प्रतिक्रिया | Thursday, January 30, 2025

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29/11/23 | 10:20 am

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सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन : 17 दिनों तक श्रमिकों नहीं पता था दिन है या रात

28 नवंबर की रात उन 41 घरों में रोशनी लेकर आई, जिनके चिराग एक टनल में 17 दिन से फंसे हुए थे। आज सिलक्यारा सुरंग से बाहर निकले श्रमिकों ने 17 दिन बाद उगता सूरज देखा। फिलहाल अब इन श्रमिकों को भारतीय वायुसेना के चिनूक विमान से एम्स अस्पताल ऋषिकेश लाया जाएगा चिन्यालीसौड हवाई पट्टी पर चिनूक विमान और एक हेलीकॉप्टर से उड़ान भरेंगे।  

 एम्स अस्पताल ऋषिकेश जाएंगे श्रमिक
दरअसल, जब देश-दुनिया में दीपावाली की धूम थी, तब 41 श्रमिक उत्तरकाशी की सिल्क्यारा निर्माणाधीन सुरंग में फंसे थे। इन सभी को सकुशल निकालने के लिए शुरू राहत और बचाव अभियान मंगलवार रात पूरा हुआ। सभी श्रमिकों को रात को सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र चिन्यालीसौड ले जाया गया। बुधवार सुबह 18 दिन बाद सभी श्रमिकों ने उगता सूरज देखा। अब इन श्रमिकों को भारतीय वायुसेना के चिनूक विमान से एम्स अस्पताल ऋषिकेश भेजा जाएगा। चिन्यालीसौड हवाई पट्टी पर चिनूक विमान और एक हेलीकॉप्टर पहुंच चुका है।

प्रभारी चिकित्साधिकारी डॉ. विनोद कुकरेती ने बताया कि सभी का देररात स्वास्थ्य परीक्षण किया गया। सभी स्वस्थ हैं। सभी श्रमिकों ने अच्छी नींद ली। सुबह कुछ श्रमिक जग गये। उन्हें जलपान कराया गया। अब पुनः स्वास्थ्य परीक्षण किया जाएगा। उसके बाद घर भेजने या रेफर करने की प्रक्रिया शुरू होगी।

नहीं पता था दिन है या रात
वहीं रात को सुरंग से बाहर आए श्रमिकों को यह नहीं पता था कि दिन है या रात। यह बात उत्तर प्रदेश के चौधरी कही। उन्होंने कहा, 'मेरा बेटा मंजीत जब टलन से बाहर आया तो सबसे पहले पूछा पापा घर पर सब ठीक-ठाक तो है न। फिर पूछा कि अभी सुबह है न।' इस सुनकर मंजीत के पिता चौधरी भावुक हो गये।

गौरतलब हो कि चारधाम यात्रा के लिए ऑल वेदर सड़क परियोजना के तहत निर्माणाधीन सिल्क्यारा टनल को सीज किया गया है। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार देर रात कहा कि केंद्र एवं राज्य सरकार की एक संयुक्त टीम उत्तराखंड में निर्माणाधीन सभी टनलों की जांच करेगी। सभी टनलों का सेफ्टी ऑडिट भी कराया जाएगा। उल्लेखनीय है कि 12 नवंबर को सिलक्यारा सुरंग का एक हिस्सा धंस गया था। इससे 41 मजदूर फंस गए थे। नवयुग इंजीनियरिंग कंपनी लिमिटेड ने नेशनल हाइवे एंड इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड की देखरेख में यमुनोत्री हाइवे पर इस सुरंग का निर्माण न्यू ऑस्ट्रियन टनलिंग मेथड (एनएटीएम) से करवा रही थी।

23/11/23 | 6:36 pm

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सिलक्यारा रेस्क्यू ऑपरेशन: सभी श्रमिक सुरक्षित, जल्द निकालने का हो रहा है प्रयास 

उत्तरकाशी की निर्माणाधीन सिलक्यारा सुरंग में फंसे श्रमवीरों से गुरुवार को उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने  बातचीत की। सुरंग में फंसे श्रमिकों का हौसला बढ़ाते हुए मुख्यमंत्री ने कहा हम आप लोगों के बहुत पास पहुंच गए हैं। मुश्किल से 10 मीटर और आना है। बीच-बीच में सरिया आ रही है। आप लोगों के लिए यहां बहुत बड़ा ऑपरेशन चल रहा है। देश-विदेश से बड़ी-बड़ी मशीनें मंगाई गई हैं। आप लोगों की बहुत हिम्मत है। उन्होंने श्रमिकों को बताया कि यहां आपके लिए बाहर सारी व्यवस्थाएं हैं। सभी लोग ईश्वर से प्रार्थना कर रहे हैं। उन्होंने श्रमिकों को यह भी बताया कि प्रधानमंत्री रोज आपके बारे में चिंता कर रहे हैं। प्रधानमंत्री रोजाना सुबह 7 बजे अपडेट लेते हैं। 

निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित

वहीं इस संबंध में गुरुवार को राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (एनडीएमए) के सदस्य लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) सैयद अता हसनैन ने कहा कि उत्तरकाशी के निर्माणाधीन सुरंग में फंसे सभी श्रमिक सुरक्षित हैं। उनको जल्द से जल्द सुरक्षित निकालना हमारी प्राथमिकता है। इस दिशा में तेजी से काम किया जा रहा है। उन्हें बचाने के लिए केंद्र और राज्य सरकार की एजेंसियां दिन-रात काम कर रही हैं। इस मामले में अंतरराष्ट्रीय स्तर के विशेषज्ञों से भी मदद ली जा रही है। वह गुरुवार को यहां एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित कर रहे थे। 

विशेषज्ञों की निगरानी में किए जा रहे कई तरह के प्रयास 

उन्होंने कहा कि सुरंग में फंसे सभी 41 लोगों को सुरक्षित निकालने के लिए कई तरह के प्रयास विशेषज्ञों की निगरानी में किए जा रहे हैं। टनल में फंसे श्रमिकों तक पानी, भोजन, ऑक्सीजन उपलब्ध कराया जा रहा है। वहां प्रकाश की समुचित व्यवस्था है।

अलग-अलग जगहों से खुदाई अभियान चालू है

हसनैन ने कहा कि इस अभियान को पूरा करने के लिए कोई समय-सीमा तय नहीं की जा सकती है। मजदूरों तक पहुंचने के लिए अलग-अलग जगहों से खुदाई अभियान चालू है। उन्होंने कहा कि 6 इंच व्यास की पाइप लाइन के सफलतापूर्वक मलबे के आर पार किए जाने व इसके माध्यम से भोजन एवं अन्य आवश्यक सामान श्रमिकों तक पहुंचाने में सफलता मिली है। वहां चार इंच का पाइप पहले ही था अब 6 इंच का पाइप पहुंचाने में सफलता मिली है।

कल तक रेस्क्यू ऑपरेशन को पूरा किए जाने की उम्मीद

हसनैन ने कहा कि मौके पर एनडीआरएफ, भारत तिब्बत सीमा पुलिस बल (आईटीबीपी), सेना के इंजीनियर, एसडीआरएफ, अग्निशमन और आपातकालीन सेवाएं, बीआरओ, डॉक्टरों की टीम और भारत सरकार की अन्य तकनीकी एजेंसियां जैसी विभिन्न एजेंसियां वहां काम कर रही हैं। हसनैन ने आशा व्यक्त की है कि कल तक इस अभियान को पूरा किया जा सकता है लेकिन इस अभियान के लिए कोई तय समय-सीमा नहीं बताई जा सकती है। उन्होंने कहा कि एजेंसियां श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए हर संभव प्रयास कर रही हैं।

उल्लेखनीय है कि हसनैन ने बीते दिनों एक संवाददाता सम्मेलन में कहा था कि सुरंग में उत्तराखंड के 02, हिमाचल प्रदेश के 01, उत्तर प्रदेश के 08, बिहार के 05, पश्चिम बंगाल के 03, असम के 02, ओडिशा के 05 और झारखंड के सबसे अधिक 15 मजदूर फंसे हैं। 

ज्ञात हो, सिल्कयारा से बड़कोट के बीच निर्माणाधीन सुरंग में 12 नवंबर को सिल्कयारा की तरफ सुरंग के 60 मीटर हिस्से में मलबा गिरने से सुरंग ढह गई थी। इसके चलते 41 श्रमिक फंस गए थे। फंसे हुए सभी 41 मजदूरों को बचाने के लिए राज्य और केंद्र सरकारों द्वारा तत्काल आवश्यक उपाय किए गए और जरूरी संसाधन जुटाए गए। बचाव अभियान के शुरुआती चरण में मलबे के बीच से 900 मिमी की पाइप पहुंचाई गई और सुरक्षा से जुड़ी चिंताओं के कारण एक साथ कई बचाव विकल्पों का पता लगाया गया। निर्माण से जुड़े कर्मी जहां पर फंसे हुए हैं उसकी ऊंचाई 8.5 मीटर और लंबाई 2 किलोमीटर है, जो निर्माणाधीन सुरंग का हिस्सा है। जगह की पर्याप्तता के चलते बिजली और पानी की आपूर्ति करने में आसानी हुई है और मजदूरों को सुरक्षा प्रदान करने में मदद मिली है।

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आखरी अपडेट: 30th Jan 2025