प्रतिक्रिया | Saturday, December 14, 2024

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29/11/23 | 11:02 am

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सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन : जानिए 41 श्रमवीरों को सकुशल निकालने की किनके कंधों पर थी जिम्मेदारी 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी की सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में फंसे 41 श्रमवीरों को बाहर निकालने के लिए रेस्क्यू ऑपरेशन में मंगलवार को बड़ी सफलता मिली। मंगलवार रात सिलक्यारा सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को सुरक्षित बाहर निकाल लिया गया है। ऐसे में इन श्रमवीरों की हिम्मत और हौसले को पूरी दुनिया सलाम कर रही है। साथ ही साथ उन बचावकर्मियों की भी खूब प्रशंसा हो रही है जिनके कंधों पर इन श्रमवीरों को सुरक्षित बाहर निकालने की बड़ी जिम्मेदारी थी।  

सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी 41 श्रमवीरों को मंगलवार रात करीब नौ बजे बाहर निकाल लिया गया। इस पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने इन श्रमवीरों और केंद्रीय राज्य मंत्री जनरल वीके सिंह (से.नि) ने बातचीत की और हालचाल जाना। उन्होंने श्रमिकों और रेस्क्यू अभियान में जुटे हुए कर्मियों के मनोबल और साहस की जमकर सराहना की। 

17 दिनों से कई टीमें बचाव अभियान में जुटी थीं

ज्ञात हो बीते 17 दिनों से जारी सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन में कई टीमें जुटी थीं। पहले ''ऑगर मशीन'' से सुरंग में पाइप डाला जा रहा था लेकिन लक्ष्य से 12 मीटर पहले ही बाधाएं आने की वजह से मशीन काम नहीं कर पाई। इसके बाद ''रैट माइनर्स'' की टीम को बुलाया गया जिसे आज दोपहर श्रमिकों को बाहर निकालने में सफलता मिली। 

सात मोर्चों पर हुई कसरत
 
सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर को हादसे वाले दिन से ही शुरू हुए बचाव में 20 नवंबर से विशेषज्ञों ने एक साथ सात मोर्चों पर राहत एवं बचाव के लिए कसरत शुरू की। केन्द्र और राज्य सरकार की 20 से अधिक एजेंसियां रात दिन बचाव कार्य में जुटी रहीं। सभी एजेंसियां, प्रधानमंत्री कार्यालय और केंद्रीय गृह मंत्रालय के साथ मिलकर त्वरित गति से तालमेल के साथ जरूरी निर्णय लेती रहीं।

वर्टिकल ड्रिलिंग कर निकास सुरंग बनाने की जिम्मेदारी

वर्टिकल ड्रिलिंग कर निकास सुरंग बनाने की जिम्मेदारी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएनएल) को सौंपी गई। एनडीएमए: एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी) समन्वय एजेंसी की भूमिका में रही। एजेंसी रेस्क्यू की निगरानी करने के साथ ही बाधाओं को दूर करने में मददगार बनी। एनडीएमए (नेशनल डिजास्टर मैनेजमेंट अथारिटी) समन्वय एजेंसी की भूमिका में रही। 

इनके निर्देशन पर हुआ ऑगर मशीन का संचालन

सिलक्यारा की तरफ से नेशनल हाइवेज एंड इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन (एनएचआइडीसीएल) के निर्देशन में ही अमेरिकन ऑगर मशीन का संचालन ट्रेंचलेस इंजीनियरिंग सर्विस की 24-सदस्यीय टीम कर रही थी। यह टीम 20 नवंबर को उत्तरकाशी पहुंची थी।

ओएनजीसी टास्क टीम को मिली वर्टिकल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी 

ओएनजीसी की योजना के तहत तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम लिमिटेड (ओएनजीसी) की टास्क टीम को बड़कोट की ओर से 325 मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग की जिम्मेदारी दी गई। आरवीएनएल को सिलक्यारा छोर पर दो स्थानों को वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए चुना गया। इनमें से एक स्थान पर लाइफ लाइन सुरंग बनाने की योजना बनी, जिसका जिम्मा रेल विकास निगम लिमिटेड (आरवीएनएल) को सौंपा गया। 

टिहरी हाइड्रो विकास निगम को मिला माइक्रो सुरंग बनाने का जिम्मा

सिलक्यारा की ओर से ऑगर मशीन से ड्रिलिंग में सफलता नहीं मिलने पर अभियान रुके नहीं, इसके लिए बड़कोट की ओर सुरंग के दूसरे छोर पर टिहरी हाइड्रो विकास निगम (टीएचडीसी) को सुरंग के निर्माणाधीन 483 मीटर हिस्से में माइक्रो सुरंग बनाने का जिम्मा दिया गया। 

