केंद्र सरकार ने भारत में इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के उत्पादन को बढ़ावा देने के लिए दुनिया के प्रमुख ई-वाहनों के निर्माताओं को निवेश के लिए एक योजना को मंजूरी प्रदान की है। इस योजना के तहत ईवी निर्माताओं को न्यूनतम 4,145 करोड़ रुपये का निवेश करना आवश्यक है जबकि अधिकतम निवेश की कोई सीमा नहीं है। जबकि ई-वाहनों के आयात में 15 फीसदी सीमा शुल्क राहत देने का प्रावधान किया गया है।
सरकार द्वारा उठाया गया यह कदम भारतीय उपभोक्ताओं तक न केवल नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करेगा बल्कि मेक इन इंडिया पहल को भी बढ़ावा देगा।
भारत को ई-वाहनों का हब बनाने की तैयारी
इस योजना के तहत ई- वाहन निर्माताओं के बीच स्वस्थ प्रतिस्पर्धा को बढ़ावा दिया जाएगा जिससे ई वाहनों का अधिक मात्रा में उत्पादन व लागत में कमी आएगी। जिससे कच्चे तेल के आयात में भी कमी आने की सम्भावना है। इस पहल से खासकर शहरी इलाकों में बढ़ रहे वायु प्रदूषण को कम करके स्वास्थ्य और पर्यावरण पर नकारात्मक असर को भी कम करने में मददगार होगा।
सालाना 8000 ई-वाहनों पर 15 फीसदी सीमा शुल्क में कटौती
केंद्र सरकार के मुताबिक जो कंपनियां निवेश शर्तों को पूरा करेंगी उन्हें 29 लाख और उससे अधिक कीमत वाली कारों पर 15% के कम आयात शुल्क पर सालाना 8,000 ई- वाहनों के आयात करने की अनुमति दी जाएगी। वर्तमान भारत में आयातित कारों पर उनके मूल्य के आधार पर 70 से 100 फीसदी का प्रवेश शुल्क लगाया जाता है।
सरकार द्वारा जारी बयान के मुताबिक इस कदम से नवीनतम तकनीक तक पहुंच प्रदान करने व ई- वाहनों और मेक इन इंडिया पहल का समर्थन करने की उम्मीद है। आयातित किए जा सकने वाले ई-वाहनों पर शुल्क छूट वार्षिक पीएलआई प्रोत्साहन (6,484 करोड़ रुपये) या कंपनी द्वारा किए गए निवेश, जो भी कम हो, तक सीमित है।