प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आज भारत के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि दी। सोशल मीडिया पोस्ट में, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के इतिहास में महत्वपूर्ण क्षणों के दौरान डॉ. राजेंद्र प्रसाद की गहन बुद्धिमत्ता और दृढ़ नेतृत्व देशवासियों के लिए बडे़ गर्व की बात है। पीएम मोदी ने भारत के प्रथम राष्ट्रपति को याद करते हुए कहा कि लोकतंत्र और एकता के चैंपियन के रूप में डॉ. प्रसाद का प्रयास पीढ़ियों तक गुंजायमान रहेगा। वहीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने भी डॉ. राजेन्द्र प्रसाद की जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित कर श्रद्धांजलि दीं।
डॉ. राजेंद्र प्रसाद के जीवन से जुड़ी कुछ खास बातें
आज देश के पहले राष्ट्रपति डॉ. राजेंद्र प्रसाद की जयंती है। डॉ. राजेंद्र प्रसाद का जन्म 3 दिसंबर 1884 को जीरादेई (बिहार) में हुआ था। उनके पिता का नाम महादेव सहाय एवं माता का नाम कमलेश्वरी देवी था। पिता फारसी और संस्कृत भाषाओं के विद्वान तो माता धार्मिक महिला थीं।
डॉ. राजेन्द्र प्रसाद का व्यक्तित्व
वे सादगी पसंद, दयालु एवं निर्मल स्वभाव के व्यक्ति थे। बचपन में उनके प्रारंभिक पारंपरिक शिक्षण के बाद वे छपरा और फिर पटना चले गए। वहां पढ़ाई के दौरान कानून में मास्टर की डिग्री के साथ डाक्टरेट की विशिष्टता भी हासिल की। कानून की पढ़ाई
के साथ-साथ वे राष्ट्रीय कांग्रेस में शामिल हुए।
गांधी जी से प्रभावित थे डॉ. राजेन्द्र प्रसाद
राजेंद्र प्रसाद गांधी जी से बेहद प्रभावित थे। वे उन भारतीय नेताओं में से थे जिन्होंने भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी। महात्मा गांधी ने उन्हें अपने सहयोगी के रूप में चुना था और साबरमती आश्रम की तर्ज पर सदाकत आश्रम की एक नई प्रयोगशाला का दायित्व भी सौंपा था। राजेंद्र प्रसाद को ब्रिटिश प्रशासन ने 'नमक सत्याग्रह' और 'भारत छोड़ो आंदोलन' के दौरान जेल में डाल दिया था।
बहुमुखी प्रतिभा के धनी
डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद चाहे धर्म हो, वेदांत हो, साहित्य हो या संस्कृति, शिक्षा हो या इतिहास, राजनीति, भाषा, वे हर स्तर पर अपने विचार व्यक्त करते थे। उनकी स्वाभाविक सरलता के कारण वे अपने ज्ञान-वैभव का प्रभाव कभी प्रतिष्ठित नहीं करते थे। 'सादा जीवन, उच्च विचार' के अपने सिद्धांत को अपनाने वाले डॉ. राजेंद्र प्रसाद अपनी वाणी में मधुरता बनाए रखते थे।
भारत रत्न से सम्मानित
आजादी के बाद 26 जनवरी 1950 को भारत को गणतंत्र राष्ट्र का दर्जा मिलने के साथ ही राजेंद्र प्रसाद देश के प्रथम राष्ट्रपति बने। वर्ष 1957 में वे दोबारा राष्ट्रपति चुने गए। इस तरह वे भारत के एकमात्र राष्ट्रपति थे, जिन्होंने लगातार दो बार राष्ट्रपति पद प्राप्त किया था। उन्हें सन् 1962 में अपने राजनैतिक और सामाजिक योगदान के लिए भारत के सर्वश्रेष्ठ नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से भी नवाजा गया।
बाद में उन्होंने राजनीति से संन्यास ले लिया और अपना शेष जीवन पटना के निकट एक आश्रम में बिताया, जहां 28 फरवरी, 1963 को बीमारी के कारण उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली।
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