राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल ने आज मंगलवार को दिल्ली में ‘प्राचीन भारत का इतिहास’ पुस्तक के विमोचन कार्यक्रम के दौरान कहा कि भारतीय इतिहास को लेकर कोई सवाल नहीं उठा सकता है, यहां तक की भारत के आलोचक भी नहीं करते हैं।
भारत प्राचीनतम सभ्यताओं में से एक : अजीत डोभाल
डोभाल ने इस बात पर जोर दिया कि भारतीय इतिहास के बारे में कुछ ऐसे सवाल थे जिन पर आपके आलोचकों सहित किसी ने भी सवाल नहीं उठाया। पहली इसकी प्राचीनता है कि यह सबसे पुरानी सभ्यताओं में से एक है और शायद मानव जीवन विकसित हो चुका था और समाज ने खुद को बहुत ऊपर तक परिपूर्ण कर लिया था। अब, यह किसने किया? क्या वे मूल लोग थे या वे बाहर से आए थे , वे इसके बारे में पक्षपाती हो सकते हैं, लेकिन वे सभी मानते हैं कि यह प्राचीन सभ्यता है।’
भारतीय सभ्यता की दूसरी विशेषता का उल्लेख करते हुए डोभाल ने ‘निरंतरता’ पर बल दिया। उन्होंने कहा कि दूसरा निरंतरता है। यानी अगर इसकी शुरुआत 4000 या 5000 साल पहले हुई तो यह आज तक लगातार जारी है। उसमें कोई व्यवधान नहीं है। तीसरी विशेषता इसका विशाल विस्तार था। यह कोई छोटा-मोटा गांव नहीं था जो आपको किसी विकसित द्वीप या उस जैसी किसी जगह पर मिलता हो। यह ऑक्सस नदी से लेकर संभवतः दक्षिण पूर्व एशिया और अन्य स्थानों तक है, जहां सभ्यता के पदचिह्न स्पष्ट रूप से दिखाई देते हैं।
डोभाल ने आगे कहा कि ‘राष्ट्रीयता के सदस्य वे लोग हैं जो इतिहास की सामान्य समझ, अतीत में हमारे पूर्वजों की उपलब्धियों की सामान्य समझ और अपने भविष्य के लिए एक समान दृष्टि साझा करते हैं। इस विचार में विश्वास करने वाले सभी लोग हमारे राष्ट्र की एकता में योगदान देते हैं।
झेलम तक ही भारत की सीमा तक आया था सिकंदर
डोभाल ने कहा कि सिकंदर केवल झेलम तक ही भारत की सीमा तक आया और फिर आगे नहीं बढ़ पाया। उन्होंने कहा कि लेकिन, तथ्य यह है कि जब भारत का इतिहास, या पश्चिम का इतिहास बताया जाता है तो आपको पश्चिमी का पूरा इतिहास अलेक्जेंडर के इतिहास के बारे में मिलता है। एनएसए डोभाल ने बताया कि सबने इसका इतना बड़ा पहाड़ बना दिया, मानो सिकंदर के साथ दुनिया का इतिहास ही बदल गया हो।