प्रतिक्रिया | Thursday, September 19, 2024

06/09/23 | 12:55 pm

भारत हरित हाइड्रोजन के क्षेत्र में दुनिया की बड़ी ताकत बन सकता है: केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह

NTPC लिमिटेड ने 18वें G20 शिखर सम्मेलन से पहले 5 सितंबर, 2023 को नई दिल्ली में “भारत में हरित हाइड्रोजन पायलट” पर एक दिवसीय सम्मेलन का आयोजन किया। सम्मेलन में सार्वजनिक और निजी दोनों क्षेत्रों द्वारा कार्यान्वित की जा रही विभिन्न ग्रीन हाइड्रोजन पायलट परियोजनाओं को प्रदर्शित किया गया। इस सम्मेलन में हरित हाइड्रोजन प्रौद्योगिकी में अग्रणी नवोन्मेषी पायलट उद्यमों और उनकी प्रगति को भी प्रस्तुत किया गया। समिट में केंद्रीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि भारत में विश्व में हरित हाइड्रोजन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक बनने की क्षमता है।

हमारी ऊर्जा की आवश्यकताएं बहुत अधिक हैं
सम्मेलन में उद्घाटन भाषण में  केंद्रीय ऊर्जा और नवीन एवं नवीकरणीय ऊर्जा मंत्री आर.के. सिंह ने कहा कि हमें अपने बड़े ऊर्जा आयात बिल को कम करने के लिए प्रभावी उपाय करने होंगे। लंबे समय से, हम विशाल ऊर्जा आयातक रहे हैं। यदि अब हमने इस बारे में कुछ नहीं किया तो हमारा आयात बिल कई गुना बढ़ जाएगा। हमारे पास इतनी बड़ी अर्थव्यवस्था है जो अगले 2-3 दशकों तक 7 प्रतिशत–8 प्रतिशत की दर से बढ़ती रहेगी। हमारी ऊर्जा की आवश्यकताएं बहुत अधिक हैं। अगस्त 2022 की तुलना में अगस्त 2023 में हमारी बिजली की मांग 21 प्रतिशत बढ़ गई है। दैनिक आधार पर, हमारी बिजली की मांग पिछले वर्ष के इसी दिन की तुलना में लगभग 40 गीगावॉट – 50 गीगावॉट अधिक है यानि कि हम बहुत  तेजी से बढ़ रहे हैं।

भारत में विश्व में हरित हाइड्रोजन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक बनने की क्षमता 
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में विश्व में हरित हाइड्रोजन के सबसे बड़े निर्माताओं में से एक बनने की क्षमता है। हमने नवीकरणीय ऊर्जा के लिए एक विशाल पारिस्थितिकी तंत्र स्थापित किया है। नवीकरणीय ऊर्जा में क्षमता वृद्धि की हमारी गति विश्व में सबसे तेज़ है। नवीकरणीय ऊर्जा उत्पादन की हमारी लागत और हरित हाइड्रोजन के उत्पादन की हमारी लागत विश्व में सबसे कम लागतों में से एक होगी।

दुनिया हरित हाइड्रोजन पर हमारे दृष्टिकोण का अनुसरण करेगी
सिंह ने कहा कि भारत एक बड़े निर्यातक के रूप में उभरेगा और दुनिया हरित हाइड्रोजन पर हमारे दृष्टिकोण का अनुसरण करेगी। जब वे स्वच्छ हाइड्रोजन कहते हैं, तो इन देशों का आशय प्राकृतिक गैस से बनी हाइड्रोजन होती है, जिसके परिणामस्वरूप प्रत्येक किलोग्राम हाइड्रोजन के लिए 11 किलोग्राम हाइड्रोजन का उत्सर्जन होता है। वे चाहते थे कि हम हरित हाइड्रोजन शब्द का उपयोग भी बंद कर दें, लेकिन हम अपनी बात पर दृड़ रहे। कुल मिलाकर विश्व इस दृष्टिकोण का पालन करेगा । उन्होंने आगे कहा कि  हम पर्यावरण में विश्वास करते हैं और  यही कारण है कि हम ऊर्जा परिवर्तन में अग्रणी बनकर उभरे हैं। ग्रीन हाइड्रोजन की ओर बढ़ने में हमारी प्रेरणा ऊर्जा-स्वतंत्र बनने और पर्यावरण के प्रति हमारी चिंता रही है।

केंद्रीय मंत्री ने वर्तमान में चल रही हरित हाइड्रोजन पायलट परियोजनाओं और इस दिशा में भारत द्वारा उठाए जा रहे कदमों की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि पोत परिवहन के क्षेत्र में दुनिया भर के देश कुछ पोत तैयार कर रहे हैं। लगभग 10 वर्षों के भीतर विश्व पोत परिवहन हरित हो जाएगा। इसलिए, हमें सभी हरित पोतों के लिए ईंधन भरने वाले गंतव्य के रूप में उभरना होगा, क्योंकि हम उन्हें न्यूनतम लागत पर हरित हाइड्रोजन या हरित अमोनिया या जो भी ईंधन वे चाहते हैं, प्रदान कर सकते हैं। हमें शिपयार्ड में बंकर तैयार करने होंगे और ग्रीन शिपिंग के लिए पायलट भी स्वयं ही रखने होंगे। हम इसे आगे बढ़ाने के लिए पोत परिवहन मंत्रालय के साथ बातचीत कर रहे हैं।

पायलट परियोजनाओं के लिए 1,466 करोड़ रुपये आवंटित
नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय के सचिव भूपिंदर एस. भल्ला ने कहा कि राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के वास्तविक आकर्षण वह पायलट परियोजनाएं हैं, जिन्हें 1,466 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। इसके अलावा इस्पात के लिए 456 करोड़ रुपये, परिवहन के लिए 495 करोड़ और पोत परिवहन के लिए 115 करोड़ रु एवं अन्य परियोजनाओं के लिए 400 करोड़ रुपये अलग से रखे गए हैं। 

 राष्ट्रीय हरित हाइड्रोजन मिशन के लिए अनुसंधान एवं विकास रोडमैप शीघ्र ही जारी किया जाएगा

भूपिंदर एस. भल्ला यह भी बताया कि मिशन के लिए अनुसंधान एवं विकास रोडमैप को लगभग अंतिम रूप दे दिया गया है और  इसे शीघ्र ही जारी किया जाएगा। उन्होंने आगे कहा कि हमने आवश्यक नियमों, संहिताओं और मानकों पर भी काम किया है। प्रासंगिक मानकों को अपनाने के लिए सिफारिशों का पहला सेट बीआईएस, पीईएसओ और ओआईएसडी जैसी एजेंसियों को भेज दिया है। भारत ने अपने ग्रीन हाइड्रोजन मानक को भी अधिसूचित किया है जो कार्बन डाइऑक्साइड मिशन को 2 किलोग्राम से कम या उसके बराबर हाइड्रोजन तक सीमित करता है।

हाइड्रोजन होगा भविष्य के लिए ईंधन

NTPC के CMD गुरदीप सिंह कहा कि हाइड्रोजन भविष्य के लिए ईंधन बनने जा रहा है और विशेष रूप से हरित हाइड्रोजन हमारे ऊर्जा परिवर्तन में मुख्य भूमिका निभाएगा। उन्होंने कहा कि न केवल सार्वजनिक क्षेत्र, बल्कि निजी क्षेत्र भी हरित हाइड्रोजन में पायलट परियोजनाओं को लागू कर रहा है, जो आगे चलकर हरित हाइड्रोजन पारिस्थितिकी तंत्र तैयार करने में सहायक होगा।

सम्मेलन के प्रतिभागियों को पायलट नवाचारों को देखने और स्वच्छ ऊर्जा के भविष्य में मूल्यवान अंतर्दृष्टि प्राप्त करने का अवसर मिला।

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आखरी अपडेट: 19th Sep 2024