उजाला योजना के तहत 6 जनवरी 2025 तक 36.87 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे यह देश में सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली पहलों में से एक बन गई है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 5 जनवरी, 2015 उजाला योजना को शुरू किया था। उजाला योजना ने अपनी 10वीं वर्षगांठ को ऊर्जा दक्षता में अभूतपूर्व पहल के रूप में चिह्नित किया है । पहले इसे घरेलू दक्ष प्रकाश कार्यक्रम (डीईएलपी) के रूप में पेश किया गया और बाद में इसे उजाला के रूप में पुनः ब्रांड किया गया।
उजाला ने लाखों भारतीय घरों को किफायती दामों पर रोशन किया
उजाला ने लाखों भारतीय घरों को किफायती ऊर्जा-दक्ष एलईडी बल्ब, ट्यूब लाइट और पंखे प्रदान करके घरेलू प्रकाश व्यवस्था में क्रांति ला दी। पिछले दशक में, देश भर में 36 करोड़ से अधिक एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे सालाना 19,153 करोड़ रुपए की बचत हुई। पिछले 10 सालों में उजाला दुनिया के सबसे बड़े शून्य-सब्सिडी घरेलू प्रकाश कार्यक्रम के रूप में विकसित हुआ है, जो ऊर्जा खपत को कम करने, पर्यावरण जागरूकता बढ़ाने और आर्थिक दक्षता को बढ़ावा देने के लिए भारत की प्रतिबद्धता का उदाहरण है।
साल 2014 में एक एलईडी बल्ब की खुदरा कीमत लगभग 450-500 रुपए थी
गौरतलब हो, साल 2014 में एक एलईडी बल्ब की खुदरा कीमत लगभग 450-500 रुपए थी, जो सीएफएल 100-150 रुपए और आईसीएल 10-15 रुपए से काफी अधिक थी। परिणामस्वरूप, 2013-14 में प्रकाश बाजार में एलईडी की हिस्सेदारी एक प्रतिशत से भी कम थी। जिससे एलईडी को किफायती और सुलभ बनाने के आवश्यकता पड़ी।
घरों में ऊर्जा दक्षता की तत्काल आवश्यकता को पूरा करती है उजाला योजना
उजाला योजना की कल्पना भारत के घरों में ऊर्जा दक्षता की तत्काल आवश्यकता को पूरा करने के लिए की गई थी, जहां पारंपरिक प्रकाश व्यवस्थाएं महत्वपूर्ण बिजली की खपत करती थीं और उपभोक्ताओं पर उच्च लागत का बोझ डालती थीं। एक 7W एलईडी बल्ब 14W कॉम्पैक्ट फ्लोरोसेंट लैंप (सीएफएल) और 60W तापदीप्त लैंप (आईसीएल) के समान प्रकाश प्रदान करता है, जिससे आईसीएल की तुलना में लगभग 90% और सीएफएल के मामले में 50% ऊर्जा की बचत होती है।
उजाला योजना से उपभोक्ताओं को काफी कम दरों – 70 रुपए प्रति एलईडी बल्ब, 220 रुपए प्रति एलईडी ट्यूब लाइट और 1110 रुपए प्रति ऊर्जा-कुशल पंखा- पर एलईडी उपकरण प्राप्त होते हैं।
वहीं, एक एलईडी बल्ब 140 घंटे तक संचालित होने पर केवल 1 यूनिट बिजली का उपयोग करता है, जबकि एक सीएफएल और एक आईसीएल समान अवधि में क्रमशः 2 यूनिट और 9 यूनिट की खपत करता है। इससे काफी लागत में बचत होती है, क्योंकि एक एलईडी बल्ब की परिचालन लागत 140 घंटे के लिए सिर्फ 4 रुपए है, जबकि सीएफएल के लिए 8 रुपए और आईसीएल के लिए 36 रुपए है।
उजाला के प्रभाव का दशक
उजाला योजना के तहत 6 जनवरी 2025 तक 36.87 करोड़ एलईडी बल्ब वितरित किए गए हैं, जिससे यह देश में सबसे व्यापक रूप से अपनाई जाने वाली पहलों में से एक बन गई है। सभी राज्यों में इसके कार्यान्वयन से क्रांतिकारी परिवर्तन आए हैं, वार्षिक घरेलू बिजली बिल में कमी आई है और उपभोक्ताओं को अपने जीवन की गुणवत्ता में सुधार करते हुए पैसे बचाने में सक्षम बनाया गया है। अब तक उजाला योजना ने भारतीय बाजार में 407.92 करोड़ एलईडी बल्बों की बिक्री को बढ़ावा दिया है।
स्ट्रीट लाइटिंग राष्ट्रीय कार्यक्रम
इसके अलावा 5 जनवरी 2015 स्ट्रीट लाइटिंग नेशनल प्रोग्राम (एसएलएनपी) भी उजाला योजना के साथ आरंभ किया गया। एसएलएनपी का उद्देश्य शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में पुराने स्ट्रीट लैंपों को एलईडी लाइटों से बदलकर सार्वजनिक प्रकाश व्यवस्था के लिए ऊर्जा की खपत और परिचालन लागत को कम करना है।
6 जनवरी 2025 तक शहरी स्थानीय निकायों और ग्राम पंचायतों में 1.34 करोड़ से अधिक एलईडी स्ट्रीटलाइट्स स्थापित
एसएलएनपी भारत में ऊर्जा दक्षता के लिए व्यापक प्रयास के तहत संचालित होती है। यह ऊर्जा-दक्ष उपकरणों के लिए बाजार में बदलाव लाने के लिए डिज़ाइन की गई थी। एनर्जी एफिशिएंसी सर्विसेज लिमिटेड (ईईएसएल) को इस कार्यक्रम के लिए कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में नामित किया गया था।
आपको बता दें, शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी), नगर निकायों, ग्राम पंचायतों (जीपी), और केंद्र और राज्य सरकारों के साथ सहयोग करते हुए, ईईएसएल पूरे भारत में एसएलएनपी को कार्यान्वित करने में सबसे आगे रहा है। ईईएसएल ने 6 जनवरी 2025 तक शहरी स्थानीय निकायों (यूएलबी) और ग्राम पंचायतों में 1.34 करोड़ से अधिक एलईडी स्ट्रीटलाइट्स सफलतापूर्वक स्थापित की हैं, जिससे सालाना 9,001 मिलियन यूनिट (एमयू) से अधिक बिजली की महत्वपूर्ण ऊर्जा बचत हुई है।