प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने बुधवार को सावित्रीबाई फुले और रानी वेलु नाचियार को उनकी जयंती पर श्रद्धांजलि अर्पित की। पीएम मोदी ने उनकी करुणा और साहस से समाज के लिए किये गए प्रेरणादायक कार्यों को याद किया। रविवार को अपने मासिक 'मन की बात' एपिसोड में पीएम मोदी ने दोनों शख्सियतों की चर्चा की थी।
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अपने निस्वार्थ एवं समर्पण भाव से सावित्रीबाई फुले ने महिला उत्थान और सामाजिक सुधारों में का नेतृत्व किया। शिक्षा के क्षेत्र में उन्होंने दृढ़ता से महिलाओं और हाशिए पर रहने वाले लोगों के अधिकारों की वकालत की। उन्होंने तमाम रूढ़िवादी सामाजिक मानदंडों का विरोध करते हुए लाखों लड़कियों की शिक्षा और सशक्तिकरण का मार्ग प्रशस्त किया।
सावित्रीबाई फुले का प्रारंभिक जीवन
3 जनवरी, 1831 को महाराष्ट्र के सतारा जिले में लक्ष्मी और खंडोजी नेवासे पाटिल के घर जन्मी, सावित्रीबाई फुले ने नौ साल की उम्र में ही सामाजिक कार्यकर्ता ज्योतिराव फुले से शादी हो गई। सामाजिक विरोधों के बावजूद, उनके पति ज्योतिराव फुले ने उन्हें पढ़ना-लिखना सिखाया और एक शिक्षक प्रशिक्षण संस्थान में दाखिला लेने में उनकी मदद की।
भारत की प्रथम महिला शिक्षिका
अपनी प्राथमिक शिक्षा पूरी करने के बाद, सावित्रीबाई ने अहमदनगर और पुणे में शिक्षक प्रशिक्षण कार्यक्रमों में दाखिला लिया। अपने प्रशिक्षण के बाद उन्होंने अपने पति की गुरु, सगुनाबाई की सहायता से पुणे के महारवाड़ा में लड़कियों को पढ़ाना शुरू किया। 1848 में, फुले दंपति ने पुणे के भिडे वाड़ा में देश का पहला गर्ल्स स्कूल खोला। उन्होंने इसके बाद कुल 18 स्कूल खोले, जिसमें विभिन्न जातियों के बच्चों को शिक्षा प्रदान की गई, जो उस समय के लिए एक बड़ी उपलब्धि थी।
उन्होंने बाल विवाह और सती प्रथा के खिलाफ वकालत की इससे सावित्रीबाई फुले को तीखे आलोचनाओं का भी सामना करना पड़ा। उन्होंने महिलाओं के शिक्षा अधिकारों और विधवा पुनर्विवाह को बढ़ावा देने के लिए महिला सेवा मंडल की स्थापना की थी ।
सावित्रीबाई ज्योति राव फुले फेलोशिप
शिक्षा के क्षेत्र में सावित्रीबाई फुले के अपार योगदान को ध्यान में रखते हुए विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने सिंगल गर्ल्स के लिए 'सावित्रीबाई ज्योति राव फुले फेलोशिप' प्रदान करती है। इस फेलोशिप का उद्देश्य पीएचडी डिग्री के पांच वर्ष की अवधि के दौरान सिंगल गर्ल्स को फेलोशिप प्रदान कर शोध कार्य को बढ़ावा देने के लिए प्रोत्साहित करना है।