प्रतिक्रिया | Saturday, September 07, 2024

17/08/24 | 12:39 pm

भारत ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव और क्षमताएं साझा करने के लिए प्रतिबद्ध: प्रधानमंत्री

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने कहा कि भारत ग्लोबल साउथ के सभी देशों के साथ अपने अनुभव और अपनी क्षमताएं साझा करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्होंने कहा कि हम आपसी व्यापार, समावेशी विकास, सस्टेनेबल डवलपमेंट गोल्स की प्रगति, और महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास को बढ़ावा देना चाहते हैं, पिछले कुछ वर्षों में, इंफ्रास्ट्रक्चर, डिजिटल और एनर्जी कनेक्टिविटी से हमारे आपसी सहयोग को बढ़ावा मिला है।

पीएम मोदी ने शनिवार को वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन के उद्घाटन भाषण में सदस्य देशों को संबोधित किया। भारत वर्चुअल प्रारूप में तीसरे वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ शिखर सम्मेलन की मेजबानी कर रहा है। इस सम्मेलन के जरिए वैश्विक दक्षिण के देशों को एक मंच मिलता है। इस मंच से सदस्य देश विभिन्न मुद्दों पर अपने दृष्टिकोण और प्राथमिकताओं को साझा कर सकते हैं। 

अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा कि “140 करोड़ भारतीयों की ओर से, तीसरी वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट में आप सभी का हार्दिक स्वागत है। पिछली दो सिमट में, मुझे आप में से कई साथियों के साथ मिलकर काम करने का अवसर मिला। मुझे अत्यंत ख़ुशी है कि इस वर्ष, भारत में आम चुनावों के बाद, एक बार फिर आप सबसे इस मंच पर जुड़ने का अवसर मिल रहा है।”

उन्होंने आगे कहा कि “2022 में, जब भारत ने G-20 अध्यक्षता संभाली, तो हमने संकल्प लिया था कि हम G-20 को एक नया स्वरूप देंगे। वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा मंच बना, जहाँ हमने विकास से संबंधित समस्याओं और प्राथमिकताओं पर खुलकर चर्चा की और भारत ने ग्लोबल साउथ की आशाओं, आकांक्षाओं और प्राथमिकताओं पर आधारित G-20 एजेंडा तैयार किया। एक समावेशी और विकास-केंद्रित दृष्टिकोण से G-20 को आगे बढ़ाया। इसका सबसे बड़ा उदाहरण वह ऐतिहासिक क्षण था, जब अफ्रीकन यूनियन ने G-20 में स्थायी सदस्यता ग्रहण की।”

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि आज हम ऐसे समय में मिल रहे हैं, जब चारों ओर अनिश्चितता का माहौल है। दुनिया अभी तक कोविड के प्रभाव से पूरी तरह बाहर नहीं निकल पाई है। दूसरी ओर युद्ध की स्थिति ने हमारी विकास यात्रा के लिए चुनौतियां खड़ी कर दी हैं। हम जलवायु परिवर्तन की चुनौतियों का सामना तो कर ही रहे हैं, और अब हेल्थ सिक्योरिटी, फ़ूड सिक्योरिटी, और ऊर्जा सिक्योरिटी की चिंताएं भी हैं। आतंकवाद और अलगाववाद हमारे समाजों के लिए गंभीर खतरा बने हुए हैं। टेक्नोलॉजी से जुड़ी नई आर्थिक और सामाजिक चुनौतियाँ भी सामने आ रही हैं। पिछले सदी में बने ग्लोबल गवर्नेंस और फाइनेंशियल संस्थान इस सदी की चुनौतियों से लड़ने में असमर्थ रहे हैं। यह समय की मांग है, कि ग्लोबल साउथ के देश एकजुट होकर, एक स्वर में, एक साथ खड़े रहकर, एक दूसरे की ताकत बनें। हम एक दूसरे के अनुभवों से सीखें और अपनी क्षमताओं को साझा करें। मिलकर अपने संकल्पों को सिद्धि तक लेकर जाएं, मिलकर दो-तिहाई मानवता को मान्यता दिलाएं।

अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि मिशन लाइफ के अंतर्गत, हम न केवल भारत में, बल्कि पार्टनर देशों में भी रूफटॉप सोलर और रिन्यूएबल पावर जनरेशन को प्राथमिकता दे रहे हैं। हमने वित्तीय समावेशन के अपने अनुभव को साझा किया है। ग्लोबल साउथ के विभिन्न देशों को UPI से जोड़ने की पहल की है। शिक्षा, क्षमता निर्माण और कौशल के क्षेत्रों में हमारी पार्टनरशिप में महत्वपूर्ण प्रगति हुई है। पिछले वर्ष ग्लोबल साउथ यंग डिप्लोमैट फोरम की भी शुरुआत की गई और, ‘दक्षिण’ यानी ग्लोबल साउथ एक्सीलेंस सेंटर, हमारे बीच क्षमता निर्माण, कौशल विकास और नॉलेज शेयरिंग पर काम कर रहा है।

पीएम ने कहा कि हेल्थ सिक्योरिटी के लिए हमारा मिशन है – One World-One Health और हमारा विज़न है – “आरोग्य मैत्री”। हमने अफ्रीका और पैसिफिक आइलैंड देशों में अस्पताल, डायलिसिस मशीनें, जीवन-रक्षक दवाएँ और जन औषधि केंद्रों के सहयोग से इस मित्रता को निभाया है। मानवीय संकट के समय, भारत एक प्रथम उत्तरदाता की तरह अपने मित्र देशों की सहायता कर रहा हैं। चाहे पापुआ न्यू गिनी में ज्वालामुखी फटने की घटना हो, या कीनिया में बाढ़ की घटना। हमने गाजा और यूक्रेन जैसे टकराव क्षेत्रों में भी मानवीय सहायता प्रदान की है।

सदस्य देशों को संबोधित करते हुए पीएम मोदी ने कहा कि वॉयस ऑफ ग्लोबल साउथ समिट एक ऐसा प्लेटफार्म है जहाँ हम उन लोगों की आवश्यकताओं और आकांक्षाओं को आवाज़ दे रहे हैं, जिन्हें अब तक अनसुना किया गया है। उन्होंने कहा कि मेरा मानना है कि हमारी ताकत हमारी एकता में है और इस एकता के बल पर हम एक नई दिशा की ओर बढ़ेंगे।

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आखरी अपडेट: 7th Sep 2024