दुनिया भर में होम्योपैथी की प्रभावकारिता और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए वैश्विक सहयोग के आह्वान के साथ दो दिवसीय होम्योपैथी संगोष्ठी गुरुवार को समाप्त हो गई। 2 दिवसीय कार्यक्रम का उद्घाटन बुधवार को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने किया। संगोष्ठी में डॉक्टरों, वैज्ञानिकों, शोधकर्ताओं, शिक्षाविदों और छात्रों सहित 6,000 से अधिक प्रतिभागियों ने भाग लिया। इन प्रतिभागियों ने होम्योपैथी के क्षेत्र को आगे बढ़ाने की प्रतिबद्धता दोहराई। सभा ने दुनिया भर में होम्योपैथी की प्रभावकारिता और स्वीकार्यता बढ़ाने के लिए निरंतर अनुसंधान, गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और वैश्विक सहयोग के महत्व पर जोर दिया।
होम्योपैथी के सकारात्मक परिणाम भी पशु चिकित्सकों द्वारा किए गए प्रदर्शित
बता दें कि इस कार्यक्रम की थीम, “अनुसंधान को सशक्त बनाना, दक्षता बढ़ाना” के अनुरूप कार्यक्रम में होम्योपैथिक अनुसंधान, नैदानिक तौर-तरीके और बाजार संबंधी अंतर्दृष्टि पर विचार-विमर्श किया गया था। विभिन्न सत्रों के दौरान, प्रसिद्ध होम्योपैथी के चिकित्सकों ने होम्योपैथी के साथ असाध्य रोगों के प्रबंधन को लेकर अपने अनुभव साझा किए। इसके अलावा पशुओं के मामलों में होम्योपैथी के सकारात्मक परिणाम भी पशु चिकित्सकों द्वारा प्रदर्शित किए गए।
अनुसंधान संबंधी प्रमुख गतिविधियों के निष्कर्षों को किया साझा
इस दौरान अनुसंधानकर्ताओं और वैज्ञानिकों ने उनके द्वारा की गई अनुसंधान संबंधी प्रमुख गतिविधियों के निष्कर्षों को साझा किया। लाभ प्राप्ति हेतु अनुसंधान, शिक्षा क्षेत्र में सुधार, होम्योपैथी में वैश्विक परिप्रेक्ष्य, होम्योपैथिक दवाओं में गुणवत्ता आश्वासन और अंतःविषय अनुसंधान पर पैनल चर्चाएं हुईं। इन चर्चाओं ने विशेषज्ञों, अनुसंधानकर्ताओं, उद्योग प्रतिनिधियों, पेशेवर संघों और अन्य हितधारकों के बीच एक उपयोगी संवाद को बढ़ावा दिया, अपने अनुभवों और चुनौतियों को साझा किया और उन चुनौतियों पर काबू पाने के लिए आवश्यक प्रयासों पर चर्चा की। इस विचार-विमर्श से इन क्षेत्रों में सकारात्मक बदलाव लाने के लिए रणनीतिक दृष्टिकोण पर रचनात्मक सिफारिशें की गईं।
अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने भी साझा किए अपने अनुभव
कार्यक्रम के दौरान उपस्थित अंतर्राष्ट्रीय विशेषज्ञों ने होम्योपैथिक अनुसंधान और पेशे के क्षेत्र में अपने अनुभव साझा किए। परिषद के वैज्ञानिकों द्वारा नैदानिक अनुसंधान संबंधी निष्कर्षों का वर्णन किया गया, और चिकित्सकों की सफलता की कहानियों ने दर्शकों को नई सीखों को अपनी कार्य प्रणालियों में लागू करने के लिए प्रेरित किया। इस कार्यक्रम के दौरान, छात्रों को एसटीएसएच और एमडी छात्रवृत्ति से भी सम्मानित किया गया।
होम्योपैथी में नवाचारों और नए बदलावों की भी हुई पड़ताल
होम्योपैथिक क्षेत्र से जुड़ी समिति, भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस) के अध्यक्ष और पूर्व महानिदेशक, सीसीआरएच, डॉ. राज के. मनचंदा ने आयोजकों के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि संगोष्ठी में नियामक अंतर्दृष्टि, मानक, निर्यात, और सरकारी सहयोग जैसे महत्वपूर्ण पहलुओं को शामिल किया गया। सबसे पहले, सेवाओं की गुणवत्ता सुनिश्चित करने में होम्योपैथिक स्कूलों और अस्पतालों को एनएबीएच के साथ मानकीकृत करना एवं मान्यता प्रदान करना शामिल है। दूसरे, होम्योपैथिक औषधीय उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले कच्चे माल की सोर्सिंग और गुणवत्ता संबंधी अतिरिक्त मानकों को अपनाने की आवश्यकता है। होम्योपैथी में नवाचारों और नए बदलावों की भी पड़ताल की गई।