प्रतिक्रिया | Saturday, July 27, 2024

16/08/23 | 2:57 pm

16 अगस्त: आज मनाया जा रहा ‘बीयूडीएस दिवस’, जानें इसका महत्व  

कुदुम्बश्री प्रोग्राम के तत्वावधान में आज 16 अगस्त 2023 को 'बीयूडीएस दिवस' के रूप में मनाया जा रहा है। इस दिन का बड़ा ही विशेष महत्व है। यह बौद्धिक रूप से दिव्यांग बच्चों को समर्पित है। इसकी शुरुआत 16 अगस्त 2004 में  हुई थी। वर्ष 2004 में तिरुवनंतपुरम जिले के वेंगनूर ग्राम पंचायत में केरल के पहले BUDS स्कूल का आधिकारिक उद्घाटन किया गया था।

बौद्धिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए बड़ा विशेष 

बौद्धिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए स्थानीय स्व-सरकारी संस्थानों के सहयोग से कुदुम्बश्री द्वारा संचालित बीयूडीएस संस्थानों की गतिविधियों को लोकप्रिय बनाने के लिए बीयूडीएस दिवस का आयोजन किया जाता है। बीयूडीएस दिवस समारोह का उद्देश्य शिक्षा और पुनर्वास के लिए संचालित बीयूडीएस संस्थानों में बौद्धिक रूप से दिव्यांग बच्चों को अधिक से अधिक दायरे में लाना, उनकी देखभाल करना और ऐसे बच्चों के माता-पिता के लिए मानसिक समर्थन सुनिश्चित करना होता है।

इन बच्चों के लिए निःशुल्क हैं BUDS  

बीयूडीएस स्कूल निःशुल्क हैं। केरल राज्य में गरीब परिवारों के मानसिक रूप से दिव्यांग बच्चों के लिए इस प्रकार के विशेष स्कूल खोले गए हैं। राज्य में बीयूडीएस स्कूल, सभी कुदुम्बश्री मिशन और सामुदायिक संरचना के समर्थन और मार्गदर्शन के तहत स्थानीय सरकारी संस्थानों के स्वामित्व और प्रबंधन में संचालित हैं। बीयूडीएस दिवस पर बीयूडीएस संस्थानों के बच्चों द्वारा सांस्कृतिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस बार बीयूडीएस दिवस समारोह से पहले बीयूडीएस सप्ताह समारोह शुरू किया गया था। बीयूडीएस सप्ताह समारोह की शुरुआत पर '9 अगस्त 2023' को बीयूडीएस स्कूलों और बीयूडीएस पुनर्वास केंद्रों सहित राज्य के सभी 359 बीयूडीएस संस्थानों में 'ओरु मुकुलम' नाम से फलदार वृक्ष रोपण गतिविधियां भी आयोजित की गईं। 

क्या है कुदुम्बश्री ? 

उल्लेखनीय है कि कुदुम्बश्री केरल सरकार के राज्य गरीबी उन्मूलन मिशन (एसपीईएम) द्वारा कार्यान्वित गरीबी उन्मूलन और महिला सशक्तिकरण कार्यक्रम है। मलयालम भाषा में कुदुम्बश्री नाम का अर्थ 'परिवार की समृद्धि' से है। कुदुम्बश्री मिशन के साथ-साथ कुदुम्बश्री सामुदायिक नेटवर्क का भी प्रतिनिधित्व करता है।

कुदुम्बश्री के पास एक विशाल नेटवर्क

कुदुम्बश्री कार्यक्रम की स्थापना 1997 में राज्य सरकार द्वारा नियुक्त तीन सदस्यीय टास्क फोर्स की सिफारिशों के बाद की गई थी। इसका गठन केरल में पंचायत राज संस्थानों (पीआरआई) को शक्तियों के हस्तांतरण और पीपुल्स प्लान अभियान के संदर्भ में हुआ था, जिसमें पीआरआई के माध्यम से नीचे से स्थानीय सरकारों की नौवीं योजना तैयार करने का प्रयास किया गया था।

कुदुम्बश्री के पास अपने महिला समुदाय नेटवर्क के लिए तीन स्तरीय संरचना है, जिसमें सबसे निचले स्तर पर पड़ोस समूह (एनएचजी), मध्य स्तर पर क्षेत्र विकास सोसायटी (एडीएस) और स्थानीय सरकार स्तर पर सामुदायिक विकास सोसायटी (सीडीएस) हैं। कुदुम्बश्री ने जिस सामुदायिक संरचना को स्वीकार किया है वह 1990 के दशक की शुरुआत में अलाप्पुझा नगर पालिका और मलप्पुरम में प्रयोगों से विकसित हुई है।

कुदुम्बश्री सामुदायिक नेटवर्क को 2000-2002 के दौरान तीन चरणों में पूरे राज्य को कवर करने के लिए विस्तारित किया गया था। 15 सितंबर 2021 तक कुदुम्बश्री नेटवर्क में 2,94,436 एनएचजी, 19,489 एडीएस और 1064 सीडीएस से संबद्ध थे, जिनकी कुल सदस्यता 45,85,677 महिलाओं की थी। कुदुम्बश्री सदस्यता सभी वयस्क महिलाओं के लिए खुली है, जो प्रति परिवार एक सदस्यता तक सीमित है। वर्ष 2011 में भारत सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय (एमओआरडी) ने कुदुम्बश्री को राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन (एनआरएलएम) के तहत राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन (एसआरएलएम) के रूप में मान्यता दी।

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आखरी अपडेट: 27th Jul 2024