वाराणसी जिला अदालत के आदेश पर ज्ञानवापी मस्जिद परिसर का एएसआई सर्वे अगस्त में शुरू किया गया था। अब भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण (एएसआई) का वैज्ञानिक सर्वे 17 नवंबर को पूरा हो कर लिया। एएसआई टीम तैयार सर्वे रिपोर्ट अपने अधिवक्ता की मौजूदगी में शुक्रवार को जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत में सौंपेगी।
वजूखाने को छोड़कर शेष परिसर किया गया सर्वे
दरअसल, वाराणसी जिला जज डॉ. अजय कृष्ण विश्वेश की अदालत ने 21 जुलाई को ज्ञानवापी के सील वजूखाने को छोड़कर शेष परिसर का एएसआई सर्वे कराने का आदेश दिया था। अदालत के निर्देश पर 24 जुलाई को एएसआई टीम ने ज्ञानवापी परिसर में वैज्ञानिक सर्वे शुरू कर दिया। इसके बाद जिला अदालत के आदेश के विरोध में प्रतिवादी पक्ष अंजुमन इंतजामिया मसाजिद कमेटी ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। सुप्रीम कोर्ट ने याचिका पर सुनवाई करते हुए एएसआई के सर्वे पर रोक लगा दी थी।
अत्याधुनिक और पारंपरिक तकनीक के जरिए सर्वे
फिर सुप्रीम कोर्ट व इलाहाबाद हाई कोर्ट से आदेश मिलने के बाद एएसआई के 40 सदस्यीय दल ने फिर ज्ञानवापी परिसर में चार अगस्त से सर्वे प्रारम्भ किया था। एएसआई ने सर्वे में ग्राउंड पेनेट्रेशन रडार सिस्टम (जीपीआरएस ) सहित अत्याधुनिक उपकरणों की मदद और पारंपरिक तकनीक के जरिए ज्ञानवापी परिसर में बने ढांचे और इसके तहखानों से लेकर गुंबद और शीर्ष की नाप जोख कर विस्तृत रिपोर्ट तैयार की है। इसमें हैदराबाद और कानपुर के एएसआई विशेषज्ञों ने भी पूरा सहयोग दिया। इससे पहले 14 सितंबर को सुनवाई के दौरान जिला न्यायालय ने एएसआई और जिला प्रशासन को आदेश दिया था कि सर्वे के दौरान जो भी तथ्य मिलें, उन्हें सुरक्षित और संरक्षित किया जाए।
हिन्दू पक्ष ने शेष हिस्सों के सर्वे की मांग की
गौरतलब हो कि हिन्दू पक्ष की चार महिलाएं- लक्ष्मी देवी, सीता साहू, मंजू व्यास और रेखा पाठक ने 16 मई को जिला जज की अदालत में अर्जी देकर अपील की थी कि सील वजूखाने को छोड़कर शेष सभी हिस्सों का वैज्ञानिक तरीके से सर्वे कराया जाए। न्यायालय में महिलाओं के अधिवक्ता विष्णुशंकर जैन ने पूर्व में हुए कोर्ट कमीशन की रिपोर्ट पेश की। उनका कहना था कि सर्वे में शिवलिंग जैसी आकृति मिली थी। अधिवक्ताओं की दलील है कि एएसआई सर्वे से यह स्पष्ट हो जाएगा कि ज्ञानवापी की वास्तविकता क्या है। सर्वे में बिना क्षति पहुचाएं पत्थरों, देव विग्रहों, दीवारों सहित अन्य निर्माण की उम्र का पता लग जाएगा। अधिवक्ताओं ने अपनी दलील में कई सुबूत एवं तथ्य भी रखे।