ये संभाल रहे थे सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा 

जिला आपदा प्रबंधन,सेना और पुलिस,बीआरओ, सीमा सड़क संगठन (बीआरओ)'स्वास्थ्य विभाग,वाडिया हिमालय भूविज्ञान संस्थान, कोल इंडिया, बीएसएनएल, आईटीबीपी सुरंग के आसपास 65 हिमवीर सुरक्षा व्यवस्था का जिम्मा संभाले रहे थे।

एनडीआरएफ को मिली श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की जिम्मेदारी

सुरंग से श्रमिकों को सकुशल बाहर निकालने की जिम्मेदारी राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) को दी गई। एनडीआरएफ के 80 जवान अंदर फंसे श्रमिकों को बाहर लाने के लिए मोर्चे पर डट गए।

एसडीआरएफ ने श्रमिकों से कम्यूनिकेशन में निभाई अहम भूमिका

सुरंग के भीतर छह इंच मोटा पाइप पहुंचाने के बाद राज्य आपदा मोचन बल (एसडीआरएफ) ने ऑडियो कम्युनिकेशन किया गया। एसडीआरएफ के 50 जवान तैनात किए गए थे।

वायु सेना ने रेस्क्यू ऑपरेशन के लिए ऑगर मशीन लाने में की मदद 

वायु सेना के 15 नवंबर को वायु सेना के हरक्यूलिस विमान ने सिलक्यारा से 32 किमी दूर चिन्यालीसौड़ हवाई पट्टी पर 25 टन भारी अमेरिकन ऑगर मशीन उतारी। बैकअप के लिए दो दिन बाद इंदौर से मंगाई गई नई औगर मशीन भी वायु सेना के हरक्यूलिस विमान ने जौलीग्रांट पहुंचाई। इसके बाद वायु सेना की टीम विभिन्न मशीनें और पाइप पहुंचाने में जुटी रही।

गौरतलब है कि बीती 12 नवंबर को इस सिलक्यारा निर्माणाधीन सुरंग में मलबा गिरने से 41 श्रमिक फंस गए थे। इसमें विभिन्न राज्यों के कुल 41 श्रमिक शामिल थे। 

ये हैं श्रमिकों के नाम-

1. गब्बर सिंह नेगी, कोटद्वार।

2. पुष्कर, निवासी पिथौरागढ़

3. सोनू शाह निवासी ग्राम साहनी बिहार ।

4. वीरेंद्र किसकू, तेतरिया कटोरिया बिहार ।

5. सुशील कुमार, ग्राम चंदनपुर बिहार ।

6. सवाह अहमद, पेठर भोजपुर बिहार।

7. जयदेव परमानिक, हुगली पश्चिम बंगाल ।

8. मानिर तालुकदार, पश्चिम बंगाल ।

9. सेविक पखेरा, हरीनाखली पश्चिम बंगाल।

10. संजय, कोकराझार असम ।

11. राम प्रसाद, कोकराझार असम ।

12. विश्वजीत कुमार, सिमराधाव झारखंड ।

13. सुबोध कुमार, सिमराधाब झारखंड ।

14. अनिल बेदिया, खिराबेरा रांची झारखंड |

15. श्राजेंद्र बेदिया, खिराबेरा रांची झारखंड |

16. सुकराम, खिराबेरा रांची झारखंड ।

17. टिंकू सरदार, दुमरिया झारखंड ।

18. गुनोधर, बाराबोतला झारखंड ।

19. रणजीत, बाराबोतला झारखंड ।

20. रविंद्र, दुमरिया झारखंड ।

21. समीर, दुमरिया झारखंड ।

22. महादेव, सिंहभूम झारखंड ।

23. भुक्तू मुर्मु, बांकीसोल झारखंड ।

24. चमरा उरांव, लरता कुर्रा झारखंड |

25. विजय होरो, गुमड लरता झारखंड ।

26. गणपति, मदुगामा कुर्रा झारखंड ।

27. संजय, कोकराझार झारखंड ।

28. विशाल, मंडी हिमाचल प्रदेश।

29. धीरेन, बडाकुदर ओडिशा ।

30. विशेषर नायक, मयूरभंज ओडिशा ।

31. भगवन बत्रा, नवरंगपुर ओडिशा ।

32. तपन मंडल, सनकरसनापुर ओडिशा ।

33. राजू नायक, मयूरभंज ओडिशा ।

34. अखिलेश कुमार, मिर्जापुर उत्तरप्रदेश।

35. अंकित, मोतीपुर उत्तरप्रदेश।

36. राम मिलन, मोतीपुर उत्तरप्रदेश।

37. सत्यदेव, मोतीपुर उत्तरप्रदेश ।

38. संतोष, मोतीपुर उत्तरप्रदेश।

39. जय प्रकाश, मोतीपुर उत्तरप्रदेश।

40. राम सुंदर, मोतीपुर उत्तरप्रदेश।

41. दीपक कुमार पुत्र शत्रुघ्न पटेलबिहार के मुजफ्फरपुर निवासी।

28/11/23 | 11:00 am

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सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन में लगे “रैट-होल माइनर्स”,  वैकल्पिक मार्ग पर भी हो रहा काम 

उत्तराखंड के उत्तरकाशी में निर्माणाधीन सिल्क्यारा सुरंग में फंसे 41 श्रमिकों को बाहर निकालने के लिए “रैट-होल माइनर्स” ने काम शुरू कर दिया है। वहीं एक वैकल्पिक मार्ग भी तैयार किया जा रहा है जिसमें सुरंग में वर्टिकल ड्रिलिंग की जा रही है। 

कौन होते हैं रैट माइनर्स ?

“रैट-होल माइनर्स” टीम ने कल मैन्युअल ड्रिलिंग अभियान शुरू किया है। 24 अनुभवी “रैट-होल माइनिंग” विशेषज्ञों की एक टीम मैनुअल ड्रिलिंग प्रक्रिया में शामिल है। ये टीम अब सुरंग में फंसे श्रमिकों तक पहुंचने के लिए मलबा हटाने और रास्ता बनाने का काम करेगी। इसके लिए रैट माइनर्स सुरंग में फंसे हुए श्रमिकों की ओर एक संकीर्ण मार्ग की खुदाई करने में जुट गई है। बता दें सुरंग में फंसे श्रमिक रेस्क्यू टीम से महज 5 मीटर की दूरी पर हैं।  सबकुछ ठीक ठीक रहा तो बुधवार तक सुरंग में फंसे श्रमिकों को बाहर निकाल लिया जाएगा।

श्रमिकों तक पहुंचने के लिए वैकल्पिक मार्ग पर भी हो रहा काम 

ज्ञात हो, रेस्क्यू ऑपरेशन के दौरान प्रारंभिक ड्रिलिंग प्रयास एक बड़ी बरमा मशीन का उपयोग करके किए गए थे जो शुक्रवार को मलबे में फंस गई थी, जिससे अधिकारियों को वैकल्पिक तरीकों की तलाश करने के लिए प्रेरित किया गया। इसमें सुरंग के ऊपर से एक ऊर्ध्वाधर यानी वर्टिकल ड्रिलिंग भी की जा रही है। 86-मीटर वर्टिकल ड्रिलिंग का लगभग 40% कार्य पूरा हो चुका है। वर्टिकल ड्रिलिंग में पानी के रोडा बनने के कारण ड्रिलिंग में बाधा उत्पन्न हुई थी। उसे भी ठीक किया जा रहा है।

क्या कहते हैं टनलिंग विशेषज्ञ ?

राहत और बचाव अभियान पर माइक्रो टनलिंग विशेषज्ञ क्रिस कूपर कहते हैं, ” कल रात यह काम बहुत अच्छा हुआ। सुरंग में हम 50 मीटर पार कर चुके हैं। अब लगभग 5-6 मीटर जाना बाकी है…। कल रात हमारे सामने कोई बाधा नहीं आई। यह बहुत अच्छा लग रहा है । जल्दी श्रमिक सुरक्षित बाहर निकलेंगे।”

वहीं राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि वर्टिकल ड्रिलिंग ऑपरेशन पहले ही 36 मीटर की गहराई तक आगे बढ़ चुका है। बारिश के पूर्वानुमान और तापमान के 4 डिग्री सेल्सियस तक गिरने से उत्तराखंड के उत्तरकाशी में  ढही सिलक्यारा सुरंग के नीचे फंसे 41 निर्माण श्रमिकों को निकालने के लिए चल रहे बचाव अभियान में अतिरिक्त बाधाएं आ रही हैं।

उत्तरकाशी से लगभग 30 किलोमीटर और देहरादून से सात घंटे की ड्राइव पर स्थित, सिल्क्यारा सुरंग केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी चारधाम ऑल वेदर रोड परियोजना का एक अभिन्न अंग है।

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आखरी अपडेट: 14th Dec 2024