प्रतिक्रिया | Thursday, January 30, 2025

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14/12/23 | 8:57 am

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मध्य प्रदेश: वरिष्ठ विधायक गोपाल भार्गव लेंगे प्रोटेम स्पीकर की शपथ, राजभवन में होगा कार्यक्रम

मध्य प्रदेश के रहली से विधानसभा क्षेत्र नौ बार के विधायक और वरिष्ठ भाजपा नेता गोपाल भार्गव गुरुवार को प्रोटेम स्पीकर की शपथ लेंगे। जानकारी के मुताबिक राजभवन में राज्यपाल मंगुभाई पटेल गोपाल भार्गव को सुबह 11 बजे प्रोटेम स्पीकर की शपथ दिलाएंगे। इसके बाद संसदीय कार्य विभाग विधानसभा सत्र बुलाने के लिए विधानसभा सचिवालय को पत्र लिखेगा। 

सत्र की अवधि और तारीख तय करने के लिए विधानसभा सचिवालय राज्यपाल सचिवालय को प्रस्ताव भेजेगा, जहां से अनुमति के बाद सत्र की अधिसूचना जारी की जाएगी। सत्र में सभी विधायकों को प्रोटेम स्पीकर 16वीं विधानसभा की सदस्यता की शपथ दिलाएंगे। इसके बाद ही विधायकों को सदन की कार्रवाई में भाग लेने की पात्रता होगी। इसके बाद सत्ता पक्ष स्पीकर के चयन का प्रस्ताव सदन में रखेगा। स्पीकर के चयन के बाद प्रोटेम स्पीकर की भूमिका स्वतः समाप्त हो जाएगी।

मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव कलेक्टर-कमिश्नर के साथ करेंगे संवाद 

वहीं, मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव गुरुवार दोपहर 12 बजे कलेक्टर-कमिश्नर के साथ संवाद करेंगे। सीएम वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए बातचीत में विकसित भारत संकल्प यात्रा समेत कानून व्यवस्था और उनकी पहली बैठक में जारी आदेश का सख्ती से पालन करने के निर्देश दे सकते है। मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को कहा कि भ्रष्टाचार मुक्त सुशासन आधारित कार्य पद्धति का विकास किया जाए।

प्रोटेम स्पीकर कौन होता है ?

प्रोटेम स्पीकर एक अस्थायी स्पीकर होता है जिसे संसद या राज्य विधानसभाओं में कार्यवाही संचालित करने के लिए सीमित समय के लिए नियुक्त किया जाता है। प्रोटेम स्पीकर को आम तौर पर नई विधान सभा की पहली बैठक के लिए चुना जाता है, जहां स्पीकर का चुनाव होना बाकी हो।

प्रोटेम स्पीकर किसे नियुक्त किया जा सकता है ?
  
प्रोटेम स्पीकर पर कानून संविधान के अनुच्छेद 180(1) के तहत निर्धारित किया गया है। प्रावधान है कि जब अध्यक्ष या उपाध्यक्ष के पद रिक्त हों, तो कार्यालय के कर्तव्यों का पालन 'विधानसभा के ऐसे सदस्य द्वारा किया जाना चाहिए जिसे राज्यपाल इस उद्देश्य के लिए नियुक्त कर सकते हैं।

क्या प्रोटेम स्पीकर की नियुक्ति के लिए कोई 'प्रक्रिया के नियम' निर्धारित हैं ?

हालांकि कोई विशिष्ट संवैधानिक या वैधानिक प्रावधान नहीं हैं, संवैधानिक परंपरा के अनुसार सदन के सबसे वरिष्ठ सदस्य को प्रोटेम स्पीकर चुना जाना है। इस संदर्भ में वरिष्ठता का तात्पर्य सदन में सदस्यता से है न कि सदस्य की आयु से।

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आखरी अपडेट: 30th Jan 2025