दूरसंचार विधेयक, 2023 को संसद के दोनों सदनों लोकसभा एवं राज्यसभा से मंजूरी मिल गई है। इसके साथ ही दूरसंचार विधेयक पर कानून बनाने का रास्ता साफ हो गया है। इस विधेयक का उद्देश्य दूरसंचार के नियमों को स्पष्ट और आसान बनाना व दूरसंचार नेटवर्क के निर्माण में आई बाधाओं को दूर करना है।
फर्जी सिम कार्ड पर लगेगी लगाम
इस विधेयक के तहत दूरसंचार सेवाओं और नेटवर्क के विकास, विस्तार और संचालन से संबंधित कानूनों को संशोधित व एकीकृत किया जाएगा। इस विधेयक में उपयोगकर्ता की सुरक्षा बढ़ाने और फर्जी सिम कार्ड के फर्जीवाड़े से निपटने के लिए उचित प्रावधान किया गया है। इस विधेयक के तहत दूरसंचार सेवा प्रदाताओं को अब किसी भी व्यक्ति को सिम जारी करने से पहले बायोमेट्रिक-आधारित पहचान के जरिये अपने उपयोगकर्ताओं की पहचान करना अनिवार्य हो जाएगा।
विधेयक में केवाईसी का प्रावधान
केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया कि विधेयक में ग्राहक को जानें (केवाईसी) की व्यवस्था की गई है, उन्होंने कहा कि कानून के उल्लंघनकर्ताओं के लिए कड़े दंड का प्रावधान किया गया है। इसके तहत कानून का उल्लंघन करने वाले को तीन साल तक की कैद और 50 लाख रुपये तक का जुर्माना लगाया जा सकता है। इस कदम से दूरसंचार सेवाओं के दुरुपयोग पर अंकुश और साइबर सुरक्षा को और मजबूत करने में मदद मिलेगी।
यह विधेयक नियामक प्रक्रिया को आसान बनाने के लिए विभिन्न लाइसेंसों की मौजूदा जटिल संरचना में बदलाव कर एकल-बिंदु प्राधिकरण प्रणाली की व्यवस्था प्रदान की गई है। केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि सरलीकृत प्रणाली को अपनाकर शिकायतों के त्वरित निपटान के लिए एक निवारण तंत्र विकसित करने पर जोर दिया गया है।
विधेयक में डिजिटल भारत निधि का प्रावधान
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने सदन को बताया कि विधेयक के सभी प्रावधान सर्वोच्च न्यायालय की संवैधानिक पीठों की टिप्पणियों और निर्देशों के अनुरूप बनाए गए हैं। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि विधेयक की खास बात यह है कि डिजिटल भारत निधि का प्रावधान है,जो दूरसंचार निर्माताओं को उपकरणों और उत्पाद के निर्माण में प्रोत्साहन देगा।
इस विधेयक से 40 लाख से अधिक लोगों को मिलेगा प्रत्यक्ष लाभ
केंद्रीय मंत्री वैष्णव ने इस बात पर जोर दिया कि यह कानून दूरसंचार क्षेत्र में लगे 40 लाख से अधिक लोगों के कल्याणकारी साबित होगा।दूरसंचार विधेयक, 2023 मौजूदा भारतीय टेलीग्राफ अधिनियम 1885 को बदलने के लिए तैयार है, जिसमें वायरलेस टेलीग्राफी अधिनियम (1933) और टेलीग्राफ तार (गैरकानूनी कब्जा) अधिनियम (1950) भी शामिल हैं।
– by Kumar Ambesh