दृढ़ता और कौशल विकास की एक अनूठी मिसाल पेश करते हुए वर्धा के संवागी मेघे मास्टर कॉलोनी के रहने वाले 41 वर्षीय प्रवीण थूल ने अपने छोटे से अचार के व्यवसाय को एक सफल उद्यम में बदल दिया। उनके इस बदलाव में महात्मा गांधी इंस्टीट्यूट फॉर रूरल इंडस्ट्रियलाइजेशन (एमजीआईआरआई) संस्थान ने बड़ी भूमिका निभाई।
प्रवीण को शुरुआत में अचार के उत्पादन और गुणवत्ता को बनाए रखने में चुनौतियों का सामना करना पड़ा इसके लिए प्रवीण ने “जिला उद्योग केंद्र, वर्धा” से सहायता ली,उन्होंने डॉ. अपराजिता वर्धन के विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में विभिन्न प्रकार के अचार में प्रवीण ने करीब एक साल अप्रैल 2015 से मार्च 2016 तक प्रशिक्षण हासिल कर 100 किलोग्राम की दैनिक क्षमता के साथ अचार का उत्पादन शुरू किया।
करीब 1.5 लाख रुपये तक है प्रवीण का मासिक टर्नओवर
आज प्रवीण का मासिक टर्नओवर करीब 1.5 लाख रुपये तक पहुंच गया है, जिससे उन्हें करीब 40-45 हजार रुपये के बीच मुनाफा होता है। चार व्यक्तियों को रोजगार प्रदान करते हुए प्रवीण की सफलता कौशल विकास और उद्यमिता की सकारात्मक कहानी बयां करती है।
मुद्रा ऋण योजना की मदद से प्रवीण ने खड़ा किया सफल उद्यम
सरकार द्वारा चलाये जा रहे मुद्रा ऋण योजना की मदद से प्रवीण ने स्थानीय और राज्य-स्तरीय “सुमेधा गृह उद्योग” ब्रांड नाम के तहत अपना उद्यम शुरू किया। प्रवीण कई प्रकार के अचार का उत्पादन करते हैं जिसमें आम, मिर्च, साइट्रस और गाजर के अचार में अच्छी खासी लोकप्रियता हासिल किया। प्रारंभिक उत्पादन चुनौतियों के बावजूद, एमजीआईआरआई ने प्रवीण को अचार निर्माण की जटिलताओं के माध्यम से मार्गदर्शन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। बता दें कि एमजीआईआरआई में बायो-प्रोसेसिंग और हर्बल डिवीजन से चल रही तकनीकी सहायता मुहैया कर उद्यमियों के व्यवसाय में निरंतर सफलता और वृद्धि सुनिश्चित में मदद करती है।