केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी राज्य (स्वतंत्र प्रभार) मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह द्वारा कल भारत मंडपम में आयोजित एक समारोह में 45 वर्ष से कम उम्र वाले देश के प्रख्यात वैज्ञानिकों को शांति स्वरूप भटनागर राष्ट्रीय पुरस्कार प्रदान किया गया ।इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक लिखित संदेश में शांति स्वरूप भटनागर पुरस्कार के सभी विजेताओं को बधाई दी ।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने प्रधानमंत्री के संदेश को पढ़ा जिसमें समाज, उद्योग और राष्ट्र की सेवा में प्रमुख भूमिका निभाने के लिए काउंसिल ऑफ साइंटिफिक एंड इंडस्ट्रियल रिसर्च (सीएसआईआर) की सराहना की गई । विशेष रूप से अरोमा मिशन, फूलों की खेती में प्रगति, जम्मू-कश्मीर में लैवेंडर की खेती के जरिये शुरू हुई बैंगनी क्रांति, देश के सीमावर्ती इलाकों में स्टील स्लैग सड़कों का निर्माण आदि का उल्लेख किया गया , जो राष्ट्रीय आकांक्षाओं को पूरा करने में सीएसआईआर के योगदान के कुछ प्रमुख उदाहरण हैं।
प्रधानमंत्री सीएसआईआर के अध्यक्ष भी हैं। उन्होंने अपने संदेश में कहा कि 2047 तक जब हम अपनी आजादी की शताब्दी वर्ष मनाएंगे, ऐसे में यह समय एक सशक्त, समावेशी और आत्मनिर्भर भारत के निर्माण के सपने को साकार करने का अवसर है । जिसमें सीएसआईआर जैसे संस्थानों की भूमिका कहीं अधिक महत्वपूर्ण हो जाती है ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि हमारे देश के लोगों का मस्तिष्क हमेशा से वैज्ञानिक उत्सुकता वाला रहा है। उन्होंने कहा कि विशेष तौर पर वैश्विक महामारी के दौरान अनुसंधान एवं नवाचार में हमारे वैज्ञानिकों एवं प्रौद्योगिकीविदों की गति ने वैश्विक भलाई के लिए काम करने की हमारी क्षमता को दुनिया के सामने रखा ।
प्रधानमंत्री ने कहा कि विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी ने चिकित्सा, संचार, अंतरिक्ष, परिवहन, बुनियादी ढाँचे, कृषि आदि सभी क्षेत्रों की गतिविधियों में बदलाव लाने में मदद की है। उन्होंने कहा कि पिछले दस वर्षों की तकनीकी उपलब्धियों को प्रदर्शित करने वाली सीएसआईआर की मेगा-प्रदर्शनी सभी को प्रेरित करेगी।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि कार्बन उत्सर्जन को कम करने,जलवायु परिवर्तन की गंभीर वैश्विक चुनौती से निपटने के लिए कार्बन कैप्चर, यूटिलाइजेशन एंड स्टोरेज (सीसीयूएस) मिशन सीएसआईआर द्वारा शुरू की गई एक महत्वपूर्ण पहल है। सीएसआईआर इस मिशन को सफल बनाने में अदाणी, रिलायंस, टाटा स्टील, अल्ट्राटेक सीमेंट, एनटीपीसी, जेएसडब्ल्यू स्टील के साथ चर्चा कर रहा है ।
डॉ.जितेंद्र सिंह ने कहा कि पिछले साल शुरू किए गए सीएसआईआर हाइड्रोजन टेक्नोलॉजी मिशन का उद्देश्य हरित ऊर्जा के प्रमुख स्रोत के रूप में हाइड्रोजन की पूरी क्षमता का उपयोग कर कार्बन उत्सर्जन को कम करना तथा स्वच्छ एवं सतत् भविष्य में योगदान देना है ।
मंत्री ने कहा कि सिकल सेल एनीमिया पर मिशन मोड परियोजना सीएसआईआर की एक अन्य महत्वपूर्ण पहल है। व्यापक रोग प्रबंधन इसका एक दूरगामी उद्देश्य है। भविष्य में बीमारी के दबाव को कम करके लोगों के जीवन की गुणवत्ता को बेहतर करना भी इसका एक लक्ष्य है।
फाइटोफार्मास्युटिकल मिशन, एंटीवायरल मिशन, लीथियम आयन बैटरियों का पुनर्चक्रण एवं महत्वपूर्ण रसायनों व धातुओं को दोबारा हासिल करना, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस, एडवांस मैटेरियल्स आदि नई पहल सराहनीय है।
सीएसआईआर प्रयोगशालाओं का योगदान काफी व्यापक है, मगर इसके बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं। इसीलिए सीएसआईआर के नेतृत्व में 'वन वीक, वन लैब' जैसे कार्यक्रम आयोजित किये जा रहे हैं । डॉ. जितेंद्र सिंह ने सीएसआईआर के नेतृत्व से ओडब्ल्यूओएल की तर्ज पर एक 'वन वीक – वन थीम' यानी 'एक सप्ताह एक विषय' पर भी योजना तैयार करने का आग्रह किया ।
सीएसआईआर की महानिदेशक डॉ. एन. कलाईसेल्वी ने कहा कि आने वाले दिनों में सीएसआईआर अपने कार्यक्षेत्र का विस्तार कर रहा है ,उन्होंने कहा कि सीएसआईआर विजन-2030 की घोषणा के बाद सीएसआईआर का शताब्दी वर्ष मनाने के लिए जल्द ही व्यापक तौर पर सीएसआईआर दृष्टिकोण-2042 भी पेश किया जाएगा।