प्रत्यक्ष कर संग्रह के शुरुआती आंकड़ों में लगातार तेज वृद्धि देखने को मिली है। इस क्रम में चालू वित्त वर्ष 2023-24 में 09 अक्टूबर तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.07 लाख करोड़ रुपए रहा है। यह पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि के सकल कर संग्रह से 17.95 फीसदी अधिक है। मुख्य रूप से कंपनियों और व्यक्तिगत करदाताओं की ओर से किए गए बेहतर योगदान से शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह में यह उछाल आया है।
बजट अनुमान का 52.50 फीसदी डायरेक्ट टैक्स कलेक्शन हुआ जमा
वहीं, रिफंड जारी करने के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 21.82 फीसदी बढ़कर 9.57 लाख करोड़ रुपए पर पहुंच गया है, जो बजट अनुमान का 52.50 फीसदी है। इस संबंध में वित्त मंत्रालय ने मंगलवार को जारी एक बयान में बताया कि वित्त वर्ष 2023-24 में 09 अक्टूबर तक सकल प्रत्यक्ष कर संग्रह 17.95 फीसदी उछलकर 11.07 लाख करोड़ रुपए रहा है।
मंत्रालय के मुताबिक 1 अप्रैल से 09 अक्टूबर, 2023 के दौरान 1.50 लाख करोड़ रुपए रिफंड जारी करने के बाद शुद्ध प्रत्यक्ष कर संग्रह 9.57 लाख करोड़ रुपए रहा, जो पिछले वित्त वर्ष की समान अवधि की तुलना में 21.82 फीसदी अधिक है।
कंपनियों और व्यक्तिगत करदाताओं के आयकर भुगतान से हुई उल्लेखनीय बढ़ोतरी
मंत्रालय ने केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (सीबीडीटी) के आंकड़ों के हवाले से बताया कि प्रत्यक्ष कर संग्रह में कंपनियों की ओर से अधिक अग्रिम कर भुगतान की वजह से यह उल्लेखनीय बढ़ोतरी हुई है। आयकर विभाग के मुताबिक अब तक संग्रहित शुद्ध प्रत्यक्ष कर चालू वित्त वर्ष 2023-24 के लिए निर्धारित 18.23 लाख करोड़ रुपये पूरे साल के बजट अनुमान (बीई) लक्ष्य का 52.50 फीसदी है।
सकल राजस्व संग्रह में कॉरपोरेट आयकर और व्यक्तिगत आयकर की वृद्धि दर
सीबीडीटी के मुताबिक सकल राजस्व संग्रह में कॉरपोरेट आयकर (सीआईटी) और व्यक्तिगत आयकर (पीआईटी) की वृद्धि दर क्रमश: 7.30 फीसदी और 29.53 (सिर्फ पीआईटी) फीसदी रही है। प्रतिभूति लेनदेन कर (एसटीटी) को मिलाकर पीआईटी की वृद्धि दर 29.08 फीसदी रही। वहीं, रिफंड के समायोजन के बाद सीआईटी संग्रह में शुद्ध वृद्धि 12.39 फीसदी है, जबकि पीआईटी संग्रह में यह वृद्धि 32.51 फीसदी (सिर्फ पीआईटी) और 31.85 फीसदी (एसटीटी सहित पीआईटी) है।
2023-24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह थोड़ा अधिक रहने का अनुमान
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय बजट 2023-24 में प्रत्यक्ष कर संग्रह 18.23 लाख करोड़ रुपए से थोड़ा अधिक रहने का अनुमान लगाया गया है, जो पिछले वित्त वर्ष 2022-23 में जुटाए गए 16.61 लाख करोड़ रुपए से 9.75 फीसदी अधिक है। सीबीडीटी के मुताबिक चालू वित्त वर्ष में अब तक 1.50 लाख करोड़ रुपए के रिफंड जारी किए गए हैं।