जनजातीय गौरव दिवस के उत्सव ने जनजातीय लोगों के सर्वांगीण विकास की पहल को नई गति प्रदान की है, यह बात केंद्रीय जनजातीय मंत्री अर्जुन मुंडा ने राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (NTRI) में मुख्य अतिथि के रूप में आदि-व्याख्यान कार्यक्रम के उद्घाटन के बाद अपने संबोधन में कही। एनटीआरआई ने जन जातीय गौरव दिवस के सप्ताह भर चलने वाले समारोह के हिस्से के रूप में 22 नवंबर को नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान परिसर में भारत के विभिन्न राज्यों से भाग लेने वाले जनजातीय विचारकों, लेखकों और नेताओं के दृष्टिकोण से जनजातीय विकास पर एक सम्मेलन आदि-व्याख्यान का आयोजन किया। अर्जुन मुंडा ने इस मौके पर कहा कि नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया गया है।
कार्यक्रम के दौरान केंद्रीय मंत्री ने जनजातीय पद्म पुरस्कार विजेता उषा बारले जी (पंडवानी गायिका), पद्मश्री प्रोफेसर जनम सिंह सोय, झारखंड (भाषा संरक्षक – हो) और प्रमुख आदिवासी उपलब्धि प्राप्तकर्ताओं को सम्मानित किया।
इस अवसर ने जनजातीय मुद्दों पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित किया
अर्जुन मुंडा ने इस अवसर पर अपने संबोधन में कहा कि यह पीएम मोदी का विज़न है कि हम जनजातीय गौरव को चिह्नित करने के लिए प्रत्येक वर्ष 15 नवंबर को जन जातीय गौरव दिवस मना रहे हैं। मुंडा ने कहा कि यह एक ऐतिहासिक अवसर है जिसने जनजातीय मुद्दों पर नए सिरे से ध्यान केन्द्रित किया है और यह देश में जनजातीय लोगों के भविष्य को नई दिशा देगा। उन्होंने कहा कि हालांकि 15 नवंबर हमेशा जनजातीय लोगों के लिए एक महत्वपूर्ण दिन रहा है लेकिन अब पीएम मोदी के नेतृत्व में इसने एक नई कहानी शुरू करने में सहायता की है और जनजातीय समुदाय के सर्वांगीण विकास और कल्याण के लिए पहल को नई गति प्रदान की है।
केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि आज का आदि-व्याख्यान बहुआयामी कार्यक्रम है जो जनजातीय विचारकों, नेताओं और लेखकों के दृष्टिकोण से जनजातीय जीवन, संस्कृति, भाषा और आजीविका के विभिन्न पहलुओं को देखता है। उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ यह एक अवसर का प्रतिनिधित्व करता है, दूसरी तरफ यह चर्चा करने और आगे का रास्ता तय करने की चुनौती भी प्रस्तुत करता है।
नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर बल
केंद्रीय मंत्री ने जनजातीय भाषाओं के बारे में बात करते हुए कहा कि जब नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाई गई तो इस बात पर बल दिया गया कि स्थानीय क्षेत्रों में बोली जाने वाली जनजातीय भाषाओं और बोलियों को भी उचित स्थान दिया जाना चाहिए। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति में जनजातीय भाषाओं के संरक्षण और संवर्धन पर बल दिया गया है।
आदिवासी लोगों के लिए शुरू की गई बहुत महत्वपूर्ण पहल
अर्जुन मुंडा ने इस मौके पर बताया कि हाल के वर्षों में सरकार द्वारा आदिवासी लोगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण पहल शुरू की गई है। इन पहलों में 24000 करोड़ रुपये का पीवीटीजी (PVTG) मिशन, आदि आदर्श ग्राम योजना (Aadi Adarsh Gram Yojana), सिकल सेल मिशन (Sickle Cell Mission) और 740 एकलव्य मॉडल स्कूलों की स्थापना शामिल है। उन्होंने कहा कि एक शीर्ष संस्थान के रूप में नई दिल्ली में राष्ट्रीय जनजातीय अनुसंधान संस्थान (National Tribal Research Institute), अब जमीनी स्तर की रिसर्च के आधार पर जनजातीय समुदायों के लिए यथार्थवादी नीति निर्माण के लिए सुझाव प्रदान करके इस निर्णय लेने को और अधिक गति देगा। उन्होंने आगे कहा कि यह राज्यों में स्थित 27 जनजातीय अनुसंधान संस्थानों के कामकाज के लिए एक समग्र विज़न दृष्टिकोण भी प्रदान करेगा।
बिरसा मुंडा के किए गए बलिदान पर गर्व
जनजातीय कार्य मंत्री ने कार्यक्रम में उपस्थित बड़ी संख्या में जनजातीय प्रतिभागियों से आदिवासी कल्याण और विकास की योजनाओं का स्वामित्व लेकर और अंतिम व्यक्ति तक उनके लाभों की पहुंच सुनिश्चित करने की बात कही। साथ ही उन्होंने भगवान बिरसा मुंडा और उनके द्वारा किए गए बलिदान पर गर्व करने का आह्वान किया। अर्जुन मुंडा ने जनजातीय स्टालों का दौरा भी किया और प्रदर्शनों में गहरी रुचि दिखाते हुए जनजातीय कारीगरों के साथ बातचीत भी की।