लोकसभा ने मंगलवार को दो विधेयक पारित किए जो महिला आरक्षण कानून के प्रविधानों को केंद्र शासित प्रदेशों पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर की विधानसभाओं तक विस्तारित करेंगे। जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक और संघ राज्य क्षेत्र शासन (संशोधन) विधेयक को मंजूरी दे दी।
मंगलवार (12 दिसंबर) को गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक पेश किया। विधेयक पर हुई बहस का जवाब देते हुए गृह राज्य ने कहा कि ये दोनों विधेयक महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी को सुनिश्चत करेंगे। नित्यानंद राय ने लोकसभा में जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन (दूसरा संशोधन) विधेयक और केंद्र शासित प्रदेश सरकार (संशोधन) विधेयक पर बहस का जवाब दिया, जिसे ध्वनि मत से पारित कर दिया गया।
विपक्ष पर साधा निशाना
विपक्ष पर निशाना साधते हुए राय ने कहा कि कांग्रेस की सरकारों ने महिलाओं के अधिकार छीन लिए थे। उन्हें कभी भी आगे बढ़ने के पर्याप्त अवसर नहीं दिए गए और उनके साथ अन्याय किया गया। उन्होंने कहा कि पुडुचेरी में पहली बार लैंगिक बजट के लिए 1332 करोड़ रुपये का प्रविधान किया गया। अग्निशमन सेवाओं और स्थानीय सेवाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण दिया गया। नित्यानंद राय ने कहा कि पीएम मोदी के शासनकाल में महिलाओं को सम्मान और सही अवसर मिला है। आज महिलाएं अपने ज्ञान और प्रतिभा के दम पर नए कीर्तिमान बना रही हैं।
कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019, उद्देश्य और कारण
कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम, 2019, उद्देश्य और कारण को बताते हुए गृह मंत्री अमित शाह ने कहा, “संविधान (एक सौ छठा संशोधन, 106th Amendment) अधिनियम, 2023 के अधिनियमन के परिणामस्वरूप, केंद्र शासित प्रदेश जम्मू और कश्मीर की विधान सभा में महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करने के लिए समान प्रावधान भी संसद द्वारा जम्मू में संशोधन करके किए जाने की आवश्यकता है। उन्होंने आगे कहा कि केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी की विधान सभा में महिलाओं के लिए आरक्षण प्रदान करने के प्रावधान भी संसद द्वारा केंद्र शासित प्रदेश सरकार अधिनियम, 1963 में संशोधन करके किए जाने की आवश्यकता है।
पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर की विधान सभाओं महिलाओं का अधिक प्रतिनिधित्व
दोनों विधेयक पुडुचेरी और जम्मू-कश्मीर की विधान सभाओं में कानून बनाने की प्रक्रियाओं में जन प्रतिनिधियों के रूप में महिलाओं के अधिक प्रतिनिधित्व और भागीदारी को सक्षम बनाने का प्रयास करते हैं। आधिकारिक तौर पर संविधान (106वां संशोधन) अधिनियम के रूप में जाना जाने वाला महिला आरक्षण कानून लोकसभा और राज्य विधानसभाओं में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण प्रदान करता है।
इससे पहले अमित शाह ने लोकसभा में इन दो विधेयकों पर चर्चा के दौरान कहा था कि इन विधेयकों को लेकर आने का उद्देश्य सकारात्मक है और वह अनुरोध करते हैं कि इन विधेयकों को सर्वसम्मति से पारित किया जाए। उन्होंने यह भी कहा कि आतंकवाद के दौर में जम्मू कश्मीर से 46 हजार 631 परिवार विस्थापित हुए थे। इसके अलावा पाकिस्तान के साथ हुए युद्धों के दौरान 41 हजार 844 परिवार विस्थापित हुए थे। उन्होंने कहा कि हमारे इस विधेयक का उद्देश्य इन सभी लोगों को सम्मान के साथ उनका अधिकार देना है।
कानून को लागू होने में कुछ समय लगेगा
ज्ञात हो कि सितंबर में संसद के विशेष सत्र के दौरान पीएम मोदी ने इस कानून को ''नारी शक्ति वंदन अधिनियम'' बताया था। संविधान संशोधन विधेयक को लोकसभा ने लगभग सर्वसम्मति से और राज्यसभा ने सर्वसम्मति से पारित कर दिया। कानून को लागू होने में कुछ समय लगेगा क्योंकि अगली जनगणना और उसके बाद परिसीमन प्रक्रिया – लोकसभा और विधानसभा क्षेत्रों का पुनर्निर्धारण – महिलाओं के लिए निर्धारित की जाने वाली विशेष सीटों का पता लगाएगी।
जम्मू कश्मीर और पुडुचेरी विधानसभा में महिलाओं को 33 प्रतिशत आरक्षण के विधेयक को लोकसभा में पास होने के पश्चात अब इसे राज्यसभा में रखा जाएगा। वहां से पास होने के बाद और राष्ट्रपति की मुहर लगने के यह कानून बन जाएगा, उसके बाद जम्मू कश्मीर की महिलाओं के लिए एक तिहाई सीटें आरक्षित करने का रास्ता साफ हो जाएगा। बता दें कि लोकसभा और विधानसभाओं में महिलाओं के लिए कोटा 15 साल तक जारी रहेगा और संसद बाद में लाभ की अवधि बढ़ा सकती है।