स्कॉटिश चर्च कॉलेजिएट स्कूल अगले साल जनवरी से पहली बार छात्राओं के लिए अपने दरवाजे खोलने जा रहा है।स्कॉटिश चर्च कॉलेजिएट स्कूल उत्तरी कोलकाता, पश्चिम बंगाल में लड़कों का एक चुनिंदा स्कूल है, जिसका इतिहास 193 वर्षों से अधिक है। स्कूल की स्थापना 1830 में रेवरेंड अलेक्जेंडर डफ द्वारा की गई थी, जो भारत में चर्च ऑफ स्कॉटलैंड के पहले मिशनरी के रूप में कलकत्ता आए थे।
193 साल पुराने स्कूल का सह-शिक्षा अनुभाग डफ स्ट्रीट पर डफ चर्च के निकट 18, डफ स्ट्रीट परिसर में स्थापित किया गया है। जिस भवन में पहले चर्च द्वारा डायोसेसन किंडरगार्टन स्कूल चलाया जाता था, उसका जीर्णोद्धार किया गया और इसे बिधान सारणी परिसर (Bidhan Sarani campus) और केस्टोपुर परिसर (Kestopur campus) के बाद स्कूल का तीसरा परिसर बनाया गया है। यह निर्णय लिया गया है कि यहां 30-30 छात्रों की क्षमता वाला प्री-प्राइमरी और प्राइमरी (कक्षा I) सेक्शन शुरू किया जाएगा। यह शिक्षा के माध्यम के रूप में अंग्रेजी के साथ बंगाल बोर्ड से संबद्ध होगा।
स्कूल प्रबंध समिति ने निर्णय लिया है कि प्लस टू की छात्राओं के लिए नौवीं और बारहवीं कक्षा में पढ़ने के लिए दरवाजे खुले रहेंगे।
मीडिया से बातचीत में बिशप परितोष कैनिंग ने कहा, “हमें बहुत खुशी है कि उत्तरी कोलकाता का यह पुराना स्कूल अगले शैक्षणिक सत्र 2024 से छात्राओं को प्रवेश देने के लिए तैयार है जो जनवरी से शुरू होगा।”
स्कूल के प्रिंसिपल बिभास सान्याल ने मीडिया को बताया की काफी समय से इस इलाके के आसपास रहने वाले लोगों की यह मांग थी कि लड़कियों के लिए भी हमारे दरवाजे खोले जाएं। उनमें से कई ने हमसे पूछा कि हम इतने कठोर क्यों हैं और हम लड़कियों को यहां पढ़ने की इजाजत क्यों नहीं दे रहे हैं? इतने सारे अनुरोधों के बाद हमने बिशप के साथ इस मामले पर चर्चा की और उनकी देखरेख में हम इसके 200 साल पूरे होने का जश्न मनाने से पहले एक नया इतिहास बनाने के लिए एक नई यात्रा पर निकल पड़े।
सान्याल ने आगे कहा, “हमारी आंतरिक बैठक में यह निर्णय लिया गया कि लड़कियों को मध्यामिक के बाद प्रवेश की अनुमति दी जाएगी। उन्हें 2024 सत्र से प्रवेश लेने की अनुमति दी जाएगी और उन्हें बिधान सरानी पर हमारे मुख्य भवन में समायोजित किया जाएगा।”