प्रतिक्रिया | Monday, September 09, 2024

04/09/24 | 3:50 pm

किरेन रिजिजू ने पश्चिम बंगाल सरकार के दुष्कर्म रोधी विधेयक ‘अपराजिता कानून’ पर उठाए सवाल

पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में नौ अगस्त को एक प्रशिक्षु महिला डॉक्टर के साथ दुष्कर्म और हत्याकांड के बाद लाए गए बलात्कार रोधी विधेयक पर संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू ने पश्चिम बंगाल की ममता सरकार के दुष्कर्म रोधी विधेयक अपराजिता कानून पर सवाल उठाए हैं। केंद्रीय मंत्री रिजिजू ने एक्स पोस्ट में 2018 का एक पत्र अपलोड किया है और इसमें महिला अपराधों पर प्रभावी कार्रवाई की जिक्र है। किरेन रिजिजू ने एक्स पर लिखा मुझे दुख है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अपने सबसे पवित्र कर्तव्य की अनदेखी की।

उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल विधानसभा ने सर्वसम्मति से मंगलवार (3, सितंबर) को बलात्कार रोधी विधेयक पारित किया गया है । इसमें यदि पीड़िता की मौत हो जाती है या ‘कोमा’ में जाने की स्थिति हो जाती है तो दोषियों के लिए मृत्युदंड का प्रावधान किया गया है।

किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया एक्स पर पत्र साझा करते हुए लिखा, “मुझे दुख है कि पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ने महिलाओं और बच्चों को त्वरित न्याय प्रदान करने के अपने सबसे पवित्र कर्तव्य की अनदेखी की। यह पत्र 2021 का है, जिसमें सारी बाते स्पष्ट है। 2018 में बलात्कार और हत्या जैसे खतरनाक अपराधों से निपटने के लिए संसद द्वारा एक कड़ा कानून पारित किया गया था। इस पर राज्य सरकारों को कार्रवाई करनी चाहिए।”

‘अपराजिता महिला एवं बाल विधेयक (पश्चिम बंगाल आपराधिक कानून एवं संशोधन) विधेयक 2024′ का उद्देश्य बलात्कार और यौन अपराधों से संबंधित नए प्रावधानों के जरिये महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा मजबूत करना है। गौरतलब हो पश्चिम बंगाल के बारे में मई 2021 की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि 28 हजार से भी ज्यादा दुष्कर्म और हत्या के मामले लंबित है।

केंद्रीय मंत्री के सोशल मीडिया एक्स पर संदर्भित पत्र के अनुसार, बच्चों और महिलाओं की सुरक्षा की जिम्मेदारी केंद्र और राज्य सरकारों की है। राज्य सरकारें अपने तरीके से किसी भी समस्या का समाधान निकालें। जिससे जल्द से जल्द न्याय हो सके। न्याय के लिए राज्य सरकार की सहायता भी की जाएगी।

दरअसल आरजी कर कांड के बाद जारी विरोध प्रदर्शन के दबाव में पश्चिम बंगाल सरकार ने राज्य विधानसभा का दो-दिवसीय विशेष सत्र दो सितम्बर से आहूत किया। इसी में यह विधेयक पारित किया गया है।

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आखरी अपडेट: 9th Sep 2024