भारत में आगामी 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट बिजली निर्यात बढ़ने की उम्मीद की जा रही है। इसके लिए तीन और अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइनें बनाने का प्रस्ताव किया गया है। बीते शनिवार को चितवन में संपन्न नेपाल-भारत ऊर्जा सचिव स्तरीय 11वीं बैठक में इस पर प्रारंभिक सहमति बनी है।
एक संयुक्त तकनीकी दल को इसका अध्ययन करने के निर्देश
इस बैठक में भारत की तरफ से नेपाल में निजगढ़-मोतिहारी, अनारमनी-किसनगंज और लमही-लखनऊ पॉइंट पर 400 केवी क्षमता की ट्रांसमिशन लाइन बनाने के प्रस्ताव पर सहमति बनी है। भारतीय दूतावास की तरफ से जारी बयान में कहा गया है कि एक संयुक्त तकनीकी दल को इसका अध्ययन करने के लिए निर्देश दिया गया है। इस तकनीकी दल में भारत के ऊर्जा मंत्रालय के संयुक्त सचिव संदीप कुमार देव को समन्वय की जिम्मेदारी दी गई है, जिसमें नेपाल विद्युत प्राधिकरण और भारत के पावर ग्रिड के प्रतिनिधि को शामिल किया गया है।
वर्तमान में नेपाल और भारत के बीच ट्रांसमिशन लाइनें
वर्तमान में नेपाल और भारत के बीच 132 केवी क्षमता की पांच ट्रांसमिशन लाइनें और 400 केवी क्षमता की एक (ढल्केवर-मुजफ्फरपुर) ट्रांसमिशन लाइन है। ढल्केवर-मुजफ्फरपुर ट्रांसमिशन लाइन के तहत 2000 मेगावाट की पांच लाइनों से 720 मेगावाट बिजली प्रसारित की जा सकती है। सतलुज जलविद्युत निगम (एसजेवीएन) ढल्केवर-सीतामढ़ी में 400 केवी क्षमता का ट्रांसमिशन लाइन का निर्माण कर रहा है।
और अधिक अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन बनाने को लेकर अध्ययन करने पर भी सहमति
400 केवी की नई बुटवल-गोरखपुर ट्रांसमिशन लाइन का भी निर्माण होने जा रहा है। इसी तरह इनरवा-पूर्णिया में निर्माणाधीन ट्रांसमिशन लाइन को 2027/28 में और न्यू लमकी-बरेली के निर्माणाधीन ट्रांसमिशन लाइन को सन् 2028/29 में पूरा करने का लक्ष्य लेकर काम किए जाने की जानकारी दूतावास की तरफ से जारी बयान में है। इसके अलावा कुछ और अधिक अंतरदेशीय ट्रांसमिशन लाइन बनाने को लेकर अध्ययन करने पर भी सहमति बनी है।
(इनपुट-हिंदुस्थान समाचार)