ऊर्जा जितनी संग्रहित की जाए उतना ही वो दूरगामी परिणाम देती है। भारत में फॉसिल फ्यूल बचाने की बात तो एक अरसे से हो रही है लेकिन इस पर नीति-नियामक कभी गहन चिंतन नहीं कर पाए। परिणामस्वरूप इसका दोहन होता रहा। केंद्र में पीएम मोदी के नेतृत्व में सरकार बनने के बाद से इस ओर विशेष ध्यान दिया गया है। यही कारण है कि बीते कुछ वर्षों से केंद्र सरकार इलेक्ट्रिक तकनीक अपनाने पर जोर दे रही है। या फिर यूं कहें कि सरकार ऊर्जा संरक्षण के प्रयासों के तहत भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों की बड़ी मार्केट के अवसरों को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए धरातल पर एक योजना भी उतारी गई है जिसका नाम 'फेम इंडिया' है।
क्या है 'फेम इंडिया' योजना ?
'फेम इंडिया' को विस्तारपूर्वक जानें तो उसे फास्टर एडॉप्शन एंड मैन्युफैक्चरिंग ऑफ हाइब्रिड एंड इलेक्ट्रिक व्हीकल्स कहा जाता है। इसे संक्षेप में 'फेम इंडिया' कहा जाता है। इसके माध्यम से सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों की खरीद पर जोर दे रही है, जिससे पेट्रोल-डीजल का कम-से-कम उपयोग हो ताकि उनका बचाव हो सके। भारत में हाइब्रिड और इलेक्ट्रिक वाहनों को तेजी से अपनाने और उनके विनिर्माण योजना के चरण- II को 1 अप्रैल, 2019 से शुरू किया गया था जिसका बजट 10,000 करोड़ रूपये निर्धारित किया गया था। यह चरण मुख्य रूप से सार्वजनिक और साझा परिवहन के विद्युतीकरण का समर्थन करने पर केंद्रित है। इसका लक्ष्य 7090 ई-बसों, 5 लाख ई-3 व्हीलर वाहनों, 55000 ई-4 व्हीलर कारों और 10 लाख ई-2 व्हीलर वाहनों को सड़कों पर उतारना है ताकि आम जनमानस में इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति जागरूकता बढ़े।
इस योजना के तहत अभी क्या हो रहा है?
भारी उद्योग मंत्रालय ने फेम इंडिया योजना के चरण- I के तहत 520 चार्जिंग स्टेशन/इंफ्रास्ट्रक्चर को मंजूरी दी थी। इसके अलावा, इस मंत्रालय ने फेम इंडिया स्कीम के दूसरे चरण के तहत 25 राज्यों व केंद्रशासित प्रदेशों के 68 शहरों में 2,877 इलेक्ट्रिक वाहन चार्जिंग स्टेशन और 9 एक्सप्रेसवे और 16 राजमार्गों पर 1576 चार्जिंग स्टेशन भी स्वीकृत किए हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार 21 जुलाई 2023 तक FAME-II के तहत 7 लाख 40 हजार 722 टू-व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहन बेचे गए। इसके अलावा 83 हजार 420 थ्री-व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई और 8 हजार 982 फोर व्हीलर इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री हुई है।
चार्जिंग स्टेशन बनाने पर तेल कंपनियों को मिली सब्सिडी
इस योजना के लक्ष्यों को पूरा करने के लिए सरकार जितने प्रयास कर रही है उससे यह तो स्पष्ट है कि सरकार इलेक्ट्रिक वाहनों के प्रति गंभीरता से कार्य कर रही है। भारी उद्योग मंत्रालय ने भी 800 करोड़ रुपये 7,432 इलेक्ट्रिक वाहन सार्वजनिक चार्जिंग स्टेशनों की स्थापना के लिए पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय (MoPNG) की तीन तेल विपणन कंपनियों (OMCs) को सब्सिडी के रूप में मंजूर किए हैं।