विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने दक्षिण कोरिया के सर्वोच्च नेताओं से मुलाकात करके भारत की रणनीतिक साझेदारी वाले नए क्षेत्रों जैसे-नई तकनीकों,सेमी कंडक्टरों और ग्रीन हाइड्रोजन बनाने संबंधी द्विपक्षीय मुद्दों पर सहयोग बढ़ाने का आह्वान किया। जयशंकर ने सियोल में 10वें भारत-दक्षिण कोरिया संयुक्त आयोग (जेसीएम) की अध्यक्षता करते हुए बुधवार को अपनी प्रतिपक्षी चो ताई-युल को संबोधित कर बताया कि परंपरागत क्षेत्रों में हमारा सहयोग बढ़ता ही रहा है। लेकिन अब हमारी रुचि नए क्षेत्रों की तकनीकों को विस्तार देने में है।
संयुक्त आयोग में दोनों सरकारों के कई मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल
इसके लिए महत्वपूर्ण क्षेत्रो में तकनीक सेमी कंडक्टरों, ग्रीन हाइड्रोजन, मानव संसाधन गतिशीलता, परमाणु सहयोग, सप्लाई चेन को मजबूत बनाना आदि शामिल है। विदेश मंत्रालय के मुताबिक संयुक्त आयोग में दोनों सरकारों के कई मंत्रालयों के प्रतिनिधि शामिल हुए। द्विपक्षीय व्यापार, निवेश, विकासात्मक सहयोग, रक्षा व सुरक्षा, तकनीक और संस्कृति के क्षेत्र में सहयोग पर विचार-विमर्श हुआ। हिंद-प्रशांत क्षेत्र की साझा चिंताओं पर भी चर्चा हुई। इस अवसर पर विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने कहा कि भारत और दक्षिण कोरिया अब अहम साझीदार बन चुके हैं। उन्होंने एक्स पर पोस्ट में कि व्यापार, उद्योग और ऊर्जा मंत्री अहन ड्यूकगेन से मिलने पर खुशी जताई ।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भेंट की रामजन्म भूमि मंदिर प्रतिकृति
विदेश मंत्री जयशंकर दक्षिण कोरिया की गिमही सिटी के मेयर होम-ताई-योंग से भी मिले। जयशंकर को राम मंदिर की प्रतिकृति भेंट की गई है। गिमही-अयोध्या का गहरा संबंध है। यह साझी सांस्कृतिक विरासत और प्राचीन सभ्यताओं के आपसी मेल-मिलाप का योग है। इस अवसर पर जयशंकर ने उत्तर प्रदेश के अयोध्या स्थित रामजन्म भूमि मंदिर की प्रतिकृति उन्हें भेंट की है। गिमही सिटी राजधानी सियोल से दक्षिणपूर्व में 330 किमी दूर स्थित है। कोरिया की प्राचीन कथा के अनुसार करीब दो हजार साल पहले अयोध्या की एक राजकुमारी सूरीरत्ना नाव से 4500 किमी की दूरी तय करके कोरिया पहुंची थी और फिर उसका कोरियाई राजा किम सूरो से विवाह हो गया। बाद में रानी बनने पर उनका नाम हियो वांग ओक हो गया। राजा किम सूरो ने ही गया राज्य की स्थापना की थी। अब दक्षिण कोरिया में करीब 60 लाख लोग खुद को किम सूरो का वंशज मानते हैं।