केंद्र सरकार के स्तर से भूकंप से जुड़े जोखिमों को कम करने के लिए कई उपाय किए गए हैं। इनमें भूकंप का समय पर पता लगाने और अलर्ट का प्रसार सुनिश्चित करने के लिए भूकंपीय निगरानी नेटवर्क का विस्तार, विशेष रूप से उच्च जोखिम वाले क्षेत्रों में भूकंप-रोधी डिजाइन और निर्माण के लिए बीआईएस द्वारा बिल्डिंग कोड निर्दिष्ट करना, भूकंप की तैयारी के बारे में जनता को शिक्षित करने के लिए जागरूकता और प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित करना है। इसमें गृह मंत्रालय के तहत राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) और राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान (एनआईडीएम) द्वारा अभ्यास और जागरूकता अभियान और राज्य और जिला स्तर पर आपातकालीन प्रतिक्रिया और आपदा प्रबंधन योजनाएं विकसित करना शामिल है।
केंद्रीय विज्ञान और प्रौद्योगिकी और पृथ्वी विज्ञान राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) डॉ. जितेंद्र सिंह ने बताया कि पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय के अंतर्गत राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र (एनसीएस) 166 स्टेशनों के राष्ट्रीय भूकंपीय नेटवर्क के माध्यम से देशभर में भूकंपीय गतिविधियों की निगरानी और रिपोर्ट करता है। भूकंपों का विवरण एनसीएस की वेबसाइट (seismo.gov.in) पर उपलब्ध है। देश को प्रभावित करने वाले लगातार भूकंपों के विज्ञान को समझने के लिए कई अध्ययन किए गए हैं। इसमें स्थानीय साइट प्रभावों, भूकंप की घटनाओं के रुझान विश्लेषण आदि को समझने के लिए चयनित शहरी क्षेत्रों में किए गए विस्तृत भूकंपीय माइक्रोजोनेशन अध्ययन शामिल हैं। अब तक दिल्ली, कोलकाता, गंगटोक, गुवाहाटी, बेंगलुरु, भुवनेश्वर, चेन्नई, कोयंबटूर और मैंगलोर के लिए इस तरह के माइक्रोज़ोनेशन पूरे हो चुके हैं।
इसके अलावा भूकंपीय पैटर्न और स्रोत प्रक्रियाओं की बेहतर समझ के लिए राष्ट्रीय भूकंप विज्ञान केंद्र, पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय द्वारा ऐतिहासिक भूकंपों का निरंतर डेटा संग्रह और विश्लेषण किया जाता है। इसके अतिरिक्त ऐतिहासिक भूकंपीयता के आधार पर भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) ने भारत का एक भूकंपीय ज़ोनिंग मानचित्र विकसित किया है, जो शहरी नियोजन और निर्माण प्रथाओं के लिए एक महत्वपूर्ण पहलू और भूकंप के जोखिम के आधार पर क्षेत्रों को वर्गीकृत करता है।