प्रतिक्रिया | Saturday, December 07, 2024

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

भारत ने एक सप्ताह में लंबी दूरी की दो मिसाइलों का किया परीक्षण, मिसाइलों की रेंज विस्तारित दूरी की ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से भी अधिक

भारत ने एक सप्ताह के भीतर लंबी दूरी की दो मिसाइलों का कामयाबी के साथ परीक्षण करके एयरोस्पेस की दुनिया में अपनी बढ़ती ताकत का एहसास करा दिया है। भारतीय सशस्त्र बलों के इस्तेमाल में आने वाली यह दोनों सबसे लंबी दूरी की पारंपरिक मिसाइलें होंगी, जिनकी रेंज विस्तारित रेंज वाली ब्रह्मोस सुपरसोनिक मिसाइल से भी अधिक होगी। भारत को अब एक शक्तिशाली रॉकेट फोर्स की जरूरत है, जिसके लिए गाइडेड पिनाका रॉकेट सभी 12 परीक्षण पूरे होने के बाद अब 44 सेकंड में 60 किमी. दूर तक सात टन तक विस्फोटक से हमला करने में सक्षम हो गया है।

हाइपरसोनिक और सबसोनिक नौसेना मिसाइलों का पहला परीक्षण
भारत ने इसी माह लंबी दूरी की हाइपरसोनिक और सबसोनिक नौसेना मिसाइलों के पहले परीक्षण किये हैं। सबसोनिक लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआरएलएसीएम) और हाइपरसोनिक लंबी दूरी की एंटी-शिप मिसाइल (एलआरएएसएचएम) दोनों ही सुपरसोनिक ब्रह्मोस मिसाइल की पूरक होंगी, जो वर्तमान में भारतीय नौसेना का प्राथमिक स्ट्राइक हथियार है। भारत के रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने 12 नवंबर को ओडिशा के चांदीपुर स्थित एकीकृत परीक्षण रेंज (आईटीआर) से मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर से लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल (एलआरएलएसीएम) का पहला उड़ान परीक्षण किया।

सभी उप-प्रणालियों ने प्राथमिक मिशन उद्देश्यों को पूरा किया
इस दौरान सभी उप-प्रणालियों ने उम्मीद के मुताबिक प्रदर्शन करके प्राथमिक मिशन उद्देश्यों को पूरा किया। आईटीआर के विभिन्न स्थानों पर तैनात राडार, इलेक्ट्रो ऑप्टिकल ट्रैकिंग सिस्टम और टेलीमेट्री जैसे कई रेंज सेंसर के जरिए मिसाइल के प्रदर्शन की निगरानी की गई। ओडिशा तट पर परीक्षण को डीआरडीओ प्रयोगशालाओं के वरिष्ठ वैज्ञानिकों के साथ-साथ तीनों सेनाओं के प्रतिनिधियों, सिस्टम के उपयोगकर्ताओं ने देखा। एलआरएलएसीएम को मोबाइल आर्टिकुलेटेड लॉन्चर का उपयोग करके जमीन से लॉन्च करने के लिए कॉन्फ़िगर किया गया है। इसे यूनिवर्सल वर्टिकल लॉन्च मॉड्यूल सिस्टम का उपयोग करके फ्रंटलाइन जहाजों से भी लॉन्च किया जा सकता है।

स्वदेशी रूप से विकसित
डीआरडीओ के मुताबिक मिसाइल ने वे पॉइंट नेविगेशन का उपयोग करके विभिन्न ऊंचाइयों और गति पर उड़ान भरते हुए विभिन्न युद्ध अभ्यास करने की अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया। मिसाइल बेहतर और विश्वसनीय प्रदर्शन सुनिश्चित करने के लिए उन्नत एवियोनिक्स और सॉफ्टवेयर से भी लैस है। एलआरएलएसीएम को बेंगलुरु के एयरोनॉटिकल डेवलपमेंट इस्टैब्लिशमेंट ने डीआरडीओ की अन्य प्रयोगशालाओं और भारतीय उद्योगों के योगदान के साथ विकसित किया है। हैदराबाद का भारत डायनामिक्स लिमिटेड और बेंगलुरु का भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड इस मिसाइल प्रणाली के विकास और उत्पादन में भागीदार हैं। दोनों संस्थान मिसाइल के विकास और एकीकरण में लगे हुए हैं।

16 नवंबर को पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल का सफल परीक्षण
इसके बाद डीआरडीओ ने 16 नवंबर की देर रात ओडिशा के तट पर डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम द्वीप से भारत की पहली लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल की उड़ान का सफल परीक्षण किया। उड़ान परीक्षण के दौरान मिसाइल ने सफल टर्मिनल युद्ध अभ्यास किया और उच्च स्तर की सटीकता के साथ हमला किया। रक्षा मंत्रालय के अनुसार इस मिसाइल को सशस्त्र बलों के लिए 1,500 किलोमीटर से अधिक की दूरी तक विभिन्न विस्फोटक सामग्री ले जाने के लिए डिजाइन किया गया है। इस मिसाइल को कई डोमेन में तैनात विभिन्न रेंज प्रणालियों द्वारा ट्रैक किया गया। इस मिसाइल को हैदराबाद स्थित डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम मिसाइल कॉम्प्लेक्स की प्रयोगशालाओं तथा डीआरडीओ की विभिन्न प्रयोगशालाओं और उद्योग भागीदारों ने देश में ही विकसित किया है।

रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने दोनों मिसाइलों के सफल उड़ान परीक्षण को भारत के लिए ऐतिहासिक उपलब्धि बताया। लॉन्ग रेंज लैंड अटैक क्रूज मिसाइल के परीक्षण पर उन्होंने कहा कि इससे भविष्य में स्वदेशी क्रूज मिसाइल विकास कार्यक्रमों का मार्ग प्रशस्त होगा। उन्होंने लंबी दूरी की हाइपरसोनिक मिसाइल के परीक्षण पर डीआरडीओ, सशस्त्र बलों और उद्योग को बधाई देते हुए कहा कि इससे भारत ऐसे चुनिंदा देशों के समूह में शामिल हो गया है, जिनके पास ऐसी महत्वपूर्ण और उन्नत सैन्य तकनीक हैं।

कॉपीराइट © 2024 न्यूज़ ऑन एयर। सर्वाधिकार सुरक्षित
आगंतुकों: 12662373
आखरी अपडेट: 7th Dec 2024