प्रतिक्रिया | Monday, April 28, 2025

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23/11/23 | 1:35 pm

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कान्हा की नगरी में पीएम मोदी, ‘ब्रज रज उत्सव’ में लेंगे हिस्सा

संत मीराबाई की 525वीं जयंती मनाने के लिए 'संत मीराबाई जन्मोत्सव' का आयोजन किया जा रहा है प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी 23 नवंबर की  शाम 4:30 बजे उत्तर प्रदेश स्थित मथुरा में संत मीराबाई की 525वीं जयंती मनाने के लिए आयोजित कार्यक्रम 'संत मीराबाई जन्मोत्सव' में हिस्सा लेंगे। 

एक स्मारक डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे

प्रधान मंत्री कार्यालय (PMO) से प्राप्त जानकारी के अनुसार कार्यक्रम के दौरान प्रधानमंत्री संत मीरा बाई के सम्मान में एक स्मारक डाक टिकट और एक सिक्का भी जारी करेंगे। पीएम मोदी इस अवसर पर आयोजित सांस्कृतिक कार्यक्रम में भी शामिल होंगे। यह कार्यक्रम संत मीराबाई की स्मृति में वर्ष भर तक चलने वाले कार्यक्रमों की शुरुआत का भी प्रतीक होगा।

ब्रज रज कार्यक्रम में करेंगे शिरकत

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार पीएम मोदी  बांकेबिहारी कॉरिडोर के लिए बजट और एलिवेटेड/मेट्रो ट्रैक को मंजूरी दे सकते हैं। पीएम मोदी करीब 3 घंटे कृष्ण की नगरी मथुरा में रहेंगे। उनके साथ राज्यपाल आनंदीबेन पटेल, सीएम योगी भी मौजूद रहेंगे। सबसे पहले श्रीकृष्ण जन्मस्थान में शाम चार बजे पूजन-दर्शन के लिए पहुंचेंगे। यहां से 4.30 बजे वह ब्रज रज कार्यक्रम में शिरकत को पहुंचेंगे और करीब 40 मिनट जनता को संबोधित करेंगे। पीएम मोदी श्री कृष्ण जन्मभूमि मंदिर जाने वाले देश के पहले प्रधानमंत्री होंगे।

संत मीराबाई

संत मीराबाई भगवान कृष्ण के लिए अपनी भक्ति के लिए विख्यात हैं। उन्होंने कई भजनों और छंदों की रचना की, जो आज भी लोकप्रिय हैं। मीराबाई भक्तिकाल की एक ऐसी संत हैं, जिनका सब कुछ कृष्ण के लिए समर्पित था। यहां तक कि कृष्ण को ही वह अपना पति मान बैठी थीं। भक्ति की ऐसी चरम अवस्था कम ही देखने को मिलती है। मीराबाई के बालमन में कृष्ण की ऐसी छवि बसी थी कि किशोरावस्था से लेकर मृत्यु तक उन्होंने कृष्ण को ही अपना सब कुछ माना। जोधपुर के राठौड़ रतनसिंह जी की इकलौती पुत्री मीराबाई का जन्म सोलहवीं शताब्दी में हुआ था। मीरा बचपन से ही  कृष्ण-भक्ति में रम गई थीं। 

मीरा ने अनेक पदों व गीतों की रचना की। उनके पदों में उच्च आध्यात्मिक अनुभव हैं। उनमें दिए गए संदेश और अन्य संतों की शिक्षाओं में समानता नजर आती है। उनके पदों में भावनाओं की मार्मिक अभिव्यक्ति के साथ-साथ प्रेम की ओजस्वी प्रवाह-धारा और प्रीतम से वियोग की पीड़ा का मर्मभेदी वर्णन देखा जा सकता है। प्रेम की साक्षात् मूर्ति मीरा के बराबर शायद ही कोई कवि हो।

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आखरी अपडेट: 28th Apr 2025