भारतीय उद्योग परिसंघ द्वारा चेन्नई में आयोजित TAKEPRIDE 2023 सम्मेलन में उद्यमियों से बातचीत के दौरान दोहरी नागरिकता के सवाल के एक जबाव में विदेश मंत्री डाॅ. एस जयशंकर ने बताया कि विदेश में रहने वाले भारतीयों को दोहरी नागरिकता प्रदान करने में कई प्रकार की आर्थिक और सुरक्षा चुनौतियां हैं। हालांकि उन्होंने स्वीकार किया कि इस पर अभी भी बहस जारी है।उन्होंने बताया कि ओवरसीज सिटिजनशिप ऑफ इंडिया (ओसीआई) अभियान इसी मांग को पूरा करने की दिशा में उठाया गया एक कदम है।
क्या है दोहरी या एकाधिक नागरिकता ?
दोहरी या एकाधिक नागरिकता एक ही समय में दो या दो से अधिक राष्ट्रीयताओं वाले व्यक्ति को कानूनी दर्जा प्रदान करती है। दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति को दोनों देशों के राजनीतिक कार्यों में भाग लेने और यात्रा करने के लिए वीजा से छूट प्रदान करती है। इसके साथ ही दोहरी नागरिकता वाले व्यक्ति को दोनो देशों में काम करने की अनुमति भी होती है। उन्हें दोनों देशों के पासपोर्ट भी रखने की तथा अन्य नागरिकों के समान सामाजिक और कानूनी अधिकारों को प्राप्त करने की सुविधा भी प्रदान की जाती है। कुछ देशों में दोहरे नागरिक के रूप में प्राप्त अधिकारों में कुछ प्रतिबंध भी हैं।
संयुक्त राज्य अमेरिका, फ़िनलैंड, अल्बानिया, इज़राइल और पाकिस्तान जैसे देश दोहरी नागरिकता प्रदान करते हैं, हालाँकि, इस योजना पर उनके संबंधित कानून हैं, बशर्ते दोनों देश दोहरी राष्ट्रीयता रखने की अनुमति दें।
भारत में दोहरी नागरिकता
भारतीय संविधान भारतीय नागरिकों को एक साथ दूसरे देश की नागरिकता रखने की अनुमति नहीं देता है। हालाँकि, भारत सरकार ने भारतीय मूल के व्यक्तियों (PIO) के लिए ओसीआई कार्यक्रम चलाती है, जो पाकिस्तान और बांग्लादेश के अलावा अन्य देशों में चले रह रहें हैं। एक ओसीआई कार्डधारक भारत में बहुउद्देश्यीय और बहु-प्रवेश का लाभ उठा सकता है। उन्हें भारत आने के लिए आजीवन वीजा सुविधा भी प्रदान है,और कुछ शर्तों को पूरा करने पर भारतीय नागरिक बनने का विशिष्ट अधिकार भी प्राप्त है।
हालाँकि, OCI कार्डधारकों को भारत में मतदान का अधिकार नहीं है और न ही उन्हें देश में किसी विधायी या संवैधानिक पद के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार है।


