ऐसे व्यक्ति और मीडिया आउटलेट्स, जो घरेलू और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत के खिलाफ लगातार फर्जी प्रचार करते हैं, उनकी झूठ को उजागर कर सच्चाई बताना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है। यह बात केंद्रीय मंत्री सूचना और प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर ने कल बृहस्पतिवार (16 नवंबर) को राष्ट्रीय प्रेस दिवस के अवसर पर प्रेस काउंसिल ऑफ इंडिया (PCI) के कार्यक्रम को संबोधित करते वक्त कही। इस कार्यक्रम की अध्यक्षता भारतीय प्रेस परिषद की अध्यक्ष न्यायमूर्ति रंजना प्रकाश देसाई ने की।
भारतीय प्रेस परिषद द्वारा 'आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) के दौर में मीडिया' विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम में ठाकुर ने कहा कि आज जिम्मेदार पत्रकारिता के लिए हमारी सामूहिक प्रतिबद्धता की पुष्टि का दिन है। उन्होंने कहा कि अब से कुछ ही वर्षों में भारत तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है, इसलिए उन्हें आशा है कि मीडिया केवल भारत के परिवर्तन की कहानी को ही नहीं, बल्कि उसके विभिन्न सूबों और क्षेत्रों के अरबों लोगों की आशाओं, आकांक्षाओं पर भी प्रकाश डालने में तेजी से रचनात्मक भूमिका निभाएगा।
AI की सीमाओं को पहचानना महत्वपूर्ण
अनुराग ठाकुर ने कहा कि “हम इतिहास में एक ऐसे महत्वपूर्ण दौर में हैं, जो उन्नत टेक्नोलॉजी द्वारा तेज़ गति से संचालित वैश्विक विकास का साक्षी बन रहा है। डिजिटल युग ने एक नए युग का सूत्रपात किया है, जहां समाचार सामग्री तैयार करने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का तेजी से उपयोग किया जा रहा है। यद्यपि एआई समाचार रिपोर्टिंग में निस्संदेह एक नया आयाम जोड़ती है, लेकिन इसकी सीमाओं को पहचानना भी महत्वपूर्ण है।”
AI की बढ़ती महत्वपूर्ण भूमिका के बारे में बताया
समाचार जुटाने और समाचार प्रसार के क्षेत्र में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस की बढ़ती महत्वपूर्ण भूमिका की सराहना करते हुए सूचना और प्रसारण मंत्री ने उल्लेख किया कि संपादक के पास जो वर्षों के अनुभव, संदर्भ और निरीक्षण की बारीकियां हैं, वह हमेशा एआई से एक कदम आगे रहेंगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि एआई मॉडल अपने प्रशिक्षण डेटा से पूर्वाग्रह न अपनाएं, ताकि मीडिया की सत्यनिष्ठा से समझौता न हो। इन चुनौतियों को प्रभावी ढंग से हल करना और इनमें कमी लाना, पत्रकारिता की सत्यनिष्ठा को बनाए रखने के लिए आवश्यक सावधानी बरतना और मीडिया में एआई का जिम्मेदार उपयोग सुनिश्चित करना हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है।
भारत का मीडिया इसकी सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतिबिंब
उन्होंने आगे कहा कि भारत के चित्रण और उसके मीडिया के संबंध में कुछ पश्चिमी पूर्वाग्रहों द्वारा लगातार प्रचारित की जा रही गलत धारणाओं को दूर करना महत्वपूर्ण है। औपनिवेशिक खुमारी अक्सर धारणाओं को विकृत कर देती है, लेकिन हम दावा करते हैं कि हमारा मीडिया परिदृश्य गतिशील, चिंतनशील है और अपने गुणों पर आधारित है। भारत का मीडिया इसकी सांस्कृतिक समृद्धि का प्रतिबिंब है और हमें वैश्विक विमर्श में इसके योगदानों पर गर्व करना चाहिए। उन्होंने जोर देकर कहा कि भारत अपने यहां जीवंत और स्वतंत्र प्रेस का दावा करता है जो विविध मतों और विचारों के लिए मंच प्रदान करती है।
भारतीय मीडिया को हमारे राष्ट्र के हितों की रक्षा करनी चाहिए
अनुराग ठाकुर ने कई अन्य व्यवसायों के साथ-साथ आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के युग में प्रवेश कर चुके मीडिया को आगाह करते हुए कहा कि हम एक ऐसी दुनिया में रहते हैं जहां एक बटन दबाकर गलत सूचना को बढ़ा-चढ़ाकर फैलाया जा सकता है। हमारी सरकार मीडिया को एक विवेकशील दृष्टिकोण अपनाने, सनसनी फैलाने के नुकसान से बचने और हमारे समाज के ताने-बाने को नुकसान पहुंचाने वाली धारणाओं से दूर रहने के लिए प्रोत्साहित करती है। उन्होंने इस बात पर बल देते हुए कहा कि भारतीय मीडिया को हमारे राष्ट्र के हितों की रक्षा करनी चाहिए और हमारी प्रिय एकता और अखंडता को खतरे में डालने वाले भारत विरोधी विचारों को स्थान देने से बचना चाहिए।
पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों की बढ़ गई हैं ज़िम्मेदारियां
इससे पहले इस अवसर पर मुख्य अतिथि के तौर पर उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने कार्यक्रम के विषय के बारे में अपने विचार रखते हुए कहा कि आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के आगमन ने हमारे समाचार, सूचना और मनोरंजन को प्राप्त करने तथा उसका उपयोग करने के तरीके को बदल दिया है। एआई हमारे रोजमर्रा के जीवन का अभिन्न अंग बन गयी है। लकिन इसके साथ ही यह अपने साथ अपनी तरह की चुनौतियां और नैतिक सवाल लाई है जैसे कि गलत सूचना का प्रसार, डीप फेक, इको चैंबर का सृजन और लोकतांत्रिक प्रक्रिया को प्रभावित करने तथा समाज में अराजकता और अस्थिरता पैदा करने के लिए सूचना की माइक्रो टार्गेटिंग। उन्होंने कहा कि इन चुनौतियों का सामना करते हुए, पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों की ज़िम्मेदारियां बढ़ गई हैं, जिससे सच्चाई, सटीकता और जवाबदेही के सिद्धांतों के प्रति और भी अधिक प्रतिबद्धता की आवश्यकता होती है।
उपराष्ट्रपति धनखड़ ने यह भी कहा कि यद्यपि एआई में नुकसान पहुंचाने की क्षमता है, लेकिन हमें यह स्वीकार करना होगा कि यह तकनीक यहां रहेगी और हमें बदलते परिदृश्य के अनुरूप ढलना होगा, अपनी क्षमताओं को बेहतर बनाने के लिए एआई की परिवर्तनकारी क्षमता को एक उपकरण के रूप में नियोजित करना होगा, साथ ही इसके दुरुपयोग के विरुद्ध सुरक्षा भी प्रदान करनी होगी।