कीचड़ का मुद्रीकरण और पुन: उपयोग, विशेषकर महिलाओं के लिए आजीविका के अवसरों में सुधार, पर्यटन और सांस्कृतिक विरासत को बढ़ावा देना और जन भागीदारी और क्षमताओं तथा संस्थानों का निर्माण इत्यादि शामिल हैं।
अर्थ गंगा का उद्देश्य लोगों और गंगा को जोड़ना है
मंत्रालय ने बताया कि इन पहलों के कार्यान्वयन का उद्देश्य गंगा नदी से संबंधित आर्थिक गतिविधियों पर ध्यान केंद्रित करते हुए सतत विकास मॉडल विकसित करना है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए विभिन्न मंत्रालयों और विभागों और अन्य हितधारकों के सहयोग से राष्ट्रीय स्वच्छ गंगा मिशन ने अर्थ गंगा के तहत कई गतिविधियां शुरू की हैं। हालांकि कोई विशिष्ट अल्पकालिक लक्ष्य निर्धारित नहीं किया गया है, तथापि, अर्थ गंगा का दीर्घकालिक उद्देश्य गंगा संरक्षण के लिए लोगों की भागीदारी जुटाकर और सतत विकास को बढ़ावा देकर, नदी पुनर्जीवन के अनुरूप आर्थिक माध्यम से लोगों और गंगा को जोड़ना है।
अर्थ गंगा परियोजना को नदी के संरक्षण के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में
दरअसल अर्थ गंगा परियोजना को नदी के संरक्षण के लिए एक आर्थिक मॉडल के रूप में विकसित किया जा रहा है। पीएम मोदी ने पहली बार 2019 में कानपुर में पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान इस अवधारणा को पेश किया, जहां उन्होंने गंगा को साफ करने के लिए केंद्र सरकार की प्रमुख परियोजना नमामि गंगे से अर्थ गंगा के मॉडल में बदलाव का आग्रह किया। कानपुर में 2019 में आयोजित पहली राष्ट्रीय गंगा परिषद की बैठक के दौरान उन्होंने ने इस पर जोर दिया था। 'अर्थ गंगा' की मूल भावना गंगा किनारे आर्थिक गतिविधियों को बढ़ाने के साथ लोगों को गंगा से जोड़ने पर केंद्रित है। यह गंगा से जुड़ा सतत विकास का मॉडल है। अर्थ गंगा मॉडल अकेले गंगा बेसिन से ही सकल घरेलू उत्पाद का कम से कम 3 प्रतिशत योगदान करने का लक्ष्य लेकर चल रहा है।
स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह 2022 में हुई गंगा मॉडल के बारे में बात
स्वच्छ गंगा के लिए राष्ट्रीय मिशन के महानिदेशक अशोक कुमार ने स्टॉकहोम विश्व जल सप्ताह 2022 में अपने भाषण के दौरान अर्थ गंगा मॉडल के बारे में बात की थी। अर्थ गंगा के छह प्रमुख उद्देश्यों एवं क्षेत्रों के बारे में विस्तार से बताते हुए उन्होंने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण बात शून्य बजट प्राकृतिक खेती है जिसमें नदी के दोनों तरफ 10 किमी तक रसायन मुक्त खेती की परिकल्पना की गई है। इससे किसानों के लिए 'प्रति बूंद, अधिक आय' (More income, per drop) और 'गोबर धन' (Gobar Dhan) की राह खुलेगी।
मिल रहे शानदार नतीजे
विश्व जल सप्ताह 2022 में जी. अशोक कुमार ने गंगा नदी के किनारे सांस्कृतिक विरासत और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए नाव पर्यटन, कम्युनिटी जेटीज, योग का प्रचार, साहसिक पर्यटन, गंगा आरती आदि जैसी पहलों की बात की। उन्होंने कहा, 'विभिन्न राज्यों में 20 हजार से ज्यादा गंगा दूत तैनात किए गए हैं और 'हर हफ्ते होगा, घाट पे योगा', गंगा क्वेस्ट जैसे जागरूकता पैदा करने वाले कार्यक्रम शुरू हुए हैं। इसके अलावा जिला गंगा समितियों जैसी प्रशासनिक पहलों के माध्यम से मिशन की सफलता की दिशा में शानदार नतीजे हासिल हो रहे हैं।
बावजूद इन सबके देश की अधिकांश नदियां प्रदूषित हैं और नदियों को स्वच्छ करना बड़ी चुनौती बना हुआ है।