प्रतिक्रिया | Monday, April 28, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

08/03/24 | 9:00 am

printer

स्वीडन आधिकारिक तौर पर नाटो में हुआ शामिल, बाइडेन ने दी बधाई

स्वीडन को गुरुवार 'उत्तरी अटलांटिक संधि संगठन' (NATO) में शामिल कर लिया गया। नाटो के सचिव जनरल जेंस स्टोल्टेनबर्ग ने कहा है कि 'यह एक ऐतिहासिक दिन है। स्वीडन को अब नाटो में एक अधिकारपूर्वक जगह मिलेगी और उसकी बात का भी नाटो की नीतियों और फैसलों में ध्यान रखा जाएगा।' उन्होंने कहा कि '200 वर्ष ज्यादा समय तक गुट निरपेक्ष रहने के बाद स्वीडन को भी अब अनुच्छेद 5 के तहत सुरक्षा की गारंटी मिलेगी।' अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक्स हैंडल पोस्ट पर इस घोषणा का स्वागत करते हुए इसके लिए स्वीडन को बधाई दी है। नाटो एक रक्षा गठबंधन है जिसका उद्देश्य मित्र राष्ट्रों की स्वतंत्रता और सुरक्षा की रक्षा करना है। 

स्वीडन सरकार की कल विशेष बैठक के बाद की गई इसकी घोषणा 

बता दें कि गुरुवार (7 मार्च) को उत्तरी अटलांटिक संधि के जमाकर्ता के रूप में, स्वीडन का परिग्रहण दस्तावेज़ संयुक्त राज्य सरकार के पास जमा कर दिया गया। स्वीडन सरकार की कल विशेष बैठक के बाद इसकी घोषणा की गई। अब ब्रुसेल्स में नाटो मुख्यालय के बाहर स्वीडन का झंडा भी दिखना शुरू हो जाएगा। अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडेन ने एक्स हैंडल पोस्ट पर इस घोषणा का स्वागत करते हुए इसके लिए स्वीडन को बधाई दी है। 

200 से अधिक वर्ष की तटस्थता और गुटनिरपेक्षता का हुआ अंत 

स्वीडन के समाचार पत्र द लोकल स्वीडन के अनुसार, क्रिस्टर्सन ने अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकन के साथ एक बैठक में स्वीडन के परिग्रहण का दस्तावेज सौंपा। इसी के साथ 200 से अधिक वर्ष की तटस्थता और गुटनिरपेक्षता का अंत हो गया। यह हस्तांतरण स्वीडिश समयानुसार शाम 5ः25 बजे हुआ। स्वीडन नाटो का 32वां सदस्य देश होगा। इस मौके पर ब्लिंकन ने कहा, “इंतजार करने वालों को अच्छी चीजें मिलती हैं। इससे बेहतर कोई उदाहरण नहीं है।” उन्होंने इसे “एक ऐतिहासिक क्षण” बताया।

स्वीडन समेत सदस्य देशों की संख्या 32 हो गई 

उल्लेखनीय है कि नाटो का गठन 1949 में हुआ था। तब इसमें अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा और फ्रांस समेत 12 देश थे। अब स्वीडन समेत सदस्य देशों की संख्या 32 हो गई है। शुरू में नाटो का उद्देश्य सोवियत संघ के विस्तार को रोकना था। सभी ने संकल्प लिया था कि नाटो के किसी भी सदस्य पर हमला सभी सदस्य देशों पर हमला माना जाएगा। नाटो की कोई सेना नहीं है, लेकिन सभी सदस्य देश एकजुट होकर संकट में कार्रवाई कर सकते हैं। नाटो देश संयुक्त सैन्य अभ्यास भी करते हैं। नाटो के प्रमुख सदस्य देशों में अमेरिका, ब्रिटेन, कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, स्पेन, तुर्किये, अल्बानिया, बुल्गारिया, हंगरी, पोलैंड, द चेक रिपब्लिक, स्लोवाकिया, रोमानिया, लिथुआनिया, लातविया, एस्टोनिया और फिनलैंड प्रमुख हैं।

(इनपुट-हिन्दुस्थान समाचार)

आगंतुकों: 24771461
आखरी अपडेट: 28th Apr 2025