प्रतिक्रिया | Sunday, December 22, 2024

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भारत सरकार ने नमामि गंगे मिशन 2.0 के तहत उत्तर प्रदेश और बिहार में 920 करोड़ रुपये की लागत वाली 4 बड़ी परियोजनाओं का परिचालन शुरू कर दिया है। बिहार और उत्तर प्रदेश में गंगा नदी के आसपास शुरू की गई यह पहल प्रदूषण रोकने और नदी की पारिस्थितिक स्थिति में सुधार करने के लिए चल रहे प्रयासों में एक महत्वपूर्ण कदम है। बता दें, 920 करोड़ रुपये की लागत से बनी ये परियोजनाएँ सीवेज शोधन क्षमता में 145 एमएलडी तक की वृद्धि करेगी, बेहतर सीवर नेटवर्क प्रदान करेंगी और कई नालों को रोकेंगी।

जल शक्ति मंत्रालय ने एक बयान में इसके बारे में जानकारी दी है। बिहार के मुंगेर में परियोजना से सीवर नेटवर्क में सुधार होगा और 366 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से सीवरेज शोधन संयंत्र (एसटीपी) की स्थापना होगी। इससे लगभग 3 लाख निवासियों को लाभ होगा, क्योंकि उनके घरों को सीवर नेटवर्क से जोड़ा जाएगा, शहर की स्वच्छता व्यवस्था में काफी सुधार होगा और गंगा नदी में गैर-शोधित सीवेज के निर्वहन को रोका जा सकेगा।

उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर में स्थापित 129 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से निर्मित दूसरी महत्वपूर्ण परियोजना अब चालू है। अब चालू हो चुकी इस पहल के तहत नौ नालों को रोका गया है। वहीं दूसरी ओर 2 नए एसटीपी- पक्का पोखरा और बिसुंदरपुर, जिसमें प्रत्येक की क्षमता 8.5 एमएलडी है – की स्थापना तथा मौजूदा एसटीपी के पुनर्वास के साथ, सीवेज शोधन क्षमता अब बढ़कर 31 एमएलडी हो गई है। यह परियोजना गैर-शोधित सीवेज को गंगा में जाने से रोकती है, जिससे पानी की गुणवत्ता में काफी सुधार होता है और जलीय जैव विविधता को बढ़ावा मिलता है।

मंत्रालय ने बताया कि यूपी के गाजीपुर में गंगा नदी के प्रदूषण को कम करने के लिए 153 करोड़ रुपये की परियोजना अब चालू हो गयी है। इसमें 1.3 किमी आई एंड डी नेटवर्क और 21 एमएलडी एसटीपी का विकास शामिल है। यह परियोजना सीवेज को प्रभावी ढंग से शोधित करके शहर को लाभान्वित करती है, जिससे गंगा में गैर-शोधित सीवेज का निर्वहन रुक जाता है।

मिर्जापुर और गाजीपुर के अलावा, उत्तर प्रदेश के बरेली में 271 करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से अवरोधन, मार्ग बदलना और सीवेज शोधन कार्यों के लिए एक महत्वपूर्ण परियोजना स्थापित की गई है, जो अब चालू हो गयी है। इस परियोजना का उद्देश्य नदी में प्रदूषण को कम करना है। इसमें 15 नालों को रोकना और उनका मार्ग बदलना तथा 63 एमएलडी की संयुक्त क्षमता वाले तीन एसटीपी का निर्माण शामिल है।

दरअसल इन परियोजना से शहर को लाभ होगा, क्योंकि शहर के सीवेज का शोधन एसटीपी में किया जाएगा और इससे रामगंगा नदी में गैर-शोधित सीवेज के निर्वहन से बचा जा सकेगा, जिसके परिणामस्वरूप गंगा नदी के जल की गुणवत्ता में सुधार होगा। इसके अतिरिक्त ये परियोजनाएं अपशिष्ट जल का उपचार करके और नदियों को स्वच्छ बनाकर नमामि गंगे मिशन को बढ़ावा देने के साथ-साथ संबंधित शहरों की बड़ी आबादी को भी लाभान्वित करेंगी।

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आखरी अपडेट: 22nd Dec 2024