उत्तकाखंड में उत्तरकाशी की सिलक्यारा सुरंग में 12 नवंबर से फंसे सभी 41 श्रमिक सकुशल बाहर निकाल लिए गए हैं।बचाव कार्यकर्ताओं और श्रमिकों के परिवारों ने केन्द्र और राज्य सरकार के प्रयासों के लिए आभार व्यक्त किया है।
राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने हर्ष व्यक्त किया
सिल्कयारा में 17वें दिन मजदूरों को सकुशल निकालने पर राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और केंद्रीय सड़क एवं परिवहन मंत्री ने हर्ष व्यक्त किया है और इसके लिए एनडीआरफ, एसडीआरएफ तथा अन्य एजेंसी की सफल बचाव अभियान के लिए सराहना की है।
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने कहा कि उन्हें यह जानकर राहत और खुशी महसूस हो रही है कि उत्तराखंड में एक सुरंग में फंसे सभी श्रमिकों को बचा लिया गया है। बचाव कार्य में बाधाओं का सामना करने के कारण 17 दिनों तक की उनकी पीड़ा मानवीय सहनशक्ति का प्रमाण रही है। राष्ट्र उनके जज्बे को सलाम करता है और अपने घरों से दूर, बड़े व्यक्तिगत जोखिम पर भी महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के निर्माण के लिए उनका आभारी है। वे उन टीमों और सभी विशेषज्ञों को बधाई देती हैं जिन्होंने इतिहास के सबसे कठिन बचाव अभियानों में से एक को पूरा करने के लिए अविश्वसनीय धैर्य और दृढ़ संकल्प के साथ काम किया है।
प्रधानमंत्री ने बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को किया सलाम
प्रधानमंत्री ने कहा कि उत्तरकाशी में हमारे श्रमिक भाइयों के रेस्क्यू ऑपरेशन की सफलता हर किसी को भावुक कर देने वाली है। टनल में जो साथी फंसे हुए थे, उनसे वे कहना चाहते हैं कि आपका साहस और धैर्य हर किसी को प्रेरित कर रहा है। वे आप सभी की कुशलता और उत्तम स्वास्थ्य की कामना करते हैं। यह अत्यंत संतोष की बात है कि लंबे इंतजार के बाद अब हमारे ये साथी अपने प्रियजनों से मिलेंगे। इन सभी के परिजनों ने भी इस चुनौतीपूर्ण समय में जिस संयम और साहस का परिचय दिया है, उसकी जितनी भी सराहना की जाए वो कम है।
प्रधानमंत्री ने बचाव अभियान से जुड़े सभी लोगों के जज्बे को भी सलाम किया। उन्होंने कहा कि उनकी बहादुरी और संकल्प-शक्ति ने हमारे श्रमिक भाइयों को नया जीवन दिया है। इस मिशन में शामिल हर किसी ने मानवता और टीम वर्क की एक अद्भुत मिसाल कायम की है।
केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी ने कहा कि वेम पूरी तरह से राहत महसूस कर रहे हैं और खुश है कि सिल्कयारा टनल हादसे में फंसे 41 मजदूरों को सफलतापूर्वक बचा लिया गया है। यह कई एजेंसियों द्वारा किया गया एक समन्वित प्रयास था, जो हाल के वर्षों में सबसे महत्वपूर्ण बचाव अभियानों में से एक था। अनेक चुनौतियों का सामना करने के बावजूद विभिन्न विभाग और एजेंसियां एक-दूसरे के पूरक बने। सभी के अथक और ईमानदार प्रयासों और सभी की प्रार्थनाओं से यह ऑपरेशन संभव हो सका। बचाव टीमों के समर्पित प्रयासों के अनुकूल परिणाम मिले हैं।
सभी मजदूर को अस्पताल ले जाया गया
बाहर निकलने वाले प्रत्येक मजदूर को शाल और माला पहनाकर उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने स्वागत किया। बाहर निकाले गए सभी श्रमिकों को चिन्यालीसौंड के अस्पताल में एंबुलेंस द्वारा ले जाया जा रहा है।
आवश्यकता पड़ने पर हैलीकॉप्टर से ऋषिकेश स्थित एम्स ले जाया जाएगा
वहां उनके लिए पहले से ही चिकित्सकीय व्यवस्थाएं की गईं हैं। उनकी प्राथमिक शारिरिक जांच के बाद यदि किसी को आवश्यकता हुई तो अति प्रातःकाल चिनूक हैलीकॉप्टर की सहायता से ऋषिकेश स्थित एम्स ले जाया जाएगा। एम्स (ऋषिकेश) में भी 41 बेड खाली रखे गए हैं।
बाहर आ रहे मजदूर बेहद खुश व स्वस्थ
हांलाकि बाहर आ रहे मजदूर बेहद खुश व स्वस्थ नजर आ रहे हैं। फिर भी 17 दिन तक एक सुरंग में रहने के बाद उनके मानसिक व शारिरिक स्वस्थता के लिए पूरे इंतजाम किए गए हैं।
प्रधानमंत्री ने समूचे अभियान पर निगरानी रखी
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी और केंद्रीय मंत्री जनरल वी. के. सिंह इस दौरान वहां मौजूद रहे। केन्द्र सरकार ने बचाव अभियान में पूरी मदद की और प्रधानमंत्री ने समूचे अभियान पर निगरानी रखी और आखिरकार सिलक्यारा सुरंग रेस्क्यू ऑपरेशन सभी 41 मजदूरों की जान बचाकर सफल साबित हुआ।
केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने युद्धस्तर पर किया कार्य
समूचे बचाव अभियान के दौरान भोजन, पानी, दवाएं और ऑक्सीजन निरंतर श्रमिकों तक पहुंचाई गई। केन्द्र और राज्य सरकार की विभिन्न एजेंसियों ने युद्धस्तर पर समन्वय के साथ काम किया और फंसे हुए श्रमिकों को सुरक्षित निकालने के लिए कोई कसर नहीं छोड़ी।