उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए शुक्रवार 24 नवंबर से बंद पड़ा रेस्क्यू ऑपरेशन आज फिर से शुरू हो गया है। सुरंग में मैनुअल ड्रिलिंग के लिए सेना को बुला लिया गया है। दरअसल मजदूरों की लोकेशन से महज 10 मीटर पहले अमेरिकी ऑगर मशीन की ब्लेड्स टूट गई थी, इस वजह से रेस्क्यू रोकना पड़ा था। इसके बाद मशीन के बजाय मैनुअल ड्रिलिंग कराने का फैसला किया गया है।
मैनुअल ड्रिलिंग से पहले ऑगर मशीन के फंसे हुए शाफ्ट और ब्लेड्स को निकालना होगा। एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर मशीन के टुकड़े सावधानी से नहीं निकाले गए तो इससे सुरंग में बिछाई गई पाइपलाइन टूट सकती है। इसे निकालने के लिए हैदराबाद से प्लाज्मा कटर मंगाया गया है। साथ ही टनल में फोन की लैंडलाइन भी डाली जाएगी। इससे मजदूर अपने परिवार से बात कर सकेंगे।
अब प्लान B के तहत वर्टिकल ड्रिलिंग भी शुरू
इस बीच आज टनल के ऊपर से वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के किए तैयारियां तेज कर दी गई हैं। आज शाम तक इस पर काम शुरू हो सकता है। इस काम को सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड (SVNL) अंजाम देगा। हालांकि, यह कार्य जोखिम भरा है, क्योंकि नीचे टनल में मजदूर हैं। ऊपर से बड़ा होल कर नीचे जाने के लिए रास्ता बनाया जाएगा, इसमें काफी मलबा गिरने की आशंका है। इसमें भी कितना वक्त लगेगा, यह तय नहीं है। वर्टिकल ड्रिलिंग प्रक्रिया काफी तेजी से चल रही है, मशीन ने पिछले 1.5 घंटों में 8 मीटर से अधिक ड्रिलिंग की है। जिस पाइप से श्रमिकों को बाहर निकाला जाएगा, उसे बिछाने का काम अभी चल रहा है
हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग क्यों रुकी
दरअसल, 21 नवंबर से सिलक्यारा की तरफ से टनल में हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही थी। इसमें काफी हद कामयाबी मिली। 60 मीटर के हिस्से में से 47 मीटर तक ड्रिलिंग के जरिए पाइप डाला जा चुका है। मजदूरों तक करीब 10-12 मीटर की दूरी रह गई थी, लेकिन शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग मशीन के सामने सरिए आ जाने से ड्रिलिंग मशीन की शाफ्ट उसमें फंस गई। जब मशीन से और प्रेशर डाला गया तो शाफ्ट टूट गई। इसका कुछ हिस्सा तोड़कर निकाला गया, लेकिन बड़ा हिस्सा अभी भी वहां अटका हुआ है। इसे मैनुअल ड्रिलिंग कर निकाला जाएगा, फिर आगे खुदाई की जाएगी। दरअसल, पाइप में एक ही व्यक्ति जा सकता है और खुदाई कर सकता है। इसलिए, ऐसा करने में ज्यादा वक्त लग सकता है।