सहकारी क्षेत्र के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी हासिल करने के लिए एक मजबूत डेटाबेस की आवश्यकता को समझते हुए सहकारिता मंत्री अमित शाह कल शुक्रवार (8 मार्च) को नई दिल्ली में राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस लॉन्च करेंगे इसके साथ ही वे 'राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस 2023 : एक रिपोर्ट' भी जारी करेंगे। इस डाटाबेस को राज्य सरकारों,राष्ट्रीय संघों और अन्य भागीदारों के साथ सहयोग लेते हुए, सहकारी-केंद्रित आर्थिक मॉडल को बढ़ावा देने के लिए तैयार किया गया है। इस कार्यक्रम में केंद्रीय मंत्रालयों, विभागों के सचिवों और अन्य वरिष्ठ अधिकारियों,सहकारी समितियों और देश भर के सहकारी संघों/संघों के अतिरिक्त मुख्य सचिवों सहित लगभग 1,400 लोगों की उपस्थिति रहेगी। इस दौरान राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस (एनसीडी) और भारत में सहकारी क्षेत्र को बढ़ाने की इसकी क्षमता के बारे में जानकारी प्रदान करने के लिए एक तकनीकी कार्यशाला भी आयोजित की जाएगी।
डेटाबेस के लिए 8 लाख से अधिक सहकारी समतियों को किया गया शामिल
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस के लिए विभिन्न हितधारकों जैसे प्राथमिक कृषि क्रेडिट सोसायटी (पीएसीएस),डेयरी और मत्स्य पालन तीन क्षेत्रों में लगभग 264,000 प्राथमिक सहकारी समितियों के लिए मैपिंग की गई। इसके बाद राष्ट्रीय संघों,राज्य संघों,सहकारी बैंकों, शहरी सहकारी बैंकों और अन्य जैसी विभिन्न संस्थाओं से डेटा एकत्र किया गया है। अंतिम चरण में राज्य/केंद्र शासित प्रदेशों के आरसीएस/डीआरसीएस कार्यालयों की सहायता से अन्य क्षेत्रों की 530,000 से अधिक प्राथमिक सहकारी समितियों का डेटा एकत्र किया गया। राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस एक वेब-आधारित डिजिटल डैशबोर्ड है जिसमें राष्ट्रीय/राज्य संघों सहित सहकारी समितियों का डेटा को शामिल किया गया है। इस राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस में देश के विभिन्न क्षेत्रों में फैली 29 करोड़ से अधिक की सामूहिक सदस्यता वाली लगभग 8 लाख सहकारी समितियों की जानकारी एकत्रित की गई है।
आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक मजबूत कदम
राष्ट्रीय सहकारी डेटाबेस केंद्रीय मंत्रालय राज्यों/केंद्रशासित प्रदेशों और सहकारी समितियों के बीच कुशल संचार के लिए एक महत्वपूर्ण माध्यम के रूप में काम करेगा जिससे सहकारी क्षेत्र से जुडे़ सभी भागीदारों को लाभ होगा। ग्रामीण क्षेत्रों में सहकारी समितियों का सामाजिक,आर्थिक विकास और सामुदायिक चुनौतियों का समाधान करने, व्यक्तियों को सशक्त बनाने गरीबी को कम करने में अपना महत्वपूर्ण योगदान प्रदान करेगा। यह पहल एक समृद्ध और 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक सकारात्मक कदम है।