प्रतिक्रिया | Saturday, July 27, 2024

10/08/23 | 4:24 pm

आपराधिक न्याय प्रक्रिया में तेजी लाने के लिए सरकार ने दी फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं के निर्माण को मंजूरी 

भारत सरकार आपराधिक न्याय प्रक्रिया को तेज करने के लिए फॉरेंसिक के बुनियादी ढांचे को प्रोत्साहित करने की आवश्यकता के प्रति अत्यंत सजग है। सरकार ने फोरेंसिक क्षमताओं के आधुनिकीकरण के लिए एक योजना को मंजूरी दे दी है। यह साइबर-फोरेंसिक सहित आधुनिक मशीनरी और उपकरणों के साथ उच्च गुणवत्ता वाली फोरेंसिक विज्ञान सुविधाएं विकसित करने के लिए राज्यों व केंद्र शासित प्रदेशों को सहायता प्रदान करेगी। देश में नई सुविधाओं की स्थापना एक सतत प्रक्रिया और प्रत्येक राज्य व केंद्र शासित प्रदेश में मांग और आवश्यकताओं का एक कार्य है। इस तरह की फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में क्षमता वृद्धि से व्यापक और समन्वित तरीके से साइबर अपराधों से निपटने के लिए तंत्र मजबूत होगा।

किन राज्यों को मिली मंजूरी ? 

सरकार ने तकनीकी और इलेक्ट्रॉनिक साक्ष्यों की फोरेंसिक जांच के लिए 7 केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशालाओं में सुविधाओं के अलावा, 33 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं शुरू की हैं। जिन राज्यों में साइबर फोरेंसिक-सह-प्रशिक्षण प्रयोगशालाएं चालू की गई हैं उनमें आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, असम   बिहार, छत्तीसगढ़, गुजरात, हरियाणा, हिमाचल प्रदेश, केरल, कर्नाटक, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, मिजोरम, ओडिशा, सिक्किम, तेलंगाना, उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश, गोवा, मेघालय, नागालैंड, दादरा और नगर हवेली और दमन और दीव, पंजाब , त्रिपुरा, पुडुचेरी, चंडीगढ़, जम्मू-कश्मीर, राजस्थान, पश्चिम बंगाल, झारखंड, मणिपुर, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और दिल्ली हैं। डिजिटल धोखाधड़ी/साइबर फोरेंसिक के महत्वपूर्ण मामलों की जांच के लिए केंद्रीय फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला, हैदराबाद में एक राष्ट्रीय साइबर फोरेंसिक विज्ञान प्रयोगशाला स्थापित की गई है।

अपराध की बदलती दुनिया 

अपराध की दुनिया बहुत तेजी से बदल रही है। जाली मुद्रा व्यापार, हवाला लेनदेन, सीमा घुसपैठ, नशीले पदार्थ, साइबर अपराध और महिलाओं के खिलाफ अपराध में संलिप्त अपराधी पुलिस से आगे बढ़ रहे हैं और जब तक पुलिस अपराधियों से दो कदम आगे नहीं रहेगी, अपराध पर रोकथाम संभव नहीं है। आज के अपराधों को कल के उपकरणों का उपयोग करके हल नहीं किया जा सकता है। जब भी कोई वारदात होती है, तो उसके सभी पहलुओं की जांच करने में सबसे ज्यादा फोरेंसिक रिपोर्ट मददगार होती हैं। फोरेंसिक आधुनिक पुलिस जांच का मूल आधार हैं। 

कितनी धनराशि हुई जारी ?
 
भारत सरकार ने वर्तमान फोरेंसिक प्रयोगशालाओं की स्थिति बढ़ाने और ऐसी नई प्रयोगशालाएं स्थापित करने के लिए क्रमशः वर्ष 2019-20 में कुल 6.21 करोड़ रुपये, 2020-21 में 7.60 करोड़ रुपये, 2021-22 में 9.11 करोड़ रुपये और 2022-23 में 25.71 करोड़ जारी किए हैं।

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आखरी अपडेट: 27th Jul 2024