प्रतिक्रिया | Tuesday, April 01, 2025

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भारतीय लोकतंत्र के इतिहास में इमरजेंसी यानी आपातकाल एक काला धब्बा है। 21 मार्च 1977 को देश में करीब 19 महीने का आपातकाल खत्म हुआ था। इससे पहले 26 जून 1975 की सुबह इंदिरा गांधी ने रेडियो पर आपातकाल लगाने की घोषणा की थी। 25 और 26 जून की मध्यरात्रि इमरजेंसी के आदेश पर राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद दस्तखत कर चुके थे। इसके साथ ही देश में आपातकाल लागू हो चुका था। 

इस दौरान दर्जनों मनमाने सरकारी फैसले हुए

करीब 19 महीने तक देश में इमरजेंसी लगी रही। इस दौरान दर्जनों मनमाने सरकारी फैसले हुए। सरकार का विरोध करने पर दमनकारी कानून मीसा और डीआईआर के तहत देश में एक लाख ग्यारह हजार लोग जेल में ठूंस दिए गए। कैद के दौरान लोकनायक जयप्रकाश नारायण की किडनी खराब हो गई। कर्नाटक की मशहूर अभिनेत्री डॉ. स्नेहलता रेड्डी जेल से बीमार होकर निकलीं, बाद में उनकी मौत हो गई।

देशभर में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गई

इमरजेंसी के समय विरोध प्रदर्शन का तो सवाल ही नहीं था। लेखक, कवि और फिल्म कलाकारों तक को नहीं छोड़ा गया। ऊपर से संजय गांधी ने देश को आगे बढ़ाने के नाम पर पांच सूत्रीय एजेंडा बनाया जिसमें परिवार नियोजन प्रमुख था। 19 महीने के दौरान देशभर में करीब 83 लाख लोगों की जबरदस्ती नसबंदी करा दी गई। 

18 जनवरी 1977 को इंदिरा गांधी ने अचानक मार्च में लोकसभा चुनाव कराने की घोषणा कर दी। 16 मार्च को हुए लोकसभा चुनाव में इंदिरा गांधी और संजय दोनों बुरी तरह हार गए। आपातकाल के रूप में देश पर लगा कलंक 21 मार्च को आधिकारिक रूप से खत्म हो गया। कांग्रेस महज 153 सीटों पर सिमट गई और देश में जनता पार्टी की सरकार बनी। 24 मार्च को मोरारजी देसाई ने देश के चौथे प्रधानमंत्री के रूप में शपथ ली। (इनपुट-एजेंसी)

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आखरी अपडेट: 1st Apr 2025