भारतीय नौसेना आज (6 मार्च) को नौसेना स्टाफ के प्रमुख एडमिरल आर हरि कुमार की उपस्थिति में नौसेना डिटैचमेंट मिनिकॉय को आईएनएस जटायु (INS Jatayu) के रूप में तैनात करेगी। कावारत्ती में आईएनएस द्वीपरक्षक के बाद INS जटायु लक्षद्वीप में दूसरा नौसेना बेस है। आईएनएस जटायु के तैनात किए जाने के साथ, भारतीय नौसेना लक्षद्वीप समूह में अपनी पैठ मजबूत करेगी। इससे भारतीय नौसेना परिचालन निगरानी, पहुंच एवं जीविका को बढ़ाने के साथ-साथ यह क्षमता निर्माण व द्वीप क्षेत्रों के व्यापक विकास के एक नए युग की शुरुआत करेगी।
रक्षा मंत्रालय के अनुसार नौसेना डिटैचमेंट मिनिकॉय की स्थापना 1980 के दशक की शुरुआत में नौसेना ऑफिसर इन चीफ (लक्षद्वीप) की परिचालन कमान के तहत की गई थी। मिनिकॉय, लक्षद्वीप का सबसे दक्षिणी द्वीप है जो संचार की महत्वपूर्ण समुद्री लाइनों (एसएलओसी) तक फैला हुआ है। अपेक्षित बुनियादी ढांचे और संसाधनों के साथ एक स्वतंत्र नौसेना इकाई की स्थापना से द्वीपों में भारतीय नौसेना की समग्र परिचालन क्षमता में वृद्धि होगी।
उल्लेखनीय है कि यह बेस परिचालन पहुंच को बढ़ाएगा और पश्चिमी अरब सागर में एंटी-पायरेसी एवं एंटी नारकोटिक्स ऑपरेशंस की दिशा में भारतीय नौसेना के परिचालन प्रयासों को सुविधा प्रदान करेगा। यह क्षेत्र में पहली कार्रवाई करने वाले के रूप में भारतीय नौसेना की क्षमता को बढ़ाएगा और मुख्य भूमि के साथ कनेक्टिविटी बढ़ाएगा। बता दें कि नौसेना बेस की स्थापना द्वीपों के व्यापक विकास की दिशा में भारत सरकार के फोकस के अनुरूप है।
ज्ञात हो कि भारतीय नौसेना के लिए आज का दिन अहम है, यह बेस अंडमान और निकोबार द्वीप क्षेत्रों में तैनात आईएनएस बाज की तरह ही क्षमता प्रदान करेगा। इससे क्षेत्र में विरोधियों की सैन्य और वाणिज्यिक गतिविधियों पर नजर रखने में मदद मिलेगी। लक्षद्वीप और मिनिकोय द्वीपों पर नौसैनिक और हवाई सुविधाओं के उन्नयन से न केवल भारतीय समुद्री वाणिज्य सुरक्षित होगा, बल्कि बुनियादी ढांचे का उन्नयन भी होगा। उल्लेखनीय है कि इस कदम से केरल के पश्चिम में 400 किमी दूर स्थित द्वीप श्रृंखला में पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।