भारत में महिला उद्यमियों ने सूक्ष्म, लघु और मध्यम उद्यम (एमएसएमई) क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है। 1 जुलाई 2020 को संशोधित परिभाषा लागू होने के बाद 30 नवंबर 2024 तक देश में 2.2 करोड़ महिला-स्वामित्व वाली एमएसएमई उद्यम पंजीकृत हुए हैं। महिला उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने कई योजनाएं चलाई हैं जिनमें से कुछ के तहत महिला उद्यमियों को पंजीकरण में प्राथमिकता, वित्तीय सहायता और विशेष सब्सिडी दी जाती है। सार्वजनिक खरीद नीति के तहत सरकारी विभागों को अपनी वार्षिक खरीद का कम से कम 3% महिला उद्यमियों से करना अनिवार्य है।
राज्यों में महिला-स्वामित्व वाले उद्यमों की हिस्सेदारी भी सराहनीय है। गुजरात में 9.12 लाख और राजस्थान में 8.15 लाख महिला उद्यमी पंजीकृत हैं। राजस्थान के टोंक और सवाई माधोपुर जिलों में 13% पंजीकृत एमएसएमई महिला-स्वामित्व वाले हैं, जबकि गुजरात के वलसाड जिले में यह आंकड़ा 18.24% है।
यशस्विनी अभियान के तहत महिला उद्यमियों को दिया जा रहा बढ़ावा
भारत में महिला उद्यमियों को बढ़ावा देने के लिए सरकार ने “यशस्विनी अभियान” शुरू किया है जिसका उद्देश्य महिला उद्यमियों को औपचारिक प्रशिक्षण, ऋण सहायता और सरकारी योजनाओं की जानकारी प्रदान करना है। साथ ही, महिला उद्यमियों को कौशल विकास के लिए विशेष प्रशिक्षण भी दिया जा रहा है।
त्रिपुरा सर्वाधिक 66% एमएसएमई महिला-स्वामित्व प्रदान करने वाला राज्य
त्रिपुरा में सबसे ज्यादा 66% एमएसएमई महिला-स्वामित्व वाली हैं, जबकि पश्चिम बंगाल में यह आंकड़ा 62% है। कुल मिलाकर, भारत के एमएसएमई क्षेत्र में महिलाओं की हिस्सेदारी 40% है। यह महिला उद्यमियों की बढ़ती भागीदारी और देश की आर्थिक प्रगति का प्रतीक है।