भारतीय अंतरिक्ष और अनुसंधान संगठन (इसरो) के अध्यक्ष एस. सोमनाथ ने शनिवार को एक महत्वपूर्ण जानकरी साझा करते हुए बताया कि भारत के पहले सौर मिशन आदित्य एल1 लैग्रेंजियन पॉइंट (एल1) पर 6 जनवरी, 2024 को सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया जाएगा। हांलाकि इसरो प्रमुख ने अंतरिक्षयान को कितने बजे प्रक्षेपित किया जाएगा अभी निर्धारित नहीं किया गया है।
बीते शनिवार को इसरो प्रमुख व भाजपा नेता रीवाबा जाडेजा के साथ छात्र संसद द्वारा आयोजित 7वें राष्ट्रीय सम्मेलन में भाग लिया इस दौरान उन्होंने यह जानकारी साझा की। इसरो प्रमुख एस सोमनाथ ने बताया कि चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव के पास चंद्रयान-3 की सफल सॉफ्ट लैंडिंग के बाद, इसरो ने देश का पहला सौर मिशन – आदित्य-एल1, 2 सितंबर को श्रीहरिकोटा में धवन अंतरिक्ष केंद्र से लॉन्च किया था, जो अपने सफल लैंडिग के बहुत करीब है।
आदित्य एल 1 में लगे दो अत्याधुनिक उपकरणों SWIS और STEPS ने अपना काम शुरू किया
हाल ही में इसरो ने बताया कि सोलर विंड आयन स्पेक्ट्रोमीटर (स्विस), पहले सौर मिशन आदित्य एल1 के आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एसपेक्स) नामक दूसरा उपकरण भी काम करने लगा। इसरो ने बताया हिस्टोग्राम 2 दिनों में स्विस द्वारा खींचे गए फोटो में प्रोटॉन और अल्फा कण गणना में ऊर्जा भिन्नता के बारे में जानकारी दी । इसरो द्वारा जारी एक बयान के मुताबिक भारत के आदित्य-एल1 उपग्रह पर आदित्य सोलर विंड पार्टिकल एक्सपेरिमेंट (एसपेक्स) पेलोड सामान्य रूप से काम कर रहा है। ASPEX में दो अत्याधुनिक उपकरण जिनमें सौर पवन आयन स्पेक्ट्रोमीटर (SWIS) और STEPS (सुप्रा थर्मल और ऊर्जावान कण स्पेक्ट्रोमीटर) शामिल हैं।
STEPS नामक उपकरण 10 सितंबर, 2023 को ही चालू हो गया था, जबकि SWIS उपकरण 2 नवंबर, 2023 को सक्रिय हुआ और पूरी क्षमता व दक्षता के साथ काम कर रहा है। इसरो ने आगे कहा कि ASPEX ने सौर पवनों के आयनों का माप शुरू कर दिया है। इसरो ने बताया कि आदित्य-एल1 में लगे स्पेक्ट्रोमीटर ने 29 अक्टूबर, 2023 को सौर ज्वालाओं के आवेग को आदित्य-एल1 अंतरिक्ष यान ने पहली सौर ज्वालाओं को रिकार्ड किया।
अंतरिक्षयान आदित्य एल1 सौर विस्फोट की घटनाओं के कारणों का लगाएगा पता
सौर ज्वाला अचानक होने वाली घटना है। सौर ज्वाला की स्थित में विद्युत चुम्बकीय स्पेक्ट्रम में रेडियो, ऑप्टिकल, यूवी, सॉफ्ट एक्स-रे, हार्ड एक्स-रे और गामा-रे तरंगदैर्ध्य किरणें बढ़े हुए ऊर्जा का उत्पादन करते हैं। इसरो ने अपने बयान में जानकारी दी थी कि आदित्य-एल1 मिशन न तो सूर्य पर उतरेगा और न ही सूर्य के करीब आएगा। यह रणनीतिक स्थान लैग्रेंजियन पॉइंट पर आदित्य-एल1 को बाधित हुए बिना लगातार सूर्य का निरीक्षण करने में सक्षम बनाएगा, जिससे वैज्ञानिकों को वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का आकलन करने की में मदद मिलेगी। अंतरिक्षयान आदित्य एल1 उन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं की पहचान करने में मदद करेगा जो सौर विस्फोट की घटनाओं को जन्म देती हैं।