प्रतिक्रिया | Monday, April 28, 2025

  • Twitter
  • Facebook
  • YouTube
  • Instagram

08/01/24 | 9:14 am

printer

कारगिल में भारतीय वायुसेना का कमाल, पहली बार रात में हवाई पट्टी पर उतरा वायु सेना का सी-130जे विमान

भारत अपनी सीमा और ऊंची-ऊंची चोटियों पर सुरक्षा को लेकर सजग है। विभिन्न हवाई पट्टियों को सामरिक दृष्टिकोण से कई तरीकों से उपयोग के लिए अपग्रेड कर रही है। ऐसे में अब पहली बार भारतीय वायु सेना के सामरिक परिवहन विमान सी-130जे ने पहली बार कारगिल हवाई पट्टी पर गरुड़ फोर्स के साथ रात्रि लैंडिंग की। हिमालयी परिदृश्य में यह हवाई पट्टी 8,800 फीट से अधिक की ऊंचाई पर स्थित है, जो विमान चालकों के लिए अद्वितीय चुनौतियां पेश करती है।

गरुड़ के प्रशिक्षण मिशन को भी किया पूरा 
भारतीय वायुसेना ने इस उपलब्धि के महत्व पर रात्रि लैंडिंग का एक वीडियो कर कहा, “पहली बार परिवहन विमान सी-130जे ने कारगिल हवाई पट्टी पर एक रात की लैंडिंग की। रास्ते में इलाके को ढंकते हुए इस अभ्यास ने गरुड़ के प्रशिक्षण मिशन को भी पूरा किया।” हालांकि, प्रशिक्षण मिशन के बारे में विशिष्ट विवरण का खुलासा नहीं किया गया, लेकिन यह भारतीय वायुसेना की उल्लेखनीय उपलब्धियों में शामिल है। यह सफल रात्रि लैंडिंग न केवल वायु सेना की सावधानीपूर्वक योजना को दर्शाती है, बल्कि इसके पायलटों की विशेषज्ञता को भी उजागर करती है।

पहले भी चुनौतीपूर्ण हवाई पट्टी पर उतार चुका है हेलीकॉप्टर
इससे पहले पिछले वर्ष नवंबर में वायु सेना ने उत्तराखंड में एक अल्पविकसित और चुनौतीपूर्ण हवाई पट्टी पर दो लॉकहीड मार्टिन ‘सुपर हरक्यूलिस’ सैन्य परिवहन विमानों को सफलतापूर्वक उतारकर अपनी क्षमताओं का प्रदर्शन किया था। प्रतिकूल मौसम की स्थिति में संचालित इस मिशन का उद्देश्य एक निर्माणाधीन पहाड़ी सुरंग में बचाव कार्यों के लिए भारी इंजीनियरिंग उपकरण पहुंचाना था। वायु सेना की हालिया उपलब्धि सीमाओं पर परिचालन क्षमताओं को बढ़ाने और विविध परिदृश्यों को अपनाने की भारतीय वायुसेना की प्रतिबद्धता को रेखांकित करती है।

कारगिल  हवाईअड्डा महत्वपूर्ण

वहीं बता दें कि इस हवाई अड्डे का निर्माण 1996 में जम्मू और कश्मीर राज्य सरकार ने नागरिक संचालन के लिए किया था। बाद में इसे भारतीय हवाई अड्डा प्राधिकरण (एएआई) को पट्टे पर दिया गया था। भारत और पाकिस्तान के बीच 1999 में कारगिल अघोषित युद्ध स्थल के रूप में प्रमुखता से उभरा और यह हवाईअड्डा पाकिस्तानी बलों की गोलाबारी के दायरे में होने से संवेदनशील था।

एएआई ने इसे 350 मिलियन रुपये की लागत से बनाया था, लेकिन कारगिल युद्ध के दौरान क्षतिग्रस्त होने के बाद 2003 में इसका परिचालन नियंत्रण और रखरखाव भारतीय वायु सेना को हस्तांतरित कर दिया था। वायु सेना यहीं से अपने एएन-32 विमान को एयर कूरियर सेवा के लिए संचालित करती है, जो कठोर सर्दियों के मौसम में नागरिकों को कारगिल से श्रीनगर और जम्मू तक पहुंचाती है।

आगंतुकों: 24801356
आखरी अपडेट: 28th Apr 2025