केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने आज शुक्रवार (15 मार्च) को बताया कि सरकार ने डाक विभाग में कार्यरत 2.56 लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवकों (जीडीएस) की सेवा स्थितियों में सुधार करते हुए प्रत्येक ग्रामीण डाक सेवकों के लिए वित्तीय सहायता योजना लागू करने का निर्णय लिया गया है। इस योजना के तहत 12, 24 और 36 वर्ष की सेवा प्रदान करने वाले डाक सेवकों क्रमशः 4,320 रुपये, 5,520 रुपये और 7,200 रुपये की सहायता राशि प्रति वर्ष प्रदान की जाएगी।
गौरतलब हो कि यह सहायता राशि को ‘समय संबंधी निरंतरता भत्ता (टीआरसीए)’ के रूप में प्रदान किए गए पारिश्रमिक से अलग है। उन्होंने कहा कि ग्रामीण डाक सेवक ग्रामीण क्षेत्रों में डाक प्रणाली की रीढ़ हैं और 2.5 लाख से अधिक ग्रामीण डाक सेवक हमारे देश के सुदूरवर्ती हिस्से में वित्तीय सेवाएँ पार्सल डिलीवरी और अन्य G2C सेवाएँ प्रदान करते हैं।
1.25 करोड़ से अधिक नागरिकों ने डाकघरों से बनवाए पासपोर्ट : अश्विनी वैष्णव
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि ग्रामीण डाक सेवाओं की सेवा शर्तों में सुधार के लिए एक महत्वपूर्ण कदम से 2.56 लाख से अधिक जीडीएस को लाभ मिलेगा। उन्होंने कहा कि डाक नेटवर्क को सेवा वितरण नेटवर्क में बदलना प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का लक्ष्य है। उन्होंने कहा कि सरकार ने देश के सभी डाकघरों को डिजिटलकरणी कर दिया है। जिनमें पासपोर्ट सेवा, आधार सेवा और डाक निर्यात केंद्र जैसी नई सेवाएं शुरू की गई हैं। उन्होंने बताया कि 1.25 करोड़ से अधिक नागरिकों ने अपने पासपोर्ट डाकघरों के माध्यम से बनवाए हैं और 10 करोड़ से अधिक नागरिकों ने डाकघरों के माध्यम से आधार सेवाओं का लाभ उठाया है।
केंदीय मंत्री ने कहा कि जब कई देशों में डाक नेटवर्क कम हो रहें हैं तो वहीं भारतीय सरकार ने 10,480 नये डाकघरों को खोलने का फैसला किया है। यह सभी गांवों के 5 किमी के भीतर बैंकिंग सेवाओं के प्रावधान की सुविधा प्रदान करता है। जीडीएस ग्रामीण क्षेत्रों में आधार सेवाएं, डीबीटी भुगतान भी प्रदान करता है। ”लगभग 4 करोड़ डीबीटी लाभार्थियों को देश के विभिन्न डाकघरों के माध्यम से 22,000 करोड़ रुपये का भुगतान किया गया है। इनमें से अधिकांश भुगतान जीडीएस द्वारा किए गए हैं।
ग्रामीण डाक सेवकों ने 1.7 करोड़ से अधिक सुकन्या समृद्धि खाते खोले
केंद्रीय वैष्णव ने बताया कि ग्रामीण डाक सेवकों ने ग्रामीण क्षेत्रों में 1.7 करोड़ से अधिक सुकन्या समृद्धि खाते खोले हैं। भारत सरकार ने पिछले 10 वर्षों में ग्रामीण डाकघरों के कामकाज को डिजिटल कर दिया है। उन्होंने कहा, ”ऑनलाइन मोड में डाक और वित्तीय लेनदेन करने के लिए सभी ग्रामीण डाक सेवको को एक स्मार्ट फोन भी प्रदान किये गये हैं। उन्होंने यह भी बताया कि कर्मयोगी पोर्टल के तहत विभिन्न सेवाओं के वितरण के लिए ग्रामीण डाक सेवकों के कौशल को बढ़ाने के लिए 2.5 लाख जीडीएस को प्रशिक्षित किया गया है।
उल्लेखनीय है कि पिछले वर्षों में सरकार ने कई जीडीएस अनुकूल कई पहले की हैं, जिसमें पारिश्रमिक में 56 प्रतिशत की औसत वृद्धि भी शामिल है। अब जीडीएस के लिए ग्रेच्युटी की राशि 60,000 रुपये से बढ़कर 1,50,000 रुपये कर दी गई है। ऑनलाइन प्रक्रिया के माध्यम से 1.55 लाख जीडीएस जुड़े हुए हैं। “सभी के लिए बैंकिंग” योजना के तहत, 5300 नए खुले शाखा डाकघरों के लिए 7600 जीडीएस को लगाया गया है।