प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शनिवार (9 मार्च) को अरुणाचल प्रदेश के तवांग जिले में बहुप्रतीक्षित सेला सुरंग का उद्घाटन का उद्घाटन करेंगे। वर्ष 2019 में पीएम मोदी ने सेला सुरंग परियोजना का शिलान्यास किया था। केंद्र सरकार की यह परियोजना तवांग के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक रणनीतिक बढ़त के अलावा सेला से पहले स्थानीय आबादी के लिए गेम चेंजर होगी। सेला-चारबेला रिज से होकर गुजरने वाली यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी बाइलेन सुरंग होगी।
अरुणाचल प्रदेश के उपमुख्यमंत्री चोवना मीन ने कहा है कि तवांग जिले में बहुप्रतीक्षित सेला सुरंग का उद्घाटन 9 मार्च को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किया जाएगा। वह नेयी पन्योर जिले के याचुली में एक समारोह को संबोधित को सम्बोधित कर रहे थे, चोवना मीन ने कहा कि इस परियोजना में दो शामिल हैं सुरंगें और 8.780 किमी पहुंच मार्ग। एक बार पूरी तरह से बन जाने के बाद, सेला-चारबेला रिज से होकर गुजरने वाली यह सुरंग 13,000 फीट की ऊंचाई पर दुनिया की सबसे लंबी बाइलेन सुरंग होगी।
बता दें कि सेला सुरंग परियोजना अरुणाचल प्रदेश के पश्चिम कामेंग जिले में स्थित है। इस परियोजना के पूरा हो जाने के बाद यह यह तवांग को हर मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करेगी, जिसके चलते यह एक जीवन रेखा की तरह होगी। इस परियोजना में दो सुरंगें शामिल हैं।पहली 980 मीटर लंबी सुरंग, सिंगल ट्यूब टनल औरदूसरी 1555 मीटर लंबीसुरंग, ट्विन ट्यूब टनल है। सुरंग 2 में यातायात के लिए एक बाइ-लेन ट्यूब और आपात स्थिति के लिए एक एस्केप ट्यूब है। यह 13,000 फीट से अधिक ऊंचाई पर बनाई गई सबसे लंबी सुरंगों में से एक होगी।
वहीं, दूसरी ओर इस परियोजना में सुरंग 1 के लिए सात किलोमीटर की पहुंच (अप्रोच) सड़क का निर्माण भी शामिल है, जो बीसीटी रोड से निकलती है। इसके अलावा सुरंग 1 और सुरंग 2 को जोड़ने वाली1.3 किलोमीटर का एक लिंक रोड है।
ज्ञात हो कि 9 फरवरी 2019 में पीएम मोदी ने सेला सुरंग परियोजना का शिलान्यास किया था। वहीं, 15 जनवरी, 2021 को डीजीबीआर के पहला विस्फोट किए जाने के बादसुरंग 1 पर खुदाई का काम शुरू हुआ था। इसके बाद14 अक्टूबर 2021 को रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने इंडिया गेट से एक ई-समारोह के जरिएसुरंग 2 पर विस्फोट किया था। यह 1,555 मीटर लंबी सुरंग 2 के खुदाई कार्य के समापन का प्रतीक था।
यह कुल 12.04 किलोमीटर की दूरी तय करती है जिसमें 1790 और 475 मीटर की दो सुरंगें शामिल हैं। इस सुरंग के एक बार पूरी तरह से बन जाने के बाद क्या लाभ होगा ? यह भी जान लेते है। तवांग और आगे के क्षेत्रों के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी मिलेगी। तेजपुर से तवांग तक यात्रा के समय में एक घंटे से अधिक की कमी आएगी। यात्री 13,700 फीट की ऊंचाई पर खतरनाक बर्फ से ढके सेला टॉप से बच सकेंगे। तवांग के लिए हर मौसम में कनेक्टिविटी सुरक्षा बलों के लिए आवश्यक रणनीतिक बढ़त मिलेगी साथ ही सेला से पहले स्थानीय आबादी के लिए गेम चेंजर होगी